संदेश

पितृपक्ष

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 पितृपक्ष यानि की पितरों (पूर्वजों )को याद करने का समय । आज (25 /09 /2022 )पितृपक्ष  का अंतिम दिन है । यह प्रति वर्ष आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन से लेकर अमावस्या तक (सम्पूर्ण पक्ष )उत्सव की तरह मनाया जाता है।जो मान्यताओं के अनुसार हमारे पूर्वजों को समर्पित है। यह कोई कठोर नियम व्रत पालन करने का संदेश नहीं है। बल्कि श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों को ससम्मान याद करने का समय होता है। ऐसी मान्यता रही है की भावी पीढ़ी के द्वारा मृत आत्मा का मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंड दान या गया श्राद्ध किया जाता है। जो गया के फल्गु नदी के तट पर इसी पितृपक्ष के दौरान सम्पन्न कराया जाता है। ऐसी मान्यता है की हमारे पूर्वज इस विशेष कालखंड मे भूलोक पर विचरण करने आते हैँ। अपने भावी वंशजों के सुख -समृद्धि देखकर उन्हें आशीर्वाद देते हैँ ।   

Food Pyramid /आहार पिरामिड

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  आहार पिरामिड की चर्चा करने से पहले आइये हम जानते हैं की  पिरामिड है क्या ? आधार तल से शुरू होकर उच्चतम शिखर (शीर्ष ) तक का सम्पूर्ण भाग जिसका आकार त्रिकोण (त्रिशंकु )की तरह होता है। पिरामिड कहलाता है।  इस पिरामिड में दैनिक खाद्य पदार्थों का संतुलित और व्यवस्थित ग्राफिक चित्रण किया गया है। जिसे आहार मार्ग दर्शक के रूप में भी जाना जाता है।  परिवार के सदस्यों के लिए आहार आयोजन करते समय एक संतुलित आहार तालिका की अपेक्षा होती है। जिसमे पोषक तत्वों की उपयोगिता, सही मात्रा, सही क्रम और सही आवृति हमारे आहार संबधी ज्ञान को दर्शाता है।  सर्व प्रथम 1974 ईसवी में स्वीडन में Food Pyramid को प्रकाशित किया गया था।  United States Department of Agriculture ने 1992 में इसे "food guide Pyramid "नाम दिया।  2005 में इसे "My Pyramid "में अपडेट किया गया।  2011 में इसे "My Plate "नाम दिया गया है।  समय- समय पर बदलते सरलतम नामाकरण का  उदेश्य हमेशा से एक ही रहा है की दैनिक आहार में प्रयुक्त होने वाले सम्पूर्ण खाद्य पदार्थों को इसमें समाहित किया जाय। जि...

किराये का घर

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 बुनियादी जरूरतों का तीसरा स्तम्भ है घर। पैतृक घर और किराये का घर बड़े -बड़े विशेषज्ञों ने घर और मकान के अंतर् को बड़ी ही खुबसुरती से परिभाषित किया है। चार दीवारों के सहारे खड़े छत को मकान और उसमे सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहने वाले परिवारों के मिलन से मकान को घर बना दिया। मकान को घर बनाने के लिए तो पहले मकान का भी होना उतना ही जरूरी है जितना घर को घर बनाने के लिए परिवार का।  जब परिवार की बुनियाद दाम्पत्य जीवन की शुरुआत होती है तो चाहे -अनचाहे रोजी -रोजगार के लिए एक नई दुनिया वसाने की शुरुआत होती है। जहां नव -दम्पत्ति (विशेषकर मध्यम और निम्न वर्ग के )दोनों अपने -अपने पैतृक आवास से दूर एक नया घर के निर्माण में लग जाता है। जिसकी अधिकांश शुरुआत किराये के मकान से होता है। वहाँ की खट्टी -मिठ्ठी अनुभूतियों से एक अपना घर बनाने की जीजीवषा का जन्म होता है। इनमे कई घर तो बनते हैं और कई जिम्मेदारियों के बोझ तले दम तोड़ देते हैं। इसी दर्द के बोझ को कम करने में प्रधान मंत्री आवास योजना मरहम का काम किया जो की एक निश्चित आय वर्ग तक ही सीमित है। जब एक मध्यम वर्गीय प्रोढ़ा कि...

मानकीकरण /प्रमाणीकरण चिह्न

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मानकीकरण चिन्ह विभिन्न वस्तुओं तथा खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता स्तर को सुनिश्चित  करने के लिए एक प्रमाण का प्रारूप होता है। भारत सरकार ने अलग-अलग वस्तुओं के लिए अलग-अलग मानक तैयार किये हैं। इन मानकों को निर्धारित करने तथा मानकीकरण चिन्ह देने का कार्य दो संस्थाओ द्वारा किया जाता है।  विपणन निरीक्षण निदेशालय /Directorate of Marketing of Inspection .  BIS - भारतीय मानक ब्यूरो /Bureau of Indian Standard . ISI - भारतीय मानक संस्थान/ Indian Standard Insititute .   भारतीय मानक संस्थान को ही अब भारतीय मानक ब्यूरो कहा जाता है।इसी संस्थान के नाम पर ISI   का प्रमाणन चिन्ह रखा गया है। इस संस्था को किसी भी पदार्थ अथवा प्रणाली के लिए मानक स्थापित करने का अधिकार है। किसी भी निर्माता को अपने उत्पादन पर ISI चिन्ह लगाने की अनुमति तभी दी जाती है जब उत्पादन की पूरी प्रक्रिया BIS के मानको के अनुरूप तैयार की गई है।  ISI के अंतर्गत लगभग सभी भोज्य पदार्थ ,बिजली के उपकरण, बर्तन तथा सौन्दर्य प्रसाधन को शामिल किया गया है।इसके अतिरिक्त अन्य वस्तुओ पर दी जाने वाली प्र...

