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भारतीय नारी का । रिश्ता साड़ी का ।।

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  साड़ी भारत का केवल एक वैविध्य आकार -प्रकार का वस्त्र ही नही है बल्कि सम्पूर्ण संस्कृति है। जिसकी लोकप्रियता देश- विदेश और वैश्विक पटल तक है। तभी तो G -20 जैसे मंच पर भी जहाँ 20 देशों के प्रतिनिधि अपने विचारों को साझा करके वैश्विकसमस्याओं का समाधान खोजते हैं। इस मंच पर जब भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ मुंडे जो की वर्तमान मे अन्तराष्ट्रिय मुद्रा कोश की Deputy Managing Director भी हैं। अपने भारतीय परिधान साड़ी मे Dress -Up होकर मंच साझा करने आती हैं तो उनके चेहरे पर जो भारतीय होने का गर्व होता है वह केवल एक प्रतिनिधि के रूप मे नही बल्कि सम्पूर्ण भारतीयता को Represent करती है।  ये दृश्य हमे उस वक्त देखने को मिला जब 24 -25 फरवरी 2023 को हुए बैंगलूर बैठक जो सभी देशों के वित मंत्रियों और केन्द्रीय बैंकों के गवर्नर (FMCBG)की बैठक थी। हमारे वर्तमान वित मंत्री श्री मती सीता रमण जी तो हमेशा से ही साड़ी पहनती रही हैं। पर हमेशा से Corporate Dress मे Meeting Attend करने वाली Deputy Managing Director भारत मे होने वाले G-20 के मंच पर भारतीयता का प्रतीक साड़ी पहनकर अपना Presentation देने आती हैं इत...

अमृतकाल का अमृत वेला

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  अभी अभी 8 मार्च को हमने अन्तराष्ट्रिय महिला दिवस पूरे जोश और उत्साह से मनाया है। यह अमृतकाल (2023 -2047 )का पहला वर्ष है। 2022 को पूरे वर्ष अमृत महोत्सव के रूप मे मनाते हुए 15 अगस्त 2022 को आजादी के 75 वें वर्ष पूरे किए। इसके साथ हीआगे के 25 वर्षों को अमृतकाल का नाम देकर आगे बहुत कुछ करना बाकी है की प्रेरणा लेकर बढ़ चले हैं। जब हम 15 अगस्त 2047 को आजादी का शताब्दी वर्ष मना रहे होगें जिसे विशेष बनाने के लिए अभी से ही सतत प्रयास जारी रखना होगा।  आजादी के बाद से अगस्त का महिना हम भारतीयों के लिए विशेष रहा है।आज जब हम आजादी का 75 वें वर्ष मना  रहे हैं तो इसी माह 7 अगस्त 2022 की वो स्वर्णिम यादगार लमहें जिसे हम अमृत वेला कह सकते हैं। जिसमे आनेवाले अमृतकाल का अंकुर प्रस्फुटित होता नजर आ रहा है। यह हमारे लिय विशेष महत्व का इसलिए भी है कि इसमे हमारे गाँवों का देश भारतवर्ष के 75 चुनिंदा गांवों के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं के द्वारा 75 पेलोड से युक्त"आजादी सैट "का श्री हरिकोट के धवन स्पेश सेंटर से सफल प्रक्षेपण  मन मस्तिष्क पर अमित छाप छोड़ गई। यह है तो एक छोटा सा ही उपग्रह प...

