वस्त्र ही व्यक्तित्व है


व्यक्तित्व से अभिप्राय ऐसे गुण तथा विशेषता से है जिनकी झलक हमे व्यक्ति में मिलती है व्यक्ति के आंतरिक विशेषताओं में उसकी बुद्धी,दृटिकोण ,अभिरुचि ,चरित्र ,आदि आते है जो उसके व्यवहार में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते है। परन्तु वस्त्र हमारे शारीरिक ,मानसिक,सामाजिक एवं संवेगात्मक योग्ताओ को प्रभावित करती है। आज वस्त्र हमारे व्यक्तित्व का महत्वपूर्णहिस्सा है या इसे यह भी कहा जा सकता है की ,परिधान मानव के लिए भावभिव्यक्तिकरण का सर्वश्रेठ माध्यम है। 

हमारे मुलभुत आवश्यकताओ में भोजन के वाद वस्त्र का स्थान आता है ,परन्तु जब बात व्यक्तित्व की आती है तो जब हमारे घर में कोई प्रवेश करता है या हम घर से बाहर निकलते है तो हर सम्पर्क में आने वाला व्यक्ति हमारा मूल्य आकंता है.यहां प्रथम स्थान पर आने वाला भोजन गौण हो जाता है हमारे घर में खाने में क्या था ,क्या है ये विन बताये कोई नहीं जानता। परन्तु घर में प्रवेश करते ही हमारे द्वारा चयनित वस्त्र पर्दे से लेकर कुशन ,तौलिया ,चादर ,बेडशीट इत्यादि हमारा सम्पूर्ण व्यक्तित्व को (हैसियत ,रूचि ,बुद्धि ,विद्धवता )प्रदर्शित कर देता है। मूल्य आंकने वाला जो सबसे पहला तत्व हैवह है व्यक्ति का परिधान। 

अंग्रेजी में एक कहावत है 
                       "GOD MAKES AND APPAREL SHAPES"
ईश्वर शरीर बनता है पर वस्त्र उसे स्वरूप प्रदान करता है अर्थात व्यक्तित्व प्रदान करता है। ऐसे लोग बहुत कम ही होते है जिनका शरीर आकृति पूर्ण एवं निर्दोष होता है (PERFECT AND WITHOUT ANY DEFECT) . 
प्रकृतिक प्रदत इन शारीरिक गुणों और अवगुणो को बदला तो नहीं जा सकता परन्तु इनकी सूक्ष्मता सेअध्ययन करने पर स्पष्ट हो जाता है की दोषपूर्ण किन अंगों की वनावट को छुपना है और किन आकर्षक अंगों को उभारना है। शारीरिक आकृति संबंधित दोषों को अदृश्य तथा गुणों एवं विशेषताओं को उभारकर सम्पूर्ण व्यक्तित्व को अधिक से अधिक आकर्षक बनाने में वस्त्र एवं परिधान का महत्वपूर्ण योगदान है या यो कहे की किसी अन्य चीजों की अपेक्षा परिधान की भूमिका अत्यधिक है अब यहाँ कुछ विन्दुओ को रेखांकित करना चाहूँगी किस आकृति वाले व्यक्ति को कैसा वस्त्र धारण करना चाहिए।

  • मोटे व्यक्ति -इन्हें हल्के रंग एवं छोटे -छोटे फूलों वाली वस्त्र से निर्मित परिधान का चयन करना चहिए। परिधान की कटाई -सिलाई तथा उसके सभी अलंकरणमें लम्ब्द्ध रेखाए होने से लम्बाई को बढ़ाकर दिखती है. 
  • नाटे -मोटे -ऐसे लोगों को अत्यधिक ढीले अथवा चुस्त दोनों से बचना चहिए। इन्हें सादी आस्तीन लम्बी कमीज, साडी की लम्वद्ध ढीली लटकनशील शैली, एक रंग की अथवा  छोटे छपे के वस्त्र लम्वे कोट ,छोटे कॉलर तथा वेल्ट रहित वस्त्र का चयन करना चाहिए। 
  • लम्वे -मोटे -इनके परिधान में तिरछी रेखाएँ शरीर के ऊपरी चौड़ी भाग को बाँटकर चौड़ाई को कम करता है। कॉलर -कफ ,योक आदि में सीधी रेखाएँ तथा इनके लिए सदी एवं चिकनी रचना (PLAIN AND SMOOTH TEXTURE)तथा मंद रंग के वस्त्र अच्छे लगते है दिखावटी अलंकरण से बचना चाहिए। 
  • दुबले -पतले - ऐसे शरीर वालों पर भारी -भडकीले ,उभरे हुएडिजाइन वाले वस्त्र ,तीखे और चटक रंगो ,वर्ण -वैषम्य (दो रंग के )वस्तु अच्छे लगते है। कटाई -सिलाई तथा अलंकरण मेंआड ी  रेखाए, फूली बाहें ,लम्बी आस्तीन ,चौड़ी वेल्ट ,बड़ी -बड़ी जेबें ,चुन्नट ,औरेबी घेर आदि अच्छे लगते है 
  • लम्बे -दुबले -ऐसे फिगर वालों के लिए क्षैतिज (HORIZANTAL) रेखाएँ ,विषम रंग वाले सह -उपकरण तथा कुछ ढीली फिटिंग उपयुक्त होते है। फूली आस्तीन भरे कंधे ,दोहरे सीने वाले तथाऔरेवी  काटन कीपीठवाले कोट और कैप अच्छे लगते है इन्हें सूती व् आर्गेन्डी साडी अच्छे लगते है। 
  • छोटे -दुबले -इनके परिधान मेंआड़ी -खड़ी सभी प्रकार की लाइनों के नमूने का सम्मिश्रण खिलता है.ऐसे फिगर पर मध्यम आकर के सह -उपकरण तथा छोटी केश सज्जा अच्छी लगती है। इन्हे विपरीत रंगों के प्रयोग से वचना  चहिए। 
  • कंधा संबंधी दोष --गोल कंधों वाले के परिधान में कंधे की सिलाई थोड़ा पीछे की ओर रखनी चाहिए। चौड़े एवं गोल कंधों वालों के परिधान में गले में बहुत सी डॉट देने चाहिए। 
  • ग्रीवा (गर्दन )-छोटी एवं मोटी गर्दन के लिए बिना कॉलर के गला या गहरा गला ,लम्बी एवं पतली गर्दन पर खूब उठा हुआ ,सटा हुआ ,घुमा हुआ झालर से भरी किया हुआ तथा दोहरा कॉलर ,गोल या चौकोर गला भी अच्छा लगता है।   


                                                                 धन्यवाद 

                                         

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