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एक ही मंच पर कला और विज्ञान /Arts &Science का अनोखा संगम

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कला  और विज्ञान लिखने -पढ़ने,देखने -सुनने में दो अलग -अलग लगने वाले शब्द जब एक साथ एक मंच को साझा करता है तब कुशल कौशल शब्द का जन्म होता है। वर्तमान समय तकनीकों का युग है। जब हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तथा कथित अपने आस -पास उपलब्ध सामग्री को दिमागी क्रियाशीलता का सहारा लेकर कुछ नया कर गुजरते हैं तो उसे जुगाड़ टेक्नोलॉजी का नाम मिल जाता है। यों तो हमारे आस -पास ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े मिलते हैं । पर जब कभी इन पर किसी बुद्धिजीवी उद्यमियों की नजर पड़ जाती है तो वो कंकड़ रूपी जुगाड़ तकनीक बड़े -बड़े उद्योग स्थापित करने की प्रेरणा बन जाती है । जिसे हम आज स्टार्टअप का नाम दे रखा है। वो चाहे एमबीए चाय वाला हो या छोले -भटूरे ,लिट्टी -चोखे की छोटी सी स्टाल से 5 स्टार होटल तक का सफर।  भोजन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं का प्रथम स्तम्भ है। इसमे अपार संभावनाएं हैं। आहार प्रबंधन कला और विज्ञान एक साथ होने के साथ ही साथ आम से लेकर खास /विशेष लोगों का भोजन से प्रत्यक्ष संबंध होना इसमे हर रोज कुछ नया कर गुजरने की प्रेरणा से ओत -प्रोत है। यह विज्ञान इसलिए है की इसमे व्यक्ति की पौष्टिक आवश्यकताओं को ...

फैशन डिजाइनर /Fashion Designer

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  फैशन की राष्ट्रीय और वैश्विक राजधानी इटली के मिलान मे है। यहीं से फैशन की दिशा निर्धारित होती है। Fashion Designing  or Textile Designing  मे आधारभूत अंतर यह है की जहां टेक्सटाइल डिजाइन का संबंध कपड़ों से संबंधित (परिधान, घर की सजावट के लिए बुने हुए, विना बुने, रंगाई, छपाई )निर्माण से है। वहीं फैशन डिजाइन का संबंध परिधान उससे जुड़ी एक्सेसरीज और जीवनशैली की वस्तुओं के निर्माण से है। आज हम फैशन डिजाइन और डिजाइनर पर चर्चा करेंगें।  फैशन डिजाइन की शुरुआत 19 वीं शताब्दी मे हुआ ऐसा माना जाता है। इसका अर्थ ये कतयी नही हुआ की इससे पहले बेहतरीन डिजाइन के वस्त्र बने ही नही। बल्कि भारत को तो वस्त्रों के बारीकी और उस पर नायाब नमुने व कारीगरी के लिए विश्व प्रसिद्धि प्राप्त थी।परन्तु यह व्यक्तिगत न होकर सामुहिक रूप से जुलाहों और कारीगरों की पहचान तक ही सीमित थी।  ज्यादातर वस्त्रों का नामकरण बनने के स्थान, वस्त्रों के प्रकार, वनावट के स्वरूप तथा उसे विकसित और संरक्षण देने वाले बादशाहों और राजाओं के नाम पर किये जाते थे। जैसे -भागलपुरी सिल्क, बनारस की बनारसी, गुजरात का पटोला /ब...

G -20

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  आज 1 दिसंबर 2022  हम भारत वासियों के लिए बड़े ही गर्व का क्षण है।  आज से पूरे एक वर्ष  के लिए G-20 की अध्यक्षता करने का गौरव जो प्राप्त हुआ है। जिसका नेतृत्व हमारे दूरदर्शी दृष्टि वाले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं।उनका परिपक़्व अनुभव, भारतीय ज्ञान परम्परा, प्रतिभाशाली युवाओं का रचनात्मक प्रतिभा का समेकित उपयोग करके हम इस स्वर्णिम अवसर को विश्व के यादगार लम्हों में शामिल करने को आतुर हैं। जैसा की G-20 (2022 )का थीम है वसुधैव कुटुंबकम एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य। इसका श्रेय हमारे प्रधानमंत्री स्वयं न लेकर इसे 130 करोड़ भारतीयों  की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक कहा  है।  कोरोना काल  के बाद  का वैश्विक चुनौतियों के बीच आज भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। जिसका अनुभव हम विकासशील देशों के समूह को साझा करेंगें। भारतीय विचारधारा रहा है की किसी समस्या का समाधान आपस में लड़कर नहीं बल्कि मिलकर काम करके ही निकला जा सकता है। हम प्रकृति की देखभाल करने वाली भारतीय परम्परा के आधार पर स्थायी और पर्यावरण -अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साह...

मिलन &जुदाई

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  मिलन और जुदाई शब्दों के हेर -फेर मे प्रकृति की अद्भुत सौन्दर्य छुपा हुआ है। प्रकृति की नियमित गतिशीलता प्रतिदिन सुबह से शाम ;शाम से सुबह के चक्रिये परिधि मे इस तरह पिरोया हुआ है की न तो सुबह का उजाला हमे सीमाओं से पार इतराने देता है और न ही ढलती शाम के आगे आने वाले निश्चित अंधेरा हमे डरने देता है। क्योंकि हर शाम की शाम एक उम्मीद की किरणें अपने आप मे समेटे जाती है की मै फिर अपने निर्धारित समय पर एक नई उम्मीद व उत्साह की किरणों के साथ आने के लिए विश्रामवस्था को प्राप्त कर रही हूँ।  इस तरह दिन हफ्ते, हफ्ते महीने, महीने साल मे क्रमशः बदलते रहते हैं जिसमे मौसम परिवर्तन हमें मानवीय  रिश्तों की तरह मिलन व जुदाई का अनोखा अनुभव कराता रहता है। इसकी झलक हम जीवन के प्रारम्भ से अंत तक मे देखते हैं जिसे अपनी भावनाओं पर विजय पाने मे उदाहरण स्वरूप अपनाते रहते हैं।  जीवन के प्रारम्भ मे असहनीय पीड़ा सहकर भी उसके उपहार मे मिले नन्हीं जीवन की पहली क्रंदन सारे दर्द भूलने के लिए काफी होता है। यहाँ से उस नन्हीं सी जान की सुखद जीवन यात्रा का सपना ही नही संयोगा जाता बल्कि उसे पूरा करने का अ...

पितृपक्ष

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 पितृपक्ष यानि की पितरों (पूर्वजों )को याद करने का समय । आज (25 /09 /2022 )पितृपक्ष  का अंतिम दिन है । यह प्रति वर्ष आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन से लेकर अमावस्या तक (सम्पूर्ण पक्ष )उत्सव की तरह मनाया जाता है।जो मान्यताओं के अनुसार हमारे पूर्वजों को समर्पित है। यह कोई कठोर नियम व्रत पालन करने का संदेश नहीं है। बल्कि श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों को ससम्मान याद करने का समय होता है। ऐसी मान्यता रही है की भावी पीढ़ी के द्वारा मृत आत्मा का मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंड दान या गया श्राद्ध किया जाता है। जो गया के फल्गु नदी के तट पर इसी पितृपक्ष के दौरान सम्पन्न कराया जाता है। ऐसी मान्यता है की हमारे पूर्वज इस विशेष कालखंड मे भूलोक पर विचरण करने आते हैँ। अपने भावी वंशजों के सुख -समृद्धि देखकर उन्हें आशीर्वाद देते हैँ ।   

Food Pyramid /आहार पिरामिड

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  आहार पिरामिड की चर्चा करने से पहले आइये हम जानते हैं की  पिरामिड है क्या ? आधार तल से शुरू होकर उच्चतम शिखर (शीर्ष ) तक का सम्पूर्ण भाग जिसका आकार त्रिकोण (त्रिशंकु )की तरह होता है। पिरामिड कहलाता है।  इस पिरामिड में दैनिक खाद्य पदार्थों का संतुलित और व्यवस्थित ग्राफिक चित्रण किया गया है। जिसे आहार मार्ग दर्शक के रूप में भी जाना जाता है।  परिवार के सदस्यों के लिए आहार आयोजन करते समय एक संतुलित आहार तालिका की अपेक्षा होती है। जिसमे पोषक तत्वों की उपयोगिता, सही मात्रा, सही क्रम और सही आवृति हमारे आहार संबधी ज्ञान को दर्शाता है।  सर्व प्रथम 1974 ईसवी में स्वीडन में Food Pyramid को प्रकाशित किया गया था।  United States Department of Agriculture ने 1992 में इसे "food guide Pyramid "नाम दिया।  2005 में इसे "My Pyramid "में अपडेट किया गया।  2011 में इसे "My Plate "नाम दिया गया है।  समय- समय पर बदलते सरलतम नामाकरण का  उदेश्य हमेशा से एक ही रहा है की दैनिक आहार में प्रयुक्त होने वाले सम्पूर्ण खाद्य पदार्थों को इसमें समाहित किया जाय। जि...

किराये का घर

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 बुनियादी जरूरतों का तीसरा स्तम्भ है घर। पैतृक घर और किराये का घर बड़े -बड़े विशेषज्ञों ने घर और मकान के अंतर् को बड़ी ही खुबसुरती से परिभाषित किया है। चार दीवारों के सहारे खड़े छत को मकान और उसमे सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहने वाले परिवारों के मिलन से मकान को घर बना दिया। मकान को घर बनाने के लिए तो पहले मकान का भी होना उतना ही जरूरी है जितना घर को घर बनाने के लिए परिवार का।  जब परिवार की बुनियाद दाम्पत्य जीवन की शुरुआत होती है तो चाहे -अनचाहे रोजी -रोजगार के लिए एक नई दुनिया वसाने की शुरुआत होती है। जहां नव -दम्पत्ति (विशेषकर मध्यम और निम्न वर्ग के )दोनों अपने -अपने पैतृक आवास से दूर एक नया घर के निर्माण में लग जाता है। जिसकी अधिकांश शुरुआत किराये के मकान से होता है। वहाँ की खट्टी -मिठ्ठी अनुभूतियों से एक अपना घर बनाने की जीजीवषा का जन्म होता है। इनमे कई घर तो बनते हैं और कई जिम्मेदारियों के बोझ तले दम तोड़ देते हैं। इसी दर्द के बोझ को कम करने में प्रधान मंत्री आवास योजना मरहम का काम किया जो की एक निश्चित आय वर्ग तक ही सीमित है। जब एक मध्यम वर्गीय प्रोढ़ा कि...