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नवरात्र के नौ दिन

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   नवरात्र आत्मा और प्राण का उत्सव है। आत्मा और प्राण का संयुक्त अवस्था ही जीवन है। जो मूलतः तीन गुणों (सत्व ,रज और तम )से युक्त त्रिस्तम्भ पर विराजमान होकर जीवन को गति प्रदान करता है। नवरात्र में हम इन्ही गुणों में तालमेल बिठाने के उद्देश्य से दुर्गा के नौ रूपों क्रमशः (माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारणी ,माँ चंद्रघंटा ,माँ कूष्मांडा ,माँ स्कंदमाता ,माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि ,माँ महागौरी ,माँ सिद्धिदात्री ) की यथा सम्भव अल्पाहार ,फलाहार , उपवास आदि के माध्यम से सधना और उपासना करते हैं।  हमारी सनातन संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है ईश्वर को माँ के रूप में देखना और पुकारना। माँ सृजन और पालन की पराकाष्ठा होती हैं। इन्हीं ईश्वरीय शक्ति की महत्ता के मर्म को समझने और उसे महसुस करने के उद्देश्य से माँ के नौ रूपों के पूजन के साथ ही 2 से 10 वर्ष की कुँवारी कन्याओं के पूजन का विधान है। जिसका वर्णन श्रीमददेवीभागवत के प्रथम खंड के तृतीये अध्याय में वर्णित है। जो इस प्रकार है।  2 वर्ष की कन्या कुमारी कही गयी हैं।  जिसके पूजन से दुःख -दरिद्रता ,शत्रुओं का नाश हो...

उत्सवों का सावन

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सावन की सोमवारी ,नागपंचमी ,हरियाली तीज ,और परम्पराओ को जीवित रखता मिथिलांचल का मधु श्रावणी।  जो सावन कृष्ण पक्ष पंचमी से शुरू होकर शुक्ल पक्ष तृतीया तक चलने वाली नवविवाहितों के लिए आनंद और खुशियों का पिटारा सँजोये यादगार लम्हों का खजाना लिए अरे हाँ पता ही नहीं चला की कब पूर्णिमा के साथ रक्षा बंधन का पावन पर्व भी आ गया।  इस रक्षा बंधन के पावन पर्व पर भाई -बहन के स्नेहिल प्यार के साथ सावन की विदाई।  पुरे महीने गुलजार होती बागों में फिर से एक खालीपन और भर्राये मन से विदा होती बेटियाँ इस वादे के साथ की अगले सावन फिर मिलूँगी। इन कंधों पर दोनों आँगन को गुलजार करने की जो ममतामयी व् स्नेहिल जिम्मेवारी है चलेअब पिया का घर। अरे हाँ तीज की तैयारी भी जो करनी है। तो फिर मिलते हैं अगले तीज -त्यौहार पर।                                                                        ...

जीवन का संघर्षकाल और भाषा की चुनौतियाँ

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                                                                                           मनुष्य एक  सामाजिक प्राणी  है ऐसा हम सभी जानते हैं। जितना सच मनुष्य का सामाजिक होना है उतना ही सच सामाजिक होने में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान का भी है। अपने मनोभावों के अभिव्यक्ति के कई तरीके हैं जैसे --स्पर्श , बोल -चाल की भाषा , गीत -संगीत , नृत्य , चित्रकला , संकेत इत्यादि। इन सब में भाषा का माध्यम सबसे सरल और प्रभावी भी है। पर जब एक नवजात शिशु जो अभी बोलना भी नहीं सीखा है वह भी स्पर्श की भाषा को बड़ी ही सहजता से समझ भी लेता है और प्रतिक्रिया भी करता है। यहीं से व्यवहारिक संवाद का आरम्भ होता है जो धीरे- धीरे भाषा में परिवर्तित होकर संचार का माध्यम बनता है। कई शोध अध्ययनों का निष्कर्ष यह है की प्रारम्भ के 5 -6 वर्षों में मस्तिष्क का विकास बड़ी शीघ्रता से होत...

सावन की फुहार सखियों की गुहार

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अरे चलो चलो घटा घमंड घिर आई गलियो से आने वाली सामूहिक हँसी हा हा हा ही  ही ही   की ठहाकों से मचल उठा मेरा चंचल मन का मोर। वो वर्षा की पहली बूंदें जब तपती धरती पर गिरती तो उसकी सोंधी महक से तन वदन आह्लादित होकर वादलों की शोर में कहीं खो जाती। सावन की हरी - हरी चूड़ियों  की खनक पास  के बगीचें में हस्त निर्मित झूलों पर सखियों संग वैवाहिक जीवन का पहला सावन की आपसी चर्चाएं माहौल को आकाश में निकले इंद्रधनुष के रंगों के साथ ताल में ताल मिलाकर और भी रंगीन बना देती।   गलियों से होते हुए  नगरों ,महानगरों तक की इस लम्बी यात्रा के बदलते परिदृश्य में अगर कुछ नहीं बदला तो वो है सावन की आहट और हरी -हरी चूड़ियों की खनखनाहट ,वर्षा की रिमझिम फुहारों के बीच हर -हर महादेव की गूंज ,मंदिरों की घंटी और वेलपत्र और फल -फूल से सजी सामूहिक थालियाँ। हाँ थोड़ी झूलों पर कजरी की शोर में कमी आ गई है। उसकी जगह facebook ,whatsapp ,instagram पर अपनी -अपनी तरह से सजना -सवरना और video upload करना ने ले ली है। चलो कल ,आज और  कल में सामंजस्य बनाये और खुशियों में आनंद -विभोर...

