जीवन एक अमृतधारा है।
जीवन एक अमृतधारा है।
हम मानव इस नश्वर संसार रूपी रंगमंच के कठपुतली हैं। जिसका आरम्भ जन्म है तो पूर्णता मृत्यु। जहाँ जन्म जीवन की पहली किलकारी है। वहीं मृत्यु शून्य की अंतिम गूंज। इन दोनो के बीच में जीवन का सेतू सर्कस की उस पतली सी रस्सी की तरह है जो दोनों सिरों को मजबूती से जोड़े रखता है। उस पर जितना संतुलित चाल होगा दूसरे छोर तक कुशलता पूर्वक पहुंचने की संभावना भी उतनी ही प्रवल होगी। इस सेतू पर चलना ही हमारा सौभाग्य होगा। जितनी कोमलता ,करुणा,संवेदना से हम इसे पार करेंगें उतना ही उज्ज्वल होगी हमारी स्मृतियाँ। जो हमारे जाने के बाद भी जीवित रहेगी।
मृत्यु न क्रूर है न क्रूरता का प्रतीक बल्कि यह तो जीवन के थके हुए पावों के लिए विश्राम की शय्या है। जहाँ सासें मौन हो जाती है और स्मृतियाँ बोलने लगती है। इसलिए इस जीवन की अमृतधारा में अपने कर्तव्य और अधिकार के कदमताल का आश्रय लेकर जीवन को क्रमशः परिपक्वता की ओर ले चलें। जहाँ मृत्यु निर्विकार मुस्कान के साथ हमारा स्वागत के लिए तैयार हो। हम उस अमृतधारा में तैरते हुए अपने गंतव्य तक सकुशल पहुंच सकें।
# lifecycles #lifebehindbars #presence #friendship #loveheals #acceptance #nature #adventure #growth #connection #healing

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें