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टीकाकरण / Vaccination

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टीके  का  जनक  Dr.एडवर्ड जेनर को  कहा  जाता है I  जिन्होंने 1798 ईस्वी  में चेचक  महामारी  के घातक प्रभाव से बचने के लिए चेचक रोग के निष्क्रिय विषाणुओं से ही चेचक से  बचाव के  टीके का आविष्कार किया  था I  टीका क्या  है ?  शरीर में रोग उत्पन्न करने वाले Pathogens रोगाणु (विषाणु, जीवाणु, कवक, परजीवी) के कमजोर, निष्क्रिय, मृत प्रारूप में लेकर  वैज्ञानिक तरीके से उसका उत्पाद तैयार करके मुहँ या injection के द्वारा स्वास्थ्य शरीर में प्रविष्ट कराया जाता है तो यह बिना रोग उत्पन्न किये बचावकारी कोशिकाओं के निर्माण अथवा antibodies के निर्माण करके शरीर में प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं I इसे ही  टीके  के नाम से जानते हैं I  अलग-अलग बीमारी  से सम्बन्धित टीके  के  खुराक और समय  का  अन्तराल  अलग-अलग  होता है I जिसे  एक chart/सारणी के द्वारा  समझेंगे I                 Source :  https://main.mohfw.gov.in/sites/d...

घरौंदे की महारानी /queen of gharaunda

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मिट्टी की रेत और कागज के कैनवास पर आड़ी तिरछी रेखाओं के सहारे  बनाये गए घरौंदे में भविष्य की सपनें बुनती एक पवित्र निश्छल आत्मा। जब अपने पुरे परिवार का अपने प्रति किये गए व्यवहार के अनुकूल तस्वीरों को उकेरती है। तब उसमे एक खाली मन के कोने में अपने परिवार के बड़े बुजुर्ग सदस्यों के द्वारा सपनों के हमसफर का अंकित कराई गई व्यक्तित्व से जब समय के साथ सामना होती है। तब उस घरौंदे की महारानी के चेहरे पर अपार खुशी या विस्मयादि बोधक भाव आते हैं। वही भाव भविष्य के महल का बुनियाद होता है। जिसे हमे ही तय करना होता है की हमारा भावी महल का प्रारूप कैसा होगा।  अब तक हम और हमारा दिल दिमाग परिपक्क्व हो चूका होता है।  :----------------------: 

वर्तमान वनाम भावी नैक मूल्यांकन व्यवस्था

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ग्रेडिग - बाइनरी -लेवल ऑफ एक्सीलेंस। इंडस्ट्री की तरह  शिक्षण संस्थानों का लेवल वर्गीकरण करने वाला भारत पहला देश होगा। जिसकी तैयारी अपने अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर है। इस  व्यवस्था  को दिसंबर 2024 से लागू होने की पूरी संभावना है। मौजूदा ग्रेडिंग सिस्टम सात स्तरीय सिस्टम है। (A ++, A +, A, B ++, B +, B और C ग्रेड ) जबकी नई व्यवस्था में दो ही किस्म के संस्थान होगें। मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त। मान्यता प्राप्त संस्थानों को लेवल ऑफ एक्सीलेंस का भी प्रावधान होगा। उन्हें परिपक्वता के आधार पर 1 ,2 ,3 ,4 और 5 तक का लेवल मिलेगें। जिसके लिए इन संस्थानों को पेटेंट,रिसर्च,पब्लिकेशन,इनोवेशन,प्लेसमेंट,इन सबका समाज पर असर जैसी मानको पर खरा उतरना होगा। इनमे 1,2,3,और 4 नेशनल लेवल के जबकि 5 इंटरनेशनल लेवल का होगा।    :--------------------:

UGC NET 2024 का बदला स्वरूप

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  एक परीक्षा तीन परिणाम JRF ,NET ,PH.D  अलग अलग विश्वविद्यालयो के द्वारा ली जाने वाली पी एच डी प्रवेश परीक्षा से विद्यार्थो को छुटकारा दिलाने के उदेश्य से ही नेट उत्तीर्णता से ही नामांकन लेने का निर्णय स्वागत योग्य है।तीनो परिणामो के तीन अलग अलग लाभ होंगें।  JRF सबसे अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थी इस श्रेणी के अंतर्गत होंगे जिन्हे पी एच डी  में नामांकन भी होगा फेलोशिप भी मिलेगा और सहायक प्रोफेसर के लिए योग्य भी माने जायेगें।  NET दूसरे श्रेणी के अभ्यर्थी सहायक प्रोफेसर और पी एच डी में नामांकन दोनों के लिए योग्य होंगे। परन्तु इन्हें कोई सहायता राशि नहीं दी जाएगी। नामांकन में  भी 70 %नेट स्कोर और 30 %साक्षात्कार का वेटेज होगा।  Ph .D ये होंगें तीसरे श्रेणी के अभ्यर्थी जो सिर्फ पी एच डी में नामांकन के लिए योग्य होंगें इन्हे भी 70 %और 30 %का मापदंड अपनाना होगा। इन्हें भी कोई सहायता राशि नहीं दी जाएगी।  श्रेणी दो और तीन का नेट स्कोर पी एच डी में नामांकन के लिए एक ही वर्ष के लिए मान्य होगा। सहायक प्रोफेसर के लिए अंतिम उम्र तक के लिए मान्य होगें। ...