पंजाब की फूलकारी

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     मोटे या खदर के सफेद कपड़े पर रंगीन रेशमी धागे से ज्यामितीय (रेखीये ) आकृति का प्रयोग करके बनाये जाने वाले फूलों का डिजाइन फुलकारी कही जाती है।इसमें मुख्य रूप से डवल रनिंग स्टीच और चेन स्टीच का प्रयोग किया जाता है।  इसके कई प्रकार होते है।  जैसे - चोप - इसमें लाल रंग के चादर पर रंगीन रेशमी धागे से बीच में फूलों के डिजाइन बनाये जाते हैं और चारों  कोने पर काले रंग से वही डिजाइन छोटे आकर में  बनाये जाते है। मान्यता ये है की नानी अपने नातिन को यह भेंट स्वरूप उपहार देती हैं तो नजर से बचने के लिए काले रंग  का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है। सुभर -   ये भी लाल रंग के चादर पर ही बनाये जाते हैं। इसमें अंतर ये है की इसके बीच में पांच नमूनों वाली डिजाइन बनाये जाते हैं और वही नमूने छोटे आकर में चारों  कोने पर भी बनाये जाते हैं। यह माँ अपनी बेटी को फेरे के समय उपहार स्वरूप  भेंट प्रदान करती हैं।  तिलपत्र - यह सस्ते झिरझिरे कपड़े पर  यत्र -तत्र नमूने बनाये हुए होते हैं। इसे  मालकिन अपने नौ...

मेरी पहली हवाई यात्रा

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पटना से कोलकाता  मंगलवार (10 /04 /2018 ) Spice Jet SG-876 Departure 8:45 am patna Arrival 9:45 am kolkata               Terminal -2 यों तो यात्रा 10 /०४/18  को था पर e -Ticket के माध्यम से टिकट 04 /03 /18 को ही मिल गया था। जैसे ही टिकट Whats up  के माध्यम से मिला मन में एक अजीब सी हलचल पैदा हो गई। वचपन में जब आकाश में जहाज को उड़ते देखती थी तो हमेशा सोचती थी काश मैं भी इसकी यात्रा कभी करती। सो आज एक सपना साकार होने जैसी अनुभूति हो रही थी। एक तरफ कौतुहल थी तो दूसरे तरफ डर क्योंकि हम दोनों की ही पहली हवाई यात्रा थी सो जानकारी किसी को नहीं थी। समाधान मेरी बेटी(रत्नावली ) ने यह दी की Youtube पर पहली हवाई यात्रा नाम से वीडियो आता है उसे देखो डर समाप्त हो जाएगा। मै वैसा ही की लगातार 04 /03 /18 से 09 /04 /18 तक प्रतिदिन एक या दो बार वीडियो देखने लगी सो Airport की औपचारिकताओं से रू -व् -रू होने लगी डर सच में जाती रही। अब जैसे -जैसे समय नजदीक आती जा रही थी तैयारी करने लगी सीमित सामान और उसका निर्धारित वजन।  खैर सब के बीच एक सुच...

नव वर्ष की उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ

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विक्रम संवत 2078 (13 /4 /2021 ) भारतीय संस्कृति का नव वर्ष नई उमीदों और उत्साह के साथ आगाज हुआ है।  पिछले वर्ष की त्रासदी से अभी -अभी हम उबरने ही लगे हैं। हर तरफ (अर्थव्यवस्था ,स्वास्थ्य ,यातायात ,पर्यटन ,भोजनालय )डरी -सहमी कदमों से बाहर होने का प्रयास अनवरत जारी है। कोविड -19 की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाने का जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जा रहे थे उसमे कामयाबी के साथ आम जनों तक की पहुँच एक नई ऊर्जा का संचार कर रहा हैं।  वैक्सीन की आपूर्ति को चरणबद्ध तरीके से सफलता पूर्वक वितरण किया जा सके इसका विशेष ख्याल रखा गया है। प्रथम चरण में 60 वर्ष से ऊपर वाले लोगों ,प्रशासन ,स्वास्थ्यकर्मी और सफाइकर्मी को रखा गया है। जैसे -जैसे वैक्सीन की उपलव्धता बढ़ती गई वैसे -वैसे द्वितीय चरण में 45 वर्ष से ऊपर वाले और तृतीये चरण में 18 वर्ष से ऊपर वाले लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देने का एलान हो गया जिसकी तारीख 1 /5 /2021 तय की गई। कुछ -कुछ राज्यों में इसकी शुरुआत भी हो गई परन्तु हमारा बिहार फिर से एक वार इंतेजार की श्रेणी में आ खड़ा  हुआ। पर्याप्त डोज नहीं मिलने के कारण...