लॉकडाउन और हमारा इंटरनेट


 




मार्च 2020 के लॉकडाउन से प्रारम्भ हुआ डिजिटल दुनिया का नया स्वरूप Work from home। कोरोना रूपी महामारी से बचने के लिए जब हम घर में बंद हुए तो इंटरनेट का कनेक्टिविटी हमे आपस में जोड़े रखा। जिसकी अब आदत सी पड़ गई है। अब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। कई चैनलों के माध्यम से जहाँ नई -नई जानकारियाँ सहजता से मिलने लगी जो की कई  लोगों का रोजगार बन गया। पर सुप्रभाव और दुष्प्रभाव तो हर नई चीज का होता ही है इसका भी हुआ। अफवाहों को फैलाने का एक विस्तृत मंच जो मिल गया सोने पे सुहाग अपनी बातों को कहने की स्वतंत्रता भी। 


अभी -अभी अप्रैल 2023 के प्रथम सप्ताह बिहार के कुछ जिलों जिनमे हमारा नालंदा भी शामिल है। बिगड़ती विधि व्यवस्था को सामान्य बनाए रखने के लिए लॉकडाउन जैसी स्थिति बन गई। ऐसा अनुभव हो रहा है की लॉकडाउन एक सामान्य सी परंपरा बन गई है। खैर एक दो दिनों के बाद आवश्यक सेवाएं तो कुछ समय सीमा के लिए बहाल हो गई। पर वर्तमान समय का जीवन रेखा कही जाने वाली इंटरनेट सेवा का सम्पूर्ण रूप से करीब आठ दिनों तक बंद रहना कहाँ तक उचित और अनुचित है। ये एक बड़ा प्रश्न हमारे सामने आ गया है। जिसका उतर हम सब को ही ढूँढना होगा। इससे उत्पन्न परेशानियों का सामना तो हम सबने किया ही है। अगर समय रहते इसमे सुधार नहीं किया गया तो ये एक परंपरा का रुख अख्तियार कर लेगा। इसका वर्गीकरण तो करना ही होगा। सम्पूर्ण सेवाएं बंद करने के बजाय संबंधित सेवाएं ही बंद होता तो वेहतर होता।

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