राखी से रक्षा

 



राखी से रक्षा 

आज राखी का त्यौहार मनाया जा रहा है। चारो तरफ हर्षोल्लास का वातावरण है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक अपनी भावनाओ को अपने-अपने  तरीके से प्रस्तुत  कर रहे हैं। इसमें एक बात की जो समानता है वो यह है की सभी एक दूसरे की कुशल मंगल की कामना कर रहे हैं। परिवर्तन जीवन का अभिन्न अंग है। आज हम AI के जमाने की बात करते हैं जहां हर काम आसानी से होता हुआ दीखता है। पर कहीं न कहीं भवनात्मकता और रचनात्मकता को गहराई से प्रभावित करता प्रतीत होता है। इतना सुविधा सम्पन्न होने की बात करते करते जाने अनजाने इसमें कुछ खालीपन समाहित हो गया है। तभी तो जिस रक्षाबंधन पर बहनें अपनी भाई से अपनी  सुरक्षा की उम्मीद लगाए रहती थी। आज एक दूसरे की सुरक्षा की उम्मीद और अपेक्षायें पनपने लगी है। रिश्तों की मिठास अब एक औपचारिकता में बदलने लगी है। 

आओ इस रक्षाबंधन हम औपचारिकता से बाहर निकलकर रिश्तों में मिठास भरें। सावन की पूर्णिमा की तरह रिश्तों को पूर्णता प्रदान करें। 

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