खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के प्रयास और चुनौतियाँ।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के प्रयास और चुनौतियाँ।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग देश केआर्थिक विकास दर को लगभग 8 %बनाये रखने में सहयोग के आलावा युवाओं को रोजगार मुहैया कराने और निर्यात बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकारें भी लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना और पीएम माइक्रो प्रोसेसिग एंटरप्राइजेज स्कीम भी लॉन्च की गई है। वर्ष 2022 -23 में खाद्य और खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों का निर्यात 51 अरब डॉलर का रहा। चालू वित् वर्ष में 535 अरब डॉलर तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग काआकर होने की प्रबल संभावना है।
देश में जितने पंजीकृत फैक्ट्री हैं उसमे तकरीबन 12. 38 %इसी उद्योग से जुड़े हुए हैं। इसमें प्रत्यक्ष रूप से 19 लाख से भी ज्यादा लोग नौकरियां कर रहे हैं। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इसमें रोजगार की असीम सम्भावनाये है। परन्तु इसकी बहुत सारी चुनौतियां भी है।
- किसानो और उद्यमियों के बीच सीधे और सरल सम्पर्क का आभाव।
- कोल्ड स्टोरेज की कमी। CII की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में फलों और सब्जियों के सही रख -रखाब के आभाव में कुल उत्पादन का 35 %बर्बाद हो जाता है।
- GST का उच्च दर। इसे 18 % से घटाकर 12 %तक की जानी चाहिए।
- प्रोडक्ट टेस्टिंग लैब की कमी। इसे दिल्ली के आलावा प्रत्येक राज्यों और जिलों तक होनी चाहिए।
- बाजार व्यवस्था और सुद्ढ़ होनी चाहिए।
- नई तकनीक को अपनाकर आकर्षक पैकेजिंग ओर ब्रांडिग के साथ निर्यात की व्यवस्था हो।

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