कैंसर की पहचान व् निदान की कुछ और आसान होती राहें।
कैंसर की पहचान व् निदान की कुछ और आसान होती राहें।
आईआईटी दिल्ली के रसायन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता प्रो. रवि पी सिंह के निर्देशन में छात्र संजय सिंह और रवि सैनी का यह शोध "जैविक अमीनो फुलवीन मॉलिक्यूल "जिससे किसी व्यक्ति के शरीर में किस हिस्से में किस स्तर तक कैंसर कोशिकाएं फैली है इसका सही सही पता लगा सकेगा। इसका प्रकाशन नेचर जर्नल में हो चूका है। इसकी पेटेंट की भी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पर अभी क्लिनिकल ट्रायल बाकि है।
शोध के कुछ प्रमुख अंश -
चुनौतियाँ --इसे पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से खोजना विशेष चुनौतीपूर्ण रहा।
सामान्य जैविक अमीनो फुलविन छोटे अणुओं का समूह होता है। जिसके रासायनिक अभिक्रिया के लिए कई तरह के विषैले पदार्थ ,अपकृतिक धातु या उत्प्रेरकों का प्रयोग किया जाता है। परन्तु यह पूरी तरह से ऑर्गेनिक है। टी ल्युसीन पदार्थ के साथ अभिक्रिया के फलस्वरूप एक ही स्टेप में अमीनो फुलीवन बनाया गया है।
एक वर्ष की लम्बी अवधी तक लगातार कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए जब अमीनो फुलविन मॉलिक्यूल को वायरल और अनेक एंटीबॉडी के लिए प्रयोग किया गया पर अंततः कैंसर की कोशिकाओं को ढूंढने में यह काफी असरदार साबित हुआ।
देश में यह अपनी तरह का पहली खोज कही जा रही है। जो बायो -टेक्नोलोजी के क्षेत्र में क्रान्तिकारी सफलता है। यह कैंसर कोशिकाओं के स्तर को पहचान करके उसके उपचार में सहूलियत प्रदान करेगी।इसके आलावा नए ड्रग की खोज ,कृषि रसायन और कई अन्य उत्तम केमिकल्स बनाने में भी सहयोग करेगा। इससे बायोलॉजिकल साइंस के क्षेत्र में नए शोध का रास्ता भी खुलेगा।
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