हमारा खान - पान का PH मान

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  हमारे शरीर मे आहार से प्राप्त रसों तथा शारीरिक अंतः क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न घोलक  पदार्थ (खून, पसीना, मूत्र, आंतरिक रस )मे पाए जाने वाले अम्ल और क्षार  की मात्रा को PH मान पर मापा जाता है। जिसकी खोज 1909 ई० मे एक डेनमार्क के वैज्ञानिक डॉ o सोरेन सोरेनसेन ने की है।  PHमान निकालने के लिए पदार्थों को घोलक प्रारूप मे २५ डिग्री c पर मापा  जाता है । जिसे PH मान स्केल पर 0  से 14 तक इकाई के रूप मे दर्शाई जाती है। जिसका प्रारूप कुछ इस प्रकार है।  7 से कम अम्लीय तथा 7 से अधिक क्षारीय को दर्शाता है। बीच के 7 मानक को उदासीन न अम्लीय न क्षारीय जो की उतम स्वास्थ्य के अनुकूल माना  गया है।  PH हाइड्रोजन की क्षमता को दर्शाता है। जिसे अम्लीय,क्षारीय और उदासीन ये तीन वर्गों मे वर्गीकृत करके चीजों की गुणवता को परखते हुए स्वास्थ्य के अनुकूल ग्राह्यता निर्धारित की गई है।  आइए अब हम कुछ दैनिक आहार मे प्रयोग किए जाने वाले वस्तुए तथा शारीरिक क्रियाओं के संचालन हेतु निर्माणक  द्रव्यों के PHमान को जाने । शारीरिक तत्व :-- खून -7.4  मानव मूत्र 5.5 ...

यात्रा :राजगीर वन्यप्राणी सफारी

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  अंततः वो दिन( 27 /01 /2023 शुक्रवार )आ ही गया जिसका पिछले दो वर्षों से इंतजार था। लॉकडाउन के आँख मिचौली के बीच अब पूर्णतः इस सफारी का आम जनता के लिए खुलना वाकई उत्साह और रोमांच से भरपूर प्रकृति का सानिध्य एक अलग दुनिया के सैर का अनुभव कराता  है। सुबह नौ बजे से शाम के पाँच बजे (9 Am to 5 Pm )तक इसका दरवाजा खुला रहता है। इसमे प्रवेश के लिए online और ofline दोनों तरह का टिकट उपलब्ध है। पर अपने अनुभव से बताना चाहूँगी की online टिकट लेने से आपके समय का काफी सदुपयोग हो जाता है। साथ ही थोड़ी सी भी समय प्रबंधन कर लें (कब कहाँ किस क्रम मे जाना है)तो आप यात्रा का पूरा आनंद उठा सकते हैं। अन्यथा एक टिकट पर दिए गए 4 घंटे का समय पूरे सफारी घूमने के लिए कम पड़ जाएगा।  आइए करते हैं समय प्रबंधन। सबसे पहली और खास बात दरवाजे पर हल्का नाश्ता का प्रबंध होता है आप अपने स्वादानुसार उसका लुप्त उठाकर ही अंदर प्रवेश करें। प्रवेश द्वार से सटे ही म्यूजियम है उसे देखने से खुले मे वन्य प्राणियों (चीता, शेर, बाघ, भालू,अनेक प्रजाति के हिरण, बंदर )को घूमते देखने का उत्साह दोगुना हो जाएगा । अब आप जू सफारी...

पंचकर्म चिकित्सा

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  आयुर्वेद मे सम्पूर्ण शरीर को शुद्धिकरण करने का विशेष प्रक्रिया है पंचकर्म चिकित्सा। दूसरे शब्दों मे इसे संशोधन चिकित्सा भी कहते हैं। महर्षि चरक और वाग्भट्ट के मतों मे थोड़ी सी मतान्तर देखने  को मिलती है। महर्षि चरक के मतानुसार पंचकर्म के अंतर्गत वमन, विरेचन, आस्थापन, अनुवासन और शिरोविरेचन को स्थान दिया गया है। जबकि महर्षि वाग्भट्ट के मतानुसार पंचकर्म मे  वमन, विरेचन, नस्य,वस्ति और रक्तमोक्षण का उल्लेख मिलता है।  वमन और विरेचन को दोनों ने ही प्रधानता दी है।  वमन - वमन का प्रयोग आमाशय मे संचित कफ दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य द्रव्य होता है मधु।  विरेचन -  आमाशय और पक्वाशय  मे संचित पित दोषों को दूर करने के लिए विरेचन का प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य द्रव्य घी होता है।  वस्ति --  शब्दांतरण से वस्ति के अंतर्गत ही इन्हे दो उपवर्ग आस्थापन वस्ति और अनुवासन वस्ति का प्रयोग पक्वाशय मे संचित वातदोष   को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य द्रव्य तैल होता है और रोगनुसार अन्य औषधियों का सहयोग लिया जाता है।...

वसंत के इस बदलते मौसम मे कैसा हो हमारा आहार- विहार

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ऋतु परिवर्तन के समय प्रकृति में परिवर्तन आने के साथ ही साथ हमारे शरीर मे भी परिवर्तन आना स्वभाविक प्रक्रिया है।हमारा शरीर कफ, पित और वात रूपी त्रिस्तम्भ के संतुलन पर विराजमान है। इनमे से किसी एक की न्यूनता या अधिकता सम्पूर्ण शारीरिक तंत्र की गतिविधियों को अनियंत्रित कर सकता है। जिससे हमारा स्वास्थ्य विशेष रूप से प्रभावित होता है। आयुर्वेद मे ऋतु विशेष मे किन दोषों का प्रकोप होता है उन्हें कैसे रोगोउत्पति से पहले शमन करना चाहिए इसकी विशेष चर्चा की गई है। जैसे -वर्षा ऋतु मे वायु का शरद ऋतु मे पित का और वसंत मे कफ का प्रकोप प्रधान रूप से होता है।  वर्तमान समय ठंढ का मौसम जाने वाला है और वसंत का आगमन होने वाला है या यू कहें की वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा )से ही इसका प्रारम्भ हो जाता है। खान -पान से लेकर वस्त्र परिधान जो अब तक गर्म और भारी प्रकृति के हुआ करते थे अचानक से हल्के वस्त्र और कुछ हल्के आहार की चाहत कुलाचे भरने लगते हैं । इस पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक हो जाता है । इसे क्रमशः धीरे -धीरे कम करने की जरूरत होती है। जहाँ सुबह- शाम और रातें ठंडी होती है वहीं दोपहर काफी गर्म होने लगता ...

हर-हर गंगे घर-घर गंगे

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  जब हम कभी कथानकों में कही -सुनी बातों को हकीकत में देखते हैं तो आश्चर्य से हमारी आँखें विस्मयादी बोधक भावों के साथ खुली की खुली रह जाती है। ऐसे ही अविस्मरणीय क्षण के हम बिहारवासी साक्षी बने। जब  27/11/2022 को गंगा की पहली नल -जल धारा गंगा से 100 -150 किलोमीटर दूर पाइप से होते हुए राजगीर, गया और बोधगया मे निर्मित जलाशयों मे संग्रहीत होकर राजगीर के घरों के नलों मे समाहित होकर नल -जल धारा के रूप मे प्रवाहित हुई । तत्पश्चात 28/11/2022 को बुद्ध की तपोभूमि गया और बोधगया के पवित्र धरा पर भी इस नल -जल का पदार्पण हुआ ।  भागीरथी प्रयास से धरती पर गंगा अवतरण की कहानी तो हम सबने पढ़ी -सुनी है । पर अभी -अभी जो हमने हर -हर गंगे से घर -घर गंगे की यात्रा पूरी की है यह हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का दूरदर्शी दृष्टिकोण का फलीभूत परिणाम है । जिसकी कल्पना करना ही अपने आप मे अद्भूत है और उसका ससमय क्रियान्वित होना सच में किसी चमत्कार से कम नही है ।  यह परियोजना जल जीवन हरियाली का हिस्सा है । जिसकी लागत लगभग 4500 करोड़ तक की है । जल की महत्व को समझते हुए इसकी अनावश्यक खर...