वर्तमान श्रम कानून संहिता की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट समीक्षा और सुझाव।



वर्तमान श्रम कानून संहिता की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट समीक्षा और सुझाव।  

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में रोजगार सृजन की धीमी गति पर चिंता जाहिर किया गया है। 

रोजगार सृजन में धीमी गति के लिए सरकार के साथ साथ कारपोरेट सेक्टर भी बराबर के जिम्मेदार है। कर्मचरियो के कौशल विकास के साथ ही सेहत की चिंता भी करनी होगी रोजगार सृजक को। 33,000 कंपनियों के एक सर्वे में कहा  गया है की वित्त वर्ष 2020 से 23 तक वित्तीय प्रदर्शन काफी वेहतर होने के वावजूद नई नियुक्ति और कर्मचारियों के वेतन में अनुपातिक वृद्धि नहीं की गई है। कृषि क्षेत्र का भी कमोवेश यही हाल रहा। रोजगार सृजन और उत्पादकता राज्यों से जुड़े मामले होने के कारण देश के सभी राज्यों में रोजगार के एकरूपता का आभाव है। जैसे मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े अधिकांश लगभग 40 %रोजगार तीन ही राज्यों (तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात )में सिमटा हुआ है जिसे अन्य राज्यों में भी समानता से विस्तार देना होगा। 

सर्वेक्षण में श्रम संबंधी कुछ नियमो में बदलाव की अपेक्षा है। जैसे कई  देशो के ओवरटाइम के घंटे और प्रीमियम में कफी अंतर् है। ओवरटाइम पर प्रीमियम भारत में 100 % जबकि चीन, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और अमेरिका में 50 %,फ्रांस और जापान में 25 %ही देने होते हैं। उसी तरह भारत में वर्किंग आवर 10. 5 घंटे ,बंगलादेश में 11 घंटे, वियतनाम में 12 घंटे और चीन, डेनमार्क, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में कोई वर्किंग आवर  निर्धारित नहीं है। काम के घंटे और प्रीमियम का असर कर्मचरियो के खान -पान और सेहत  को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

सर्वेक्षण में भारत की परम्परागत  खान -पान  शैलीऔर व्यंजनों के प्रकार  को सेहत की  दृष्टि से तुलनात्मक रूप से अधिक उपयुक्त और प्रकृति से ताल -मेल बिठाने वाला बताया गया  है. भारतीय वैविध पूर्ण व्यंजनों को अपनाने  के लिए विश्व बजार भी इंतजार कर रहा है। 

सर्वेक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI ) के इस्तेमाल  को हमारी विवेक की बुद्धिमता का परिचायक कहा है की हम उसे किस रूप में इस्तेमाल करते हैं। आटोमेशन के रूप में या समस्याओं के हल करने में या फिर नीति निर्धारण में। 

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है की विकसित  भारत की कल्पना को साकार करने के लिए 2030 तक हर साल 78. 5 लाख और 2036 तक 80 लाख रोजगार गैर कृषि क्षेत्र में सृजित करना होगा। इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI ) स्कीम ,टेक्सटाइल पार्क और मुद्रा योजना की तरह कुछ और स्किम लाने होगें। 


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