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तितलियों का वसन्त

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ऋतुराज वसंत का मादकता और संयम के साथ सुगंधित फूलों का रसपान करती तितलियाँ वसंत के आगमन का अनायास ही आभास करा जाती है। सम्पूर्ण वातावरण जन -जीवन से लेकर पेड़ -पौधे ,पशु -पक्षी तक को आह्लादित करती है। स्वतः ही रसों का संचार होने लगता है ;झूम उठता है समुचा वातावरण।  संतुलित पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं रंग -विरंगी तितलियाँ। तितलियों में प्रकृति प्रदत विशेष गुण होता है जो सजावटी या हायब्रिड पौधों का स्वतः ही बहिष्कृत करते है और प्रकृतिक या जंगलो में पनपने वाले पौधों के फूल इन्हें अनायास ही आकर्षित करते हैं। क्षेत्र विशेष के स्वास्थ्य का आकलन तितलियों की संख्या पर विशेष रूप से आधारित होती है। इनकी अधिकता बाहुल क्षेत्र को स्वस्थ्य पारिस्थितिक तंत्र और कमी वाले क्षेत्र को खराब पारिस्थितिक तंत्र की श्रेणी में रखा जाता है।  हमारे देश में लगभग 1500 प्रजाति के तितलियाँ पाई जाती है। जो पिछले कई वर्षों से प्रदूषित वातावरण के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्त सी हो गई थी। पर पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान कुम्भ्लाती प्रकृति ने जब राहत की साँस ली तब गुम होती कई प्रजातियाँ फ...

बजट 2021 -22

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                                                              UNION BUDGET 2021-2022 1 फरवरी 2021  दिन के 11 बजे हैं । भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए डिजिटल भारत की ओर एक और कदम बढ़ता हुआ। जब हमारे माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जिन्होंने लाल और सफेद रंग की साडी पहन रखी थीं कम्प्लीट पेपरलेस देशी टैबलेट लाल रंग के अशोक की शील वाले पिटारे से अपेक्षाओं और उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करतीं एक के बाद एक घोषणायें करने लगीं। तो थोड़ी बहुत विरोध के बीच डेस्क पर थपथपाहट से विकास की आहट लगातार गूंजती रही।  इस बार का हमारा बजट सबका साथ सबका विकास के नारे को चरितार्थ करता सरकार से तीन प्रमुख अपेक्षायें  कोरोना के कोप से बाहर निकलना। मानव पूंजी में निवेश बढ़ाना  बुनियादी ढाचें को उन्नत बनाकर रोजगार सृजन और आर्थिक काया कल्प के लिए बढ़ावा देना। पर खरा उतरता 6 स्तंम्भों  स्वास्थ्य और कल्याण।...

Philosophy of Life

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शरीर और प्राणवायु के संयोग को ही जीवन का नाम दिया गया है। या यों कहे की शरीर और जीवात्मा का संयोग ही जीवन है। इस धरा पर मानव जीवन प्रकृति का एक खुबसूरत  उपहार है। यह प्रकृति के पंचतत्वों (जल ,अग्नि ,वायु, आकाश, और धरती )से निर्मित तीन प्रकृति (रजस ,तमस, सत्त्व )स्तम्भों पर विराजमान है।  जीवन का आगाज नर -नारी के मधुर मिलन के संयोगोपरांत पारितोषिक के रूप में मिला हुआ उपहार से होता है। सम्पूर्ण जीवन एक रंगमंच है और हम उसके कठपुतली। इंद्रधनुष के सात रंगो (लाल, नारंगी, पीला, हरा, ब्लू ,इंडिगो ,और बैंगनी )की तरह जीवन भी सप्तधातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद ,अस्थि ,मज्जा ,और शुक्र  )से मिलकर बना हुआ सतरंगी विचाधाराओं को समेटे हुऐ  है। जो आहार -विहार ,आचार -विचार ,वातावरण ,शिक्षा ,समाज के सहयोग और विरोध के झंझावातो से गुजरकर आनंदपूर्ण जीवन का निर्माण करता है।  जब कभी निराशाओ के घने वादल घेर लेते हैं तो मानव मन व्याकुल हो उठता है। मन भारी और बोझिल हो जाता है। इससे उबरने के लिए मनोरंजन के साधनो को ढूंढता है ,प्रकृति के सानिध्य मे होकर उसके बारीकियों पर विचार करता है।...

गृह विज्ञान के नजरिये से 2020

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जैसा की नाम से ही स्पष्ट है गृह विज्ञान यह एक ऐसा विषय है जिसमे कला और विज्ञान दोनों को एक समान समाहित किया गया है। अन्य विषयों के साथ ऐसा नहीं है। या तो वह कला है या विज्ञान। जहाँ कोई विषय वस्तु की गहन अध्ययन करके उस विषय की विशेषज्ञता हासिल तो कर सकता है परन्तु  जब सम्पूर्ण जीवन को एक फ्रेम में करने की कल्पना करते है तो वहाँ कला और विज्ञान दोनों का समान सहभागिता के बिना संतुलित जीवन पद्धति का परिकल्पना ही अधूरी रह जाती है। बहुत हद तक हमारा गृह विज्ञान इस परिकल्पना को पूरा करता नजर आता है। जिसमे जीवन से जुड़ी प्रत्येक पहलू पर आधारभूत जानकारी देने की कोशिश की गई है। अब तक उपेक्षित नजरीये से देखि जाने वाली इस विषय को जिसे एक विषय के रूप में स्वीकारने में ही काफी समय लग गया।  जब नई शिक्षानीति में इस बात पर जोर दिया गया की विद्यार्थी के रूचि के अनुसार विषयों का चयन करने की आजादी होगी एक विज्ञान का विद्यार्थी भी कला विषयों का अध्ययन साथ में कर सकता  है और एक कला या वाणिज्य का विद्यार्थी भी विज्ञान विषयों का अध्ययन कर सकता है। अध्ययन का मुख्य उद्देश्य रोजगारपरक ह...

