भारत का प्राचीन ग्रंथ भगवत गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को के स्मृतिकोष में शामिल।



भारत का प्राचीन ग्रंथ भगवत गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को के स्मृतिकोष में शामिल। 

दुनियाभर के दस्तावेजी विरासत को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से यूनेस्को के स्मृतिकोष (Memory of the world) को 1992 में स्थापित किया गया था।  इनमे दुर्लभ दस्तावेजों को संरक्षित करके उनके महत्व से दुनिया को अवगत कराना ही  इसका उदेश्य रहा है। इसके प्रति संवेदनशील और जनजागरूकता के लिए प्रति वर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। प्रतिवर्ष अलग -अलग थीम के माध्यम से जनमानस का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की जाती रही है। इस वर्ष (2025 )का थीम है "आपदा और संघर्ष प्रतिरोधी विरासत "("Heritage under threat from disasters and conflicts" ) 

तब से लेकर आज तक इस रजिस्टर में 72 देशों और 4 अंतराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े शोध और उपलब्धियां सहित 570 पांडुलिपियों को जगह दी जा चुकी है। इस वर्ष 74 पांडुलिपियों को स्मृतिकोष में शामिल किया गया है। जिसमे भारत के भगवत गीता और भरतमुनि रचित भारतीय कलाओं का मूलग्रंथ नाट्यशास्त्र को भी जगह मिली है। ये हम भारतीयों के लिए गौरवान्वित का पल है। 

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