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पहला आयुर्वेद दिवस 23 /9 /2025

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पहला आयुर्वेद दिवस 23 /9 /2025   आयुर्वेद के प्रति जनजागरूकता के उदेश्य से आयुष मंत्रालय की ओर से प्रति वर्ष 23 सितम्बर को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की गई थी।  जिसकी  शुरुआत आज 23 /9/ 2025 को विधिवत की गई है। जिसका आयोजन गोवा के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में किया जा रहा है। इस आयोजन में आयुर्वेद के क्षेत्र में हो रहे नित्य नए अनुसंधान के साथ ही जटिल बीमारियों के इलाज में उनके प्रभावों को विस्तार से बताने और समझाने का प्रयास किया जायेगा। इसी के साथ ही योग की तरह आयुर्वेद को भी मोदी सरकार ने वैश्विक पहचान दिलाने की और पहला कदम बढ़ा चुके हैं।  आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रकृति पर आधारित विज्ञानसम्मत पद्धति है। इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों ही रोगों को एक साथ ठीक करने की अद्भुत क्षमता है। इसलिए इसे सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति कहा गया है। आयुर्वेद हमे सिखाता है की कैसे जीवन में अप्राप्त की प्राप्ति की जाए ,प्राप्त का रक्षण किया जाए,रक्षित की वृद्धि की जाए एवं जो वर्जित है उसका त्याग किया जाए। यही स्वस्थ्य एवं सुखी जीवन का मूलमंत्र है।  #Ayurveda #aay...

नई चुनौतियाँ।

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नई चुनौतियाँ।  वेरोजगारी और बढ़ते रोजगार के दायरे के बीच में कसमसाती जीवन के अनछुए पहलू। अब इसे दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था कहूँ या कलुषित मानसिकता। मन की मनचाहा या योग्यता के अनुरूप काम मिलने या करने से तन और मन दोनों पुलकित होते है। पर इसका प्रतिशत नगण्य है। कभी कभी तो मनचाहा काम की तलाश में इतना देर हो जाता है की हमे पता भी नहीं चलता और हम वेरोजगारी के दवाब को झेलने में असमर्थ हो जाते है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे जो काम करने में हमे अच्छा लगता है या जो करना चाहते है वो हमारे परिवार,समाज,हैसियत, जगह ,लिंग ,मनगढ़ंत मन्यताओ के विपरीत होता है। ऐसे में जब परिवार के सदस्यों का निस्वार्थ साथ मिलता है तो मंजिल पाना जीतना आसान होता है। उतना ही मुश्किल होता है पारिवारिक और सामाजिक दवाब को झेलना। इस अनचाहे दवाब को  झेलकर हम  मानसिक संतुलन खो बैठते है  हमारा मंजिल बहुत पीछे छूट जाता है। इसके परिणामस्वरूप हम आये दिन किसी न किसी शैक्षणिक संस्थानों से युवाओं का आत्महत्या जैसे जघन्य कृत्यों के साक्षी बनते रहते है।  हालाकिं इस दिशा में कई सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओ के द्वार...

स्वस्थ नारी सशक्त परिवार का मजबूत आधार जागरूक जीवन शैली।

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  स्वस्थ नारी सशक्त परिवार का मजबूत आधार जागरूक जीवन शैली।  माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को जन्मदिवस की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ नारी स्वास्थ्य को एक अभियान का स्वरूप देने के लिए सह्रदय  धन्यवाद।  17 सितंबर2025 विश्वकर्मा दिवस से 2 अक्टूबर2025 विजयादशमी तक चलने वाले 16 दिवसीय देशव्यापी स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करती है की परिवार के केंद्र में रहनेवाली नारी अपनेआप को कैसे स्वस्थ रखे ताकि पुरे परिवार का देख भाल अच्छी तरीके से कर पाए। इसके लिए व्यापक  जनजागरूकता विशेष रूप से उत्तरदायी है। एक स्वस्थ्य गृहिणी तैयार करने के लिए उन्हें बचपन से ही अच्छी सेहत  के महत्व को बताना होगा। आइये जानते है उम्र के अलग -अलग पड़ाव पर किन बातों का रखें विशेष ख्याल।  हीमोग्लोबीन को 12 की उम्र तक कम से कम 12 तक रखने का लक्ष्य रखें। ताकि प्रजनन की उम्र तक लड़कियाँ स्वस्थ्य रहे और आगे की चुनौतियां कम हो।  बीस की उम्र तक कैल्शियम,आयरन,प्रोटीन,कार्बोज,वसा,और अन्य जरूरी पोषक तत्वों का संतुलित मात्रा आहार में शामिल हो। ताकि आगे सेहत...

जीवन मूल्यवान है।

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 जीवन मूल्यवान है।  जीवन के संघर्षो से जब कभी हम घबराकर विचलित होते हैं तो अपना ही जीवन व्यर्थ महसुस होने लगता है। हम निराशाओ के समंदर में गोते लगाने लगते है। और कल्पना करने लगते हैं वेहतर भविष्य की। कल्पना वह भविष्य है जिसका वर्तमान से कोई संबंध नहीं है। जिस तरह से सभी वृक्ष की ऊँचाई उसके पत्ते ,फूल,फल,और छाया एक जैसा नहीं होता ठीक उसी तरह प्र्त्येक वयक्ति की अपनी अपनी विशेषता होती है। यही वो समय होता है अपने अंदर झाकने की गंभीरता से सोचने कीऔर वर्तमान परिस्थितियों को कोसने के बजाय उसे अवसर के रूप में स्वीकारने की। वर्तमान में किये गए कार्यों से ही हम भविष्य की कल्पनाओ का आकार गढ़ते है।जब हमअपनी सोच को सकारात्मक दिशा देने की ओर बढ़ते है तो हम उस परिस्थिति को सहर्ष स्वीकार करते है की जो हमे आज यह अवसर प्राप्त हुआ है वह वर्तमान को संवारने के लिए है यही भविष्य का आधार बनेगा। जीवन आगे बढ़ने का नाम है न की परिस्थितियों से घबराकर समाप्त करने का। जीवन में अगर सागर चाहिए तो हमे छोटी छोटी नदियों में अविरल प्रवाहित होना सीखना ही होगा। जीवन में हमें जो भी अवसर मिले उसका पूर्ण सदुपयोग में ह...

