Philosophy of Life
शरीर और प्राणवायु के संयोग को ही जीवन का नाम दिया गया है। या यों कहे की शरीर और जीवात्मा का संयोग ही जीवन है। इस धरा पर मानव जीवन प्रकृति का एक खुबसूरत उपहार है। यह प्रकृति के पंचतत्वों (जल ,अग्नि ,वायु, आकाश, और धरती )से निर्मित तीन प्रकृति (रजस ,तमस, सत्त्व )स्तम्भों पर विराजमान है। जीवन का आगाज नर -नारी के मधुर मिलन के संयोगोपरांत पारितोषिक के रूप में मिला हुआ उपहार से होता है। सम्पूर्ण जीवन एक रंगमंच है और हम उसके कठपुतली। इंद्रधनुष के सात रंगो (लाल, नारंगी, पीला, हरा, ब्लू ,इंडिगो ,और बैंगनी )की तरह जीवन भी सप्तधातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद ,अस्थि ,मज्जा ,और शुक्र )से मिलकर बना हुआ सतरंगी विचाधाराओं को समेटे हुऐ है। जो आहार -विहार ,आचार -विचार ,वातावरण ,शिक्षा ,समाज के सहयोग और विरोध के झंझावातो से गुजरकर आनंदपूर्ण जीवन का निर्माण करता है। जब कभी निराशाओ के घने वादल घेर लेते हैं तो मानव मन व्याकुल हो उठता है। मन भारी और बोझिल हो जाता है। इससे उबरने के लिए मनोरंजन के साधनो को ढूंढता है ,प्रकृति के सानिध्य मे होकर उसके बारीकियों पर विचार करता है।...