केंद्र सरकार का नवाचार ;ग्लेशियर और जलवायु अध्ययन का हो एक संस्थान का उच्च विचार।



केंद्र सरकार का नवाचार ;ग्लेशियर और जलवायु अध्ययन का हो एक संस्थान का उच्च विचार।  

केंद्र सरकार की "स्टीयरिंग फॉर मॉनिटरिंग ऑफ़ ग्लेशियर "नाम की कमेटि के गठन से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में होने वाले अध्ययन को एक नई दिशा मिलेगी। 

हिममंडल एवं जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र के प्रमुख विज्ञानी सुरजीत सिंह ने इस क्षेत्र में हो रहे भारत सहित अलग -अलग देशों के लगभग 12 से  अधिक अनुसंधान विकास और शैक्षिक संस्थान के अध्ययन के प्रति आने वाले विसंगतियों को रेखांकित  करते हुए  (कार्य दोहराव,मानव शक्ति एवं बजट के अनावश्यक उपयोग की आशंका, डाटा साझा की समस्या )इस नए कमिटी के गठन से  होने वाले सुविधा के प्रति ध्यान आकृष्ट किया है। 

इस नए संस्थान का प्रारूप और विशेषता ये होगी। 

  • इसकी स्थापना जल शक्ति मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रिय जल विज्ञान संस्थान / National institute of  hydrology  ( NIH )रुड़की में की गई है। 
  • इसके चेयरमैन जल शक्ति मंत्रालय के सचिव होगें। 
  • यह 20 सदस्यीय संचालन समिति है। 
  • इस संस्थान में विज्ञानियों की 11 सदस्यीय टीम है जो 16 से अधिक प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है। 
  • यह अन्तः विषयक अनुसंधान एवं विकास कार्यों में संलग्न नेटवर्किंग, ज्ञान साझा करने और हस्तांतरित करने के लिए एक औपचरिक मंच प्रदान करेगी। 
  • इससे संबंधित सारी  जानकारियाँ एक जगह उपलब्ध करने के उदेश्य से एक पोर्टल भी बनाने की तैयारी है। जिसकी जिम्मेवारी सी -डैक पुणे को दी गई है। 
  • पोर्टल पर इस बात का विशेष ध्यान रखा जायेगा की पोर्टल पर अपना शोध डालने वाले संसथान या शोधकर्ता की अनुमति के बिना उसका डिटेल  (रिपोर्ट ,आकड़े )कोई भी नहीं देख सके। 
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