परम्परा फैशन की
जब नई पीढ़ी नये आयाम ढूंढती है तो परम्परा की श्रृंखला टूटती है और परिवर्तन का दौर शुरू होता है। फैशन और परिवर्तन एक दूसरे के पूरक है। फैशन समाज को प्रतिविम्वित करने वाला दर्पण है यह समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को दर्शाता है। इसे अपनाने के लिए व्यक्ति को स्वतंत्रता ,धन , समय ,शिक्षा और परिधान संबंधी आविष्कारों की जानकारी आवश्यक हो जाता है। फैशन की स्वीकृति को 5 चरणों में विभाजित करते हुए एक चक्र इस प्रकार निर्मित होता है। F1 परिचय F2 लोकप्रियता में बढ़ोतरी F3 लोकप्रियता का चर्मोतकर्ष F4 लोकप्रियता में कमी F5 बहिष्करण /अस्वीकार फैशन की शुरुआत महानगरों से होते हुए छोटे छोटे शहरों और क्रमशः गावों व् कस्वों तक विस्तारित होती है। इसमें निर्माताओं को उम्र ,मौसम, पेशा, तथा वर्गों (उच्च, निम्न, और मध्य )का खास ख्याल रखना पड़ता है। उच्च वर्ग के लोगो के पास पैसे होते है इसलिए वे उत्तम श्रेणी के वस्त्र सरलता से खरीद लेते है जिनकी गुणवत्ता जांचने हेतु महानगरों में दुकान, मॉल या शोरूम के बगल मे...