राखी से रक्षा

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  राखी से रक्षा  आज राखी का त्यौहार मनाया जा रहा है। चारो तरफ हर्षोल्लास का वातावरण है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक अपनी भावनाओ को अपने-अपने  तरीके से प्रस्तुत  कर रहे हैं। इसमें एक बात की जो समानता है वो यह है की सभी एक दूसरे की कुशल मंगल की कामना कर रहे हैं। परिवर्तन जीवन का अभिन्न अंग है। आज हम AI के जमाने की बात करते हैं जहां हर काम आसानी से होता हुआ दीखता है। पर कहीं न कहीं भवनात्मकता और रचनात्मकता को गहराई से प्रभावित करता प्रतीत होता है। इतना सुविधा सम्पन्न होने की बात करते करते जाने अनजाने इसमें कुछ खालीपन समाहित हो गया है। तभी तो जिस रक्षाबंधन पर बहनें अपनी भाई से अपनी  सुरक्षा की उम्मीद लगाए रहती थी। आज एक दूसरे की सुरक्षा की उम्मीद और अपेक्षायें पनपने लगी है। रिश्तों की मिठास अब एक औपचारिकता में बदलने लगी है।  आओ इस रक्षाबंधन हम औपचारिकता से बाहर निकलकर रिश्तों में मिठास भरें। सावन की पूर्णिमा की तरह रिश्तों को पूर्णता प्रदान करें।  #रक्षाबंधन #राखी #भाई-बहन #शुभ तिलक #अक्षत #मिठाई #सावन पूर्णिमा #मायका #खुशहाली #आवागमन #पूर्णता 

ध्यान की दशा ,दिशा और पूर्णता

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ध्यान की दशा ,दिशा और पूर्णता   ध्यान की पहली सीढ़ी है शारीरिक योगाभ्यास और दूसरी है प्राणायाम। जिसमे हर श्वास के साथ मन शांत होता जाता है। ध्वनि का ध्यान से गहरा संबंध है। ध्वनि से मौन की और बढ़ता मन आंतरिक संवेदनाओं को महसूस करता हुआ तीसरे पायदान को पार करता है। ये संवेदनाएं करुणा,क्रोध,हताशा या परमान्द के चरम को स्पर्श करता है..यही वह  स्थान होता है जहाँ काफी सजगता की जरूरत होती है। यहाँ पर जो आंतरिक शक्तियां जागृत होती है वह हमें आसमान की ऊचाइयों तक पहुंचा सकता है या धरातल की गहराइयों में भी धकेल सकता है।   चौथा पायदान है ज्ञान का जिसमे विज्ञान के अद्भुत तथ्यों को जानते हुए ब्रम्हाण्ड के रहस्यों को समझने की कोशिश करते हैं। पाचवाँ और अंतिम पायदान होता है मंत्र का जिसमे ध्वनि एक तरंग की तरह होती है। जिसका कम्पन महत्वपूर्ण होता है। यह हमारी आंतरिक स्तरों को स्पर्श करता हुआ एक बीज की तरह प्रस्फुटित होता है। इसे हम एक सहज वातावरण में सहज शारीरिक मुद्रा के साथ घटित होता हुआ महसुस करते हैं। अंततः हम पाते हैं की ध्यान कोई गंभीर प्रयास नहीं बल्कि सहज उपलब्धि है।  ...

अहमदाबाद विमान हादसा।

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अहमदाबाद विमान हादसा।   12 जून 2025 की वो मनहूस दोपहरी जब अहमदाबाद के सरदार वल्ल्भभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से अब तक का सबसे सुरक्षित समझा जाने वाला एयर इण्डिया का बोईंग ड्रीमलाइनर विमान ए आई 0171 ने जैसे ही 1. 39 pm पर रनवे -23 से उड़ान भरी ही थी की महज दो ही मिनट के अंदर एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के भवन से टकराते हुए मेस पर जा गिरा। चंद ही मिनटों में पूरा विमान एक आग के गोले में तब्दील हो गया। इसमें चालक दल व् क्रू सदस्य सहित 242 यात्री सवार थे। जिसमे एक विश्वास कुमार रमेश नाम के यात्री को छोड़कर बाकी सभी उस आग के आगोश में समा गए।  अब यहाँ एक संयोग, इतिफाक या चमत्कार कहें।इसमें 11 A सीट पर बैठा विश्वास कुमार रमेश नामक यात्री जीवित  निकला। जब 1988 में दक्षिण थाइलैंड में लैंडिंग के समय विमान हादसा हुआ था तो उसमे भी 11 A सीट पर बैठा यात्री भी चमत्कारी रूप से जीवित निकला था। 1988 का ही एक और विमान हादसा में समानता है। जब मुंबई से अहमदाबाद आ रहा इंडियन एयर लाइन्स का विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट के इसी रनवे -23 पर लैंडिग करते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमे सवार 13...