सनातन संस्कृति बचाने की जद्दोजहद और लिविंग रिलेशनशिप की बेतहास बढ़ती प्रवृत्ति I
आज हम आत्म निर्भर भारत की बात कर रहे हैं I कई क्षेत्रों में (कृषि, लघु उद्योग, बड़े बड़े कल -कारखाने,कौशल विकास ) इस पर तेजी से काम किये जा रहे हैं I पर कहीं न कहीं हमारी युवा पीढ़ी लीविंग रिलेशनशिप की पाश्चात्य अवधारण के चंगुल में फंसती नजर आ रहीं हैं I जो आने वाले समय में पारिवारिक संरचना की बुनियाद को ही हिला कर रख देगी यदि समय रहते इस पर काम नहीं किया गया I
इसके परिणाम अब डरावनी तस्वीरें प्रस्तुत करने लगी है I युवा पीढ़ी दुविधा के भंवरलाल में स्पष्ठता से फंसती नजर आ रही है I एक ओर इसे स्वतंत्रता का अधिकार कहकर इसे कायम रखने की जोरदार वकालत करते नजर आते हैं वहीँ दूसरी ओर पारिवारिक संरचना की बुनियाद विवाह को बंधन समझकर या तो इससे कतराने लगे हैं या विवाह की पवित्रता को समझने की जगह इसे गुड्ढे गुड़ियों का खेल समझने लगे हैं I इसका दूरगामी परिणाम बड़ी भयावह हो सकती है I इस पर ठहरकर सोचना ही होगा हम आने वाले पीढ़ी को कैसा. समाज भेंट करने जा रहे हैं I
गुलामी के प्रतीक चिन्हों, नियमों, नामों, अवधारणाएं, शिक्षा व्यवस्था से लेकर बाजार व व्यपार व्यवस्था में जो सकारत्मक बदलाव किये जा रहे है सराहनीय हैं I पर सम्पूर्ण मानव जीवन के चार स्तम्भ (बचपन, युवा, प्रौढ, वृद्धा) की पवित्रता और समुचित प्रबंधन की दिशा मे काम किये बिना भारत को विश्व गुरु बनने तथा विकसित भारत का सपने साकार होने में प्रश्नचिन्ह लगता नजर आ रहा है I
हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी से विनय पूर्वक आग्रह होगी की आप जैसे दूरदृष्टि वाले नजर ही इसके दूरगामी परिणाम को निहार सकते हैं और समाधान भी दे सकते हैं I
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