BIS फुटवियर



BIS फुटवियर 

अब एक अगस्त 2024 से  ( BIS) भारतीय मानक ब्यूरो से सर्टिफाइड फुटवियर ही भारतीय बाजारों में। 

सरकार और फुटवियर निर्माताओं के बीच का सामंजस्य। 

सरकार ने जून 2025 तक पुराने माल को बेचने की अनुमति दी है।जिसे थोड़ी और समय के लिए बढ़ाने की गुजारिस की गई है। शुरुआत में बड़े निर्माताओं जिनका टर्नओवर सालाना 50 करोड़ से ज्यादा है को ही इस दायरे में रखा गया है। इसकी सफलता के उपरांत आने वाले समय में क्रमशः छोटे निर्माताओं को भी इसकी अनिवार्यता की श्रेणी में लाया जायेगा। 

वर्तमान में फुटवियर सेक्टर में 70 %से अधिक निर्माता 50 करोड़ से कम टर्नओवर वाले हैं। इनकी भी कुछ मागें हैं। BIