समाजिक समरसता का अद्भूत नजारा छठ महापर्व
समाजिक समरसता का अद्भूत नजारा छठ महापर्व अपने बिहार में विशेष रूप से मनाया जाने वाला छठ महापर्व एक विशिष्ट स्थान रखता है। प्रत्येक प्राणी के जीवन में सूर्य की अहमियत को दर्शाता सूर्य उपासना की महानता इस बात से स्प्ष्ट परिलक्षित होती है की इसमें स्व -विवेक से बिना किसी दवाब या भेद -भाव के समाज के प्रत्येक वर्ग की निःस्वार्थ भाव से सहभागिता होती है। गंगा तट के नाविकों से लेकर सफाई कर्मचारी ,सब्जीवाले ,फल -फूल वाले ,दूधवाले ,कुम्भकार ,सूप बनाने वाले कारीगर से लेकर घाटों के व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने वाले अधिकरियों तक के ईमानदारी का चर्मोंतकर्ष का दिव्य दर्शन होता है। सूर्योपासक (छठव्रती )को सूर्य के प्रतिनिधित्व के रूप में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। चाहे वह किसी भी वर्ग से हों स्त्री हो या पुरुष उन चार दिनों जिसमे कठिन नियमों को सहजता से पालन करने वाले प्रत्येक व्रती को भगबान भास्कर का प्रतिरूप के रूप में पूजा जाता है। इसका अद्भूत नजारा छठ घाटों पर देखने को मिलता है। इसकी एक और विशिष्ट परम्परा यह है की जहाँ सम्पूर्ण विश्व उगते ...