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बरसात की पहली बुँदे

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  2023 कई वर्षों की रिकार्ड तोड़ती गर्मी अपनी ढलान पर है। जून का आखरी सप्ताह और मानसून की शरमाती  वलखाती चाल दो कदम आगे दो कदम पीछे इंतजार की सीमाओ को तोड़ती ठिठक सी रही है। ऐसा लग रहा है की मानव को अपनी मानवीय भूलो को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। मानो वो भी मानवीय आह्वानों को समझने की कोशिश मे असमंजस मे है। एक ओर कृषक आसमान की ओर उम्मीदों की टकटकी लगाए हुए है तो दूसरी ओर शुभ लग्न मे होने वाले उत्सवी माहौल मे खलल न पड़ जाय इसलिए थोड़ा सा और ठिठने की आग्रह और तीसरी ओर बरसात की भयावता से डरे सहमे लोग ।  इतने सारे असमंजस के बीच अंततः आज तपती धरती को बरसात की पहली बुँदे आह्लादित कर ही गया । तपती धरती पर पड़ने वाली बूंदों से निकलने वाली  मिट्टी की सोंधी खुशबु तन-मन दोनों को सुखद एहसास करा रही है। साथ ही उस तड़प को भी बखूबी वयाँ कर रही है इठलाती बुँदे। परस्पर सहयोग की अपेक्षा (मानव -पर्यावरण )आप मेरा ख्याल रखो और मै तुम्हारा ।   :------------------:

जिज्ञासा उत्सुकता और समाधान /नये स्नातक कोर्स 2023 -24

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  अब तक हम सब  स्नातक स्तर तक आनर्स, सब्सिडियरी, भाषा तथा सामान्य ज्ञान जैसी विषयों से ही परिचित हैं। आज हम चार वर्षीय स्नातक कोर्स की चर्चा करने जा रहे हैं।इनमे विषयों को  कोर्स के रूप मे छह वर्गों मे वर्गीकृत किया गया है।   मेजर कोर्स /Major course माइनर कोर्स /Minor course वैल्यू एडेड कोर्स /value added course मल्टीडिसप्लनेरी कोर्स /Multidisciplinary course एबिलिटी इनहाँसमेंट कोर्स /Ability enhancement course स्किल इनहाँसमेंट कोर्स  /Skill enhancement  course   Major course -- वर्तमान मे जिन विषयों मे आनर्स की पढ़ाई हो रही है। वह सभी विषय मेजर विषय पेपर मे शामिल है। छह सेमेस्टर पूरा करने पर इसी विषय मे आनर्स तथा आठ सेमेस्टर पूरा करने पर इसी मे आनर्स विद रिसर्च की डिग्री मिलेगी।  Minor course  -- इसमे मेजर कोर्स से संबंधित संकाय (कला,विज्ञान, वाणिज्य ) से ही जुड़ा दूसरा विषय होगा।  Value added  course -- इसमे वैसे कोर्स को शामिल किया गया है जो छात्र को सामाजिक व्यवस्था से संबंधित ज्ञान को बढ़ाकर उसे समृद्ध करे । जैसे -कला...

विश्व बंधुत्व की गुलदस्ता

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  22 अप्रैल 2023 का वो पवित्र  दिन जिसमे एक साथ शुभता की फूलों की खुशबु से दमकता हुआ फूलों की गुलदस्ता अक्षय तृतीया,परशुराम जयंती, ईद के साथ ही सम्पूर्ण मानव जीवन को जीवंतता प्रदान करने वाली हमारी धरती माँ के स्वास्थ्य, समृद्धि के लिए मनाए जाने वाले विश्व पृथ्वी दिवस जिसका इस वर्ष का थीम है " हमारे ग्रह मे निवेश करें " का   सुस्वागत सुस्वागत सुस्वागत ! जलवायु परिवर्तन के इस नाजुक दौर मे खुशियों के संगम का संयोग हमे इस बात के लिए प्रेरित करता है की समूचा पृथ्वी एक ही परिवार के विभिन्न रंगों से सुशोभित है। अतः इन रंगों की प्रमाणिकता यों ही बना रहे इसके लिए हमे अपने अधिकारों के साथ साथ अपने व्यवहारों, विचारोंऔर कर्तव्यों का विवेक पूर्ण निवेश करना चाहिए। जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए हम एक स्वस्थ्य व सुखद वातावरण छोड़कर जाने का मर्मस्पर्शी आनंद का अनुभव करें।  :---------------:

लोक आस्था का पर्व मेष संक्रांति ( सतुआन )14 अप्रैल

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आम जन तक सरल व सहज रूप से  पहुँचाने तथा उसे सरलता से अंगीकार करने मे भारतीय पर्व त्योहारों का विशेष भूमिका रही  है।प्राण और शरीर का एक साथ सक्रियता ही जीवन है। जिसके केंद्र मे  ऊर्जा का स्रोत सूर्य है । जहाँ से प्रकृति जगत के समस्त जीव जन्तु समस्त शक्तियाँ प्राप्त करती है। इसी से दिन, हपते, महीने और मौसम मे परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इसी सूर्य की गति को परम्परा से जोड़कर हम पर्व त्योहार मनाते है। जैसे -सूर्य षष्ठी (छठ ), मकर संक्रांति, लोहड़ी, मेष संक्रांति, वैसाखी ,रोंगाली बिहू जिसका सीधा संबंध बदलते मौसम के आहार -विहार से है।  मेष संक्रांति (14 अप्रैल ) से सूर्य की गर्मी /तपिश क्रमशः बढ़ती जाती है जिसके प्रभाव से समस्त जीव जगत का रस सूखने लगता है। लू चलने लगती है। लू से बचने के लिए ही जौ चने की सतू और गुड़ जो की प्रकृति से शीतल होता है। विशेषकर सतू का घोल जिसे नमक,प्याज और आम, पुदीना की चटनी के साथ प्रयोग किया जाता है। जहाँ सतू लू से रक्षा करता है वहीं प्याज मे उपस्थित गंधक पाचन को सही रखता है। पुदीना से गैस संबंधित बीमारियाँ दूर रहती है। इनसे ...

