टेक्सटाइल सेक्टर को सरकार से अपेक्षाएँ।

 



प्रत्यक्ष तौर पर कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाले टेक्सटाइल उद्योग के कारोबार को सरकार की नई ऊँचाई  (2030 तक350 अरब डॉलर ) के लक्ष्य तक पहुँचाने  के लिए टेक्सटाइल उद्यमियों  को भी  सरकार से कई  सारी अपेक्षाएँ हैं। जैसे -कच्चे माल की सस्ती उपलब्धता, उत्पादन बढ़ाने के लिए इंसेंटिव, भुगतान के नियम में बदलाव, फ्रेट दरों  में सब्सिडी, बांग्लादेश से होने वाले निर्यातों पर नियंत्रण। इन मांगों को पूरा करने पर ही GDP में टेक्सटाइल के 2 %के योगदान को बढ़ाकर 2030 तक दोगुना किया जा सकेगा। 

आकड़े बताते हैं की जहाँ  2018 -22  में वैश्विक टेक्सटाइल निर्यात में 3 . 4 % की बढ़ोतरी दर्ज की गई  थी। वहीं 2023 -24 में सभी प्रकार के गारमेंट  निर्यात पर 10. 25 %और मैनमेड यार्न और फैब्रिक पर 5. 6 %की गिरावट दर्ज की गई है। सिर्फ कॉटन यार्न और फैब्रिक निर्यात पर 6. 7 %की वृद्धि रही। 

उद्यमियों की प्रमुख मांगें 

  • टेक्सटाइल की पूरी वैल्यू चेन पर समान GST दर। वर्तमान में कॉटन फाइवर, यार्न और फैब्रिक पर 5 %और मैनमेड फाइवर, यार्न और फैब्रिक पर क्रमशः 18 ,12 और 5 प्रतिशत GST है। 
  • मैन्यूफैक्चरिंग के लिए सभी प्रकार के नए निवेश को PLI (postal life insurance )का लाभ दिया जाय। 
  • भुगतान की अवधि 45 दिन की जगह 90 दिन किया जाय। 
  • सभी प्रकार के कॉटन पर आयत शुल्क हटाया जाय। 
  • भविष्य में विकसित देशों में ग्रीन एनर्जी से बनने वाले उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए टेक्सटाइल सेक्टर में भी ग्रीन फंड बनाया जाय। 
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