पंजाब की फूलकारी
मोटे या खदर के सफेद कपड़े पर रंगीन रेशमी धागे से ज्यामितीय (रेखीये ) आकृति का प्रयोग करके बनाये जाने वाले फूलों का डिजाइन फुलकारी कही जाती है।इसमें मुख्य रूप से डवल रनिंग स्टीच और चेन स्टीच का प्रयोग किया जाता है। इसके कई प्रकार होते है। जैसे -
- चोप -इसमें लाल रंग के चादर पर रंगीन रेशमी धागे से बीच में फूलों के डिजाइन बनाये जाते हैं और चारों कोने पर काले रंग से वही डिजाइन छोटे आकर में बनाये जाते है। मान्यता ये है की नानी अपने नातिन को यह भेंट स्वरूप उपहार देती हैं तो नजर से बचने के लिए काले रंग का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है।
- सुभर - ये भी लाल रंग के चादर पर ही बनाये जाते हैं। इसमें अंतर ये है की इसके बीच में पांच नमूनों वाली डिजाइन बनाये जाते हैं और वही नमूने छोटे आकर में चारों कोने पर भी बनाये जाते हैं। यह माँ अपनी बेटी को फेरे के समय उपहार स्वरूप भेंट प्रदान करती हैं।
- तिलपत्र -यह सस्ते झिरझिरे कपड़े पर यत्र -तत्र नमूने बनाये हुए होते हैं। इसे मालकिन अपने नौकरानी के बेटी के लिए बनाकर देती हैं।
- शिशेदार -यह रेशमी या साटन वस्त्र पर छोटे -छोटे शीशे या अबरख के टुकड़ों से काज स्टीच की सहायता से बनाये जाते हैं।
- कच्छ की फुलकारी -इसके चारों तरफ बॉडर होते हैं और बीच में पशु -पक्षी ,फूल -पत्ती के डिजाइन बने होते हैं।
- नीलक -इसमें नील रंग के खदर कपड़े पर रेशमी पिले रंग के धागे से घरेलू उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे -पंखा ,छाता ,कंघी इत्यादि के डिजाइन का नमूने बने होते हैं।
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