लॉकडाउन और हमारा इंटरनेट

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  मार्च 2020 के लॉकडाउन से प्रारम्भ हुआ डिजिटल दुनिया का नया स्वरूप Work from home । कोरोना रूपी महामारी से बचने के लिए जब हम घर में बंद हुए तो इंटरनेट का कनेक्टिविटी हमे आपस में जोड़े रखा। जिसकी अब आदत सी पड़ गई है। अब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। कई चैनलों के माध्यम से जहाँ नई -नई जानकारियाँ सहजता से मिलने लगी जो की कई  लोगों का रोजगार बन गया। पर सुप्रभाव और दुष्प्रभाव तो हर नई चीज का होता ही है इसका भी हुआ। अफवाहों को फैलाने का एक विस्तृत मंच जो मिल गया सोने पे सुहाग अपनी बातों को कहने की स्वतंत्रता भी।  अभी -अभी अप्रैल 2023 के प्रथम सप्ताह बिहार के कुछ जिलों जिनमे हमारा नालंदा भी शामिल है। बिगड़ती विधि व्यवस्था को सामान्य बनाए रखने के लिए लॉकडाउन जैसी स्थिति बन गई। ऐसा अनुभव हो रहा है की लॉकडाउन एक सामान्य सी परंपरा बन गई है। खैर एक दो दिनों के बाद आवश्यक सेवाएं तो कुछ समय सीमा के लिए बहाल हो गई। पर वर्तमान समय का जीवन रेखा कही जाने वाली इंटरनेट सेवा का सम्पूर्ण रूप से करीब आठ दिनों तक बंद रहना कहाँ तक उचित और अनुचित है। ये एक बड़ा प्रश्न हमारे सामने आ गया है। ...

भारतीय नारी का । रिश्ता साड़ी का ।।

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  साड़ी भारत का केवल एक वैविध्य आकार -प्रकार का वस्त्र ही नही है बल्कि सम्पूर्ण संस्कृति है। जिसकी लोकप्रियता देश- विदेश और वैश्विक पटल तक है। तभी तो G -20 जैसे मंच पर भी जहाँ 20 देशों के प्रतिनिधि अपने विचारों को साझा करके वैश्विकसमस्याओं का समाधान खोजते हैं। इस मंच पर जब भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ मुंडे जो की वर्तमान मे अन्तराष्ट्रिय मुद्रा कोश की Deputy Managing Director भी हैं। अपने भारतीय परिधान साड़ी मे Dress -Up होकर मंच साझा करने आती हैं तो उनके चेहरे पर जो भारतीय होने का गर्व होता है वह केवल एक प्रतिनिधि के रूप मे नही बल्कि सम्पूर्ण भारतीयता को Represent करती है।  ये दृश्य हमे उस वक्त देखने को मिला जब 24 -25 फरवरी 2023 को हुए बैंगलूर बैठक जो सभी देशों के वित मंत्रियों और केन्द्रीय बैंकों के गवर्नर (FMCBG)की बैठक थी। हमारे वर्तमान वित मंत्री श्री मती सीता रमण जी तो हमेशा से ही साड़ी पहनती रही हैं। पर हमेशा से Corporate Dress मे Meeting Attend करने वाली Deputy Managing Director भारत मे होने वाले G-20 के मंच पर भारतीयता का प्रतीक साड़ी पहनकर अपना Presentation देने आती हैं इत...

अमृतकाल का अमृत वेला

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  अभी अभी 8 मार्च को हमने अन्तराष्ट्रिय महिला दिवस पूरे जोश और उत्साह से मनाया है। यह अमृतकाल (2023 -2047 )का पहला वर्ष है। 2022 को पूरे वर्ष अमृत महोत्सव के रूप मे मनाते हुए 15 अगस्त 2022 को आजादी के 75 वें वर्ष पूरे किए। इसके साथ हीआगे के 25 वर्षों को अमृतकाल का नाम देकर आगे बहुत कुछ करना बाकी है की प्रेरणा लेकर बढ़ चले हैं। जब हम 15 अगस्त 2047 को आजादी का शताब्दी वर्ष मना रहे होगें जिसे विशेष बनाने के लिए अभी से ही सतत प्रयास जारी रखना होगा।  आजादी के बाद से अगस्त का महिना हम भारतीयों के लिए विशेष रहा है।आज जब हम आजादी का 75 वें वर्ष मना  रहे हैं तो इसी माह 7 अगस्त 2022 की वो स्वर्णिम यादगार लमहें जिसे हम अमृत वेला कह सकते हैं। जिसमे आनेवाले अमृतकाल का अंकुर प्रस्फुटित होता नजर आ रहा है। यह हमारे लिय विशेष महत्व का इसलिए भी है कि इसमे हमारे गाँवों का देश भारतवर्ष के 75 चुनिंदा गांवों के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं के द्वारा 75 पेलोड से युक्त"आजादी सैट "का श्री हरिकोट के धवन स्पेश सेंटर से सफल प्रक्षेपण  मन मस्तिष्क पर अमित छाप छोड़ गई। यह है तो एक छोटा सा ही उपग्रह प...