विकसित भारत के लक्ष्य प्राप्ति में शिक्षा, शिक्षक और पाठ्यक्रम के केन्द्र में सतत विकास I

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सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो भविष्य  की बुनियादी जरुरतों को नुकसान पहुंचाये बिना ही वर्तमान की जरुरतों  को पूरा करने की जुगत खोजता है I इसके केन्द्र में अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण को इस तरीके से पिरोया गया है की किसी एक के बिना दूसरे की पूर्णता अधूरी रह जाती है I इस पूर्णता की  प्राप्ति  तभी  सम्भव है जब भावी पीढ़ी को उसका समुचित और व्यवस्थित ज्ञान दिया जाय I इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के पाठ्यक्रमों में जो बदलाव करके आवश्यक ज्ञान कौशल, आधुनिक तकनीक व उपकरण, मूल्यों के समझ के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण संरक्षण के ज्ञान को समाहित किया गया है वो विकसित भारत के लक्ष्य प्राप्ति का पहला कदम है I  अब उन पाठ्यक्रमों को विद्यार्थियों तक सरल, सुगम्य और रोचक तरीके से प्रेषित करना शिक्षकों के कुशलता पर काफी निर्भर करता है I इसके लिए बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी समय-समय पर उन्नत शिक्षण  की जरूरत होती है I  शिक्षण कार्य का मुख्य उद्देश्य ही होता है ज्ञान और व्यवहार में परिवर्तन लाना I जिसमें बाह्य और आंतरिक अभिप्रेरणा का विशेष मह...

सनातन संस्कृति बचाने की जद्दोजहद और लिविंग रिलेशनशिप की बेतहास बढ़ती प्रवृत्ति I

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हम  2047  के विकसित  भारत  के  सुयोग्य  नागरिक  होने  की संकल्प  लिए क्रमश: आगे  बढ़  रहे  हैं I एक ओर हमें  अपनी  समृद्ध  सनातनी  संस्कृति  पर  गर्व  है I वहीँ  दूसरी  ओर वैश्वीकरण  के साँस्कृतिक  आदान-प्रदान  के  क्रम  में हमारी  युवा पीढ़ी इसकी  मिठास  को  भूलने  लगी  है I जिसे बनाये  रखने  की  जिम्मेवारी इस  सभ्य  समाज  कहे  जाने वाले  संस्था  पर  उतना ही  है  जितना शिक्षा  व्यवस्था और  विधि व्यवस्था पर  भी है I  आज हम आत्म  निर्भर  भारत  की  बात  कर  रहे  हैं I  कई  क्षेत्रों में  (कृषि, लघु  उद्योग, बड़े  बड़े  कल -कारखाने,कौशल विकास ) इस  पर  तेजी  से काम  किये जा रहे  हैं I पर कहीं  न  कहीं हमारी  युवा  पीढ़ी लीविंग रिलेशनशिप  की ...

होली

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वर्ष परिवर्तन के संधि वेला में अग्नि पूजन (अगजा) का प्रावधान है।जिसमे जलावन के अवशेष (लकड़ी ,पुआल,गोबर के उपले, सरसों के सूखे डंडल, चने,मसूर, खेसारी,गेहुँ  के सूखे पौधे,)को प्रत्येक घरों से इकठ्ठा करके गाँव या शहर के उत्तर दिशा में निर्धारित समय पर प्रज्वलित किया जाता है। जसमे लोग अपने-अपने घरों से पकौड़ियाँ, गेहूँ ,चने की बालियाँ की आहुति दी जाती है। जो प्रतीक है अपने मन मष्तिष्क में वर्ष भर में उपजी विकारों को आहूत करने की।अगले दिन वहीं के धूल से तिलक के शुरुआत करके रंगों की बौछार तक पूरे हर्षोलास के साथ किसी न किसी की हो ली के संकल्प के साथ अपने अपने हमजोली को पूर्ण समर्पण से समर्पित हो जाना ही होली का मर्म है।  हो ली (होली) :------------------------------: