उत्सवों का सावन







सावन की सोमवारी ,नागपंचमी ,हरियाली तीज ,और परम्पराओ को जीवित रखता मिथिलांचल का मधु श्रावणी। जो सावन कृष्ण पक्ष पंचमी से शुरू होकर शुक्ल पक्ष तृतीया तक चलने वाली नवविवाहितों के लिए आनंद और खुशियों का पिटारा सँजोये यादगार लम्हों का खजाना लिए अरे हाँ पता ही नहीं चला की कब पूर्णिमा के साथ रक्षा बंधन का पावन पर्व भी आ गया। इस रक्षा बंधन के पावन पर्व पर भाई -बहन के स्नेहिल प्यार के साथ सावन की विदाई। पुरे महीने गुलजार होती बागों में फिर से एक खालीपन और भर्राये मन से विदा होती बेटियाँ इस वादे के साथ की अगले सावन फिर मिलूँगी।इन कंधों पर दोनों आँगन को गुलजार करने की जो ममतामयी व् स्नेहिल जिम्मेवारी है चलेअब पिया का घर।अरे हाँ तीज की तैयारी भी जो करनी है। तो फिर मिलते हैं अगले तीज -त्यौहार पर। 



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