नये वर्ष का नया संकल्प 2020 -21

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कुछ खट्टी -मिठ्ठी यादों को छोडक़र जानेवाला है यह 2020 जैसा की खेलों में होता है 20 -20 का मतलब। कम ही समय में तेजी से भागते -दौड़ते अधिक से अधिक ऊचाइयों का लक्ष्य निर्धारित करना और उससे भी तेजी से पीछा करके उस लक्ष्य को भेदना। ठीक यही एहसास करा गया हमारा 2020 हमारे सामने जीवन को बचाये रखने का एक बड़ा सा लक्ष्य रख गया। उस लक्ष्य भेद के लए हमारी सारी  कोशिशे कमजोर पड़ रही थी परिस्थितियाँ इतनी तेजी से बदली की जब तक हम कुछ समझ पाते तब तक चक्रवाती तूफान से भी तेज गति से सम्पूर्ण विश्व को अपनी आगोश में समेटता चला गया।और उस तूफान में सम्पूर्ण मानव जाती असमंजस्य और असहाय पानी की बुलबुले की तरह बनते और मिटते चले गए।  इस विषम परिस्थिति में भी पेट की ज्वाला को बुझाने और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ अति उत्साहित और विश्वासी लोग मानवता को बचाये रखने की जदोजहद में बढ़ -चढ़कर हिस्सा लिया बिना अपने और अपनों का परवाह किये वगैर। दिल की गहराइयों से नमन है उन वीर योद्धाओं का स्वाथ्य कर्मी ,सुरक्षा कर्मी ,सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर सफाई कर्मचारी तक जिन्होंने इस मुश्किल की घड़ी में टूटते -विखर...

ART OF LIVING VS MANAGEMENT OF LIFEजीने की कला वनाम जीवन प्रबंधन

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  प्रबंधन व्यक्तिगत कुशलता का द्योतक है। चाहे वह गृह प्रबंधन ,समय प्रबंधन ,वित्त प्रबंधन ,या फिर जीवन का ही प्रबंधन क्यों न हो। प्रबंधन करना एक कला है जो सौंदर्य का प्रतीक भी है। यह संसाधनों की प्रचुरता से उतने प्रभावित नहीं होते जितने व्यक्तिगत विचारों और आदर्शों से। यह एक आंतरिक गुण है जो सभी व्यक्तियों में एक समान नहीं होता फिर भी इसमें शैक्षणिक ,पारिवारिक ,सामाजिक ,आर्थिक तथा आनुभविक गतिविधियो से उत्तरोत्तर क्रमिक निखार आता जाता है।  जीवन जीने की कला से व्यक्तिगत सुख -दुःख प्रभावित होता है जवकि जीवन प्रबंधन हमारे आस -पास के वातावरण तथा परिवार ,समाज और अंततः राष्ट्र को प्रभावित करता है। प्रबंधन शब्द आते ही हमारे दिलो -दिमाग में एक व्यवस्थित परिदृश्य का काल्पनिक चित्र चित्रित हो जाता है। जीवन के प्रत्येक स्तर पर इसकी जरूरत रही है। जाने -अनजाने हम वाल्यकाल से ही अपने आस पास के चीजों को सहेजना सुव्यवस्थित तरिके से रखना अपने चाहने वालों के साथ चीजों को शेयर करना और अनचाहे लोगो से बचाने या छुपाने जैसी प्रवृति प्रबंधन का ही नींव है। घर के बढ़े -बुजुर्गो और शिक्षकों के मा...

हमारा रसोई हमारा अपना औषधालय

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हर घर का रसोईघर वह महत्वपूर्ण स्थान होता है जहाँ घर के प्रत्येक सदस्य का न सिर्फ भूख मिटाने के लिए भोजन बनाने का काम होता है बल्कि हमारी सेहत का खजाना का राज भी छिपा रखा होता है। भोजन को स्वादिष्ट और सुपाच्चय बनाने में मसालो के योगदान को सहज ही भुलाया नहीं जा सकता।अब यहाँ रेखांकित करने योग्य बातें यह है की क्या मसाले सिर्फ भोजन को स्वादिष्ट और सुपाच्चय ही बनाने का काम करते है या उनमे हमारा सेहत का राज भी छिपा होता है। यकीनन सदियों से चली आ रही  हमारी वैदिक और आयुर्वेद के पुस्तकों में वर्णित ज्ञान से यह प्रमाणित होता है की हमारा रसोईघर का प्रत्येक  खाद्य पदार्थ औषधिये गुणों से परिपूर्ण है। जिसका विवेकपूर्ण उपयोग करने से आहार औषध हो जाता है।  इसकी चर्चा एक युनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (460 ईसा पूर्व -370 ईसा पूर्व )ने भी सैद्धांतिक रूप से किया था। उन्होंने आहार चिकित्सा पर विशेष वल दिया जिसका अनुसरण आज भी बड़ी विश्वसनीयता के साथ किया जाता है।   यहाँ कुछ खाद्य वस्तुओं की चर्चा करेंगे जो हमारे दैनिक आहार का हिस्सा भी है और औषध भी। जैसे :- हल्दी :- इसक...