उपभोक्ता मंच /Consumer Forum

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आइये सबसे पहले हम जानते हैं की उपभोक्ता कौन है? सामान्य शब्दों में वह कोई भी व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिए सामान अथवा सेवाएँ खरीदता है वह उपभोक्ता कहलाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में उपभोक्ता है। चाहे वह महिला हो या पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्ध, शिक्षित, अशिक्षित, शहरी, ग्रामीण, निर्धन, धनी कोई भी हो सकता है।  प्रो. मार्शल -" उपभोक्ता वह व्यक्ति  है जो उपभोग के सच्चे अर्थ को समझकर उपभोग करता है।  " उपभोक्ता शिक्षा क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी।  उपभोक्ता शिक्षा हमे अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक करता है। जब हम कोई वस्तु बाजार से खरीद कर लाते हैं और हमारा उदेश्य की पूर्ति नहीं होता है तो हमे अपने ठगे जाने का एहसास होता है। तब हम सोचने लगते हैं की हमने क्या गलतियाँ की है। इसी समस्या के समाधान के लिए उपभोक्ता शिक्षा की जरूरत पड़ी। यह हमें क्रय संबंधित निर्णय लेना सिखाता है जैसे -क्या खरीदना है ?कहाँ से खरीदना है ?कब और कैसे खरीदना है ?कितना खरीदना है ? यह तभी सम्भव् है जब हम उपभोक्ता के अधिकार और कर्तव...

आहार चिकित्सा /Diet Therapy

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  आहार चिकित्सा क्या है ? सामान्यतः शरीर को सुचारु रूप से चलने के लिए संतुलित आहार की जरूरत होती है। परन्तु जब किसी कारणवश हमारा शरीर बीमार हो जाता है। तब बिमारियों के रोकथाम तथा स्वास्थ्य लाभ के उदेश्य से सामान्य आहार को रोगी के अवस्था एवं परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित करके आहार को एक कारक के रूप में प्रयोग करना ही आहार चिकित्सा कहलाता है।  आहार चिकित्सा की शुरुआत कब और कैसे हुआ।  आहार चिकित्सा की अवधारणा ईसा पूर्व 460 -370 के बीच एक युनानी चिकित्स्क हिप्पोक्रेट्स ने दी थी। उन्होंने रोगी और रोग के प्रकृति अनुसार आहार में परिवर्तन करके स्वास्थ्य लाभ लेने पर विशेष बल दिया था। जिसका अनुसरण आज भी बड़ी विश्वसनीयता से की जाती है। परन्तु इसके विशेष महत्व को विश्व प्रसिद्ध परिचारिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1854 में युद्ध में आहत सैनिको के सेवा करते समय समझा, महसूस किया और यह भी प्रमाणित किया की चकित्सा में चिकित्सक, औषधी, परिचरिका के साथ ही स्वास्थ्य लाभ कराने में आहार का विशेष भूमिका है। इसी  के आधार पर डाइटीशियन /Dietitian की नियुक्ति होने लगी।  आहार चिकित्सा के प्...

Traditional Embroidery of India भारत की पारम्परिक कढ़ाईकला

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  Traditional Embroidery of India भारत की पारम्परिक कढ़ाईकला  आज हम यहाँ पर मुख्यतः 7 प्रकार के कढ़ाई के बारे में चर्चा करेगें।  पंजाब की फुलकारी।  लखनऊ की चिकनकारी।  कश्मीर की कसीदाकारी।  बंगाल का कांथा।  हिमाचल प्रदेश का चम्बा कढ़ाई।  कर्नाटक का कसूती।  राजस्थान का लोक भारत ,धार्मिक और कोर्ट कढ़ाई।   1 . पंजाब की फुलकारी      इस  मोटे या खदर के सफेद कपड़े पर रंगीन रेशमी धागे से ज्यामितीय (रेखीये ) आकृति का प्रयोग करके बनाये जाने वाले फूलों का डिजाइन फुलकारी कही जाती है।इसमें मुख्य रूप से डवल रनिंग स्टीच और चेन स्टीच का प्रयोग किया जाता है।इसके कई प्रकार होते है।  जैसे - चोप - इसमें लाल रंग के चादर पर रंगीन रेशमी धागे से बीच में फूलों के डिजाइन बनाये जाते हैं और चारों  कोने पर काले रंग से वही डिजाइन छोटे आकर में  बनाये जाते है। मान्यता ये है की नानी अपने नातिन को यह भेंट स्वरूप उपहार देती हैं तो नजर से बचने के लिए काले रंग  का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है। सुभर -  ...