फैशन डिजाइनर /Fashion Designer

 



फैशन की राष्ट्रीय और वैश्विक राजधानी इटली के मिलान मे है। यहीं से फैशन की दिशा निर्धारित होती है।

Fashion Designing  or Textile Designing  मे आधारभूत अंतर यह है की जहां टेक्सटाइल डिजाइन का संबंध कपड़ों से संबंधित (परिधान, घर की सजावट के लिए बुने हुए, विना बुने, रंगाई, छपाई )निर्माण से है। वहीं फैशन डिजाइन का संबंध परिधान उससे जुड़ी एक्सेसरीज और जीवनशैली की वस्तुओं के निर्माण से है।

आज हम फैशन डिजाइन और डिजाइनर पर चर्चा करेंगें। 

फैशन डिजाइन की शुरुआत 19 वीं शताब्दी मे हुआ ऐसा माना जाता है। इसका अर्थ ये कतयी नही हुआ की इससे पहले बेहतरीन डिजाइन के वस्त्र बने ही नही। बल्कि भारत को तो वस्त्रों के बारीकी और उस पर नायाब नमुने व कारीगरी के लिए विश्व प्रसिद्धि प्राप्त थी।परन्तु यह व्यक्तिगत न होकर सामुहिक रूप से जुलाहों और कारीगरों की पहचान तक ही सीमित थी।  ज्यादातर वस्त्रों का नामकरण बनने के स्थान, वस्त्रों के प्रकार, वनावट के स्वरूप तथा उसे विकसित और संरक्षण देने वाले बादशाहों और राजाओं के नाम पर किये जाते थे। जैसे -भागलपुरी सिल्क, बनारस की बनारसी, गुजरात का पटोला /बाँधनी, चन्देर का चंदेरी, मुर्शिदाबाद का बालूचर, महाराष्ट्र का  पैठणी /पीतांबर ,ढाका का मलमल ,किमख्वाब, नूरमहली  इत्यादि। शाही दरबार ही  इसकी अवधारणा का केंद्र हुआ करता था। 

जबकि वर्तमान समय में किसी व्यक्ति विशेष के नाम से ब्रांड बनते और चलते हैं। इन्हीं कड़ी में सबसे पहला नाम आता है पेरिस के चार्ल्स फ्रेडरिक वर्थ का 19 वीं शताब्दी में उन्होंने पहली वार अपने बनाये कपड़ो पर अपने नाम का लेवल लगाया। और आगे चलकर पेरिस में ही अपना फैशन हाउस की स्थापना की। उसके बाद से ही अलग -अलग देशों के डिजाइनर भी इस क्षेत्र को विस्तार दिया। 1885 ईस्वी के पहले शैक्षणिक उपयोग में किसी भी समय के परिधान का अध्ययन वेश डिजाइन/Base Design के रूप में किया जाता था। इसके बाद से ही वस्त्रों के अध्ययन करते समय डिजाइनर के ब्रांड का उल्लेख किया जाने लगा। 

फैशन क्या है 

फैशन समाज को प्रतिविम्बित करने वाला दर्पण है। यह समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को दर्शाता है। फैशन और परिवर्तन के बीच अन्योन्याश्रय संबंध है। यह हमेशा से ही घूम-फिर कर वापस लौटता  है। इसी मानसिकता को केंद्र में रखकर डिजाइनर अपनी रचनाओं में रंग भरता है. उसके केंद्र में युवा वर्ग विशेष रूप से होता है। जिसके परिधि में विभिन्न आयु वर्ग के लोग, पर्व -त्यौहार, सामाजिक, सांस्कृतिक समारोह और भारत की मिश्रित संस्कृतियाँ होती है। 

एक फैशन डिजाइनर को परिधान निर्माण करते समय उसके साथ का लयबद्ध तरीके से मिलते-जुलते Accessories (ज्वेलरी, बिंदिया, चुड़ी, जूते -चप्पल, बैग, केश सज्जा ) का भी प्रमुख्ता से स्थान देना होता है। जो हमें  रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर विशेष आयोजनों तक में देखने को मिलता है। जिसका प्रभाव इस हद तक बढ़ता जा रहा है की सोने -चाँदी के ज्वेलरी की जगह आकर्षक रंगों एवं डिजाइन के आर्टिफिशियल एस्सेसिरिज हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। वर्तमान दौर में इसका अलग से पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। जो देश के विभिन्न NIFT महाविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। वस्त्र उद्योग के क्षेत्र विस्तार में इसका योगदान बढ़ता ही जा रहा है। डिजाइनरों में समय -समय पर फैशन शो का आयोजनो के द्वारा छोटे -छोटे शहरों से लेकर बड़े -बड़े महानगरों तक नवीनतम डिजाइन को सबसे पहले पहुँचाने का प्रतिस्पर्द्धा  होती रहती है। इनमे कुछ देशी -विदेशी डिजाइनरों का नाम प्रमुखता से ली जाती है। इनकी लोकप्रियता इन्हें हर वर्ग के अनुकूल डिजाइन बनाने को प्रेरित करता है। आइये कुछ भारतीय डिजाइनरों के बारे में जानते हैं। 

  • सब्यसाची मुखर्जी --इनका नाम भारत में ब्राइडल वेयर के नाम से गूंजता है। हर भारतीय दुल्हन का सब्यसाची के रूप में सजना एक सपना होता है। इसको ध्यान में रखते हुए इन्होने कुछ सस्ती और रोजमर्रा के वस्त्रो को भी अपनी रचनाओं से सवाँरा है। साथ ही कुछ जरूरतमंद दुल्हनों को मुफ्त में वैवाहिक जोड़े उपलब्ध कराते  हैं। 
  • मनीष मल्होत्रा &नीता लुल्ला --ये दोनों विशेषकर हॉलीवुड व् वॉलीवुड के फ़िल्मी कलाकारों के लिए डिजाइन बनाते हैं। 
  • संजय गर्ग --यह एक ऐसा नाम है जिन्होंने फैब्रिक और स्टाइल के बीच लम्बी खाई को पाटने  का काम किया है। जिसकी तलाश लम्बे अर्शे से था। उन्होंने कुशल कारीगरों और उत्साही डिजाइनरों की एक टीम बनाकर काम किया जिसके बेहतर परिणाम सामने आये। विशेषकर चंदेरी जैसे कीमती वस्त्र पर काम करके उसे आम आदमी के अनुकूल बना दिया है। 
  • रितु कुमार --इनकी डिजाइन की विशेषता यह है की भारतीय परम्परागत डिजाइनों को केंद्र में रखकर ही उसमे आधुनिकता का रंग भरते हैं। 
  • रिद्धि मेहरा -यह एक युवा डिजाइनर हैं। इनका फोकस शुरू -शुरू में ब्राइडल वियर था धीरे -धीरे यह एथनिक वियर भी बनाने लगे। 
  • सत्य पॉल --इन्होने 1985 में गुड़गाँव में अपना ब्रांड स्थापित किया था जो भारतीय प्रिंट के लिए जाना जाता था। इन्होने फैशन के कपड़ों और सहायक उपकरणों  के साथ-साथ साड़ी पर विशेष  रूप से काम किया। प्लेन सिल्क साड़ियों  में चटक रंगों के प्रिंट का समावेश करके अंतराष्ट्रीय  बाजार के अनुकूल बनाने का श्रेय इन्हीं को जाता है। 6 जनवरी 2021 को इनका निधन हो गया है। इनके उपरांत इनके बेटे इस करोबार को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। 
विदेशी डिजाइनरों में बरसाची, अरमानी, प्रादा, लोरो, अल्वोनी, स्टेला, अलेक्जेंडर, मैक क्वीन इन सब का नाम प्रमुखता से ली जाती है। 



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