बरसात की पहली बुँदे
2023 कई वर्षों की रिकार्ड तोड़ती गर्मी अपनी ढलान पर है। जून का आखरी सप्ताह और मानसून की शरमाती वलखाती चाल दो कदम आगे दो कदम पीछे इंतजार की सीमाओ को तोड़ती ठिठक सी रही है। ऐसा लग रहा है की मानव को अपनी मानवीय भूलो को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। मानो वो भी मानवीय आह्वानों को समझने की कोशिश मे असमंजस मे है। एक ओर कृषक आसमान की ओर उम्मीदों की टकटकी लगाए हुए है तो दूसरी ओर शुभ लग्न मे होने वाले उत्सवी माहौल मे खलल न पड़ जाय इसलिए थोड़ा सा और ठिठने की आग्रह और तीसरी ओर बरसात की भयावता से डरे सहमे लोग । इतने सारे असमंजस के बीच अंततः आज तपती धरती को बरसात की पहली बुँदे आह्लादित कर ही गया । तपती धरती पर पड़ने वाली बूंदों से निकलने वाली मिट्टी की सोंधी खुशबु तन-मन दोनों को सुखद एहसास करा रही है। साथ ही उस तड़प को भी बखूबी वयाँ कर रही है इठलाती बुँदे। परस्पर सहयोग की अपेक्षा (मानव -पर्यावरण )आप मेरा ख्याल रखो और मै तुम्हारा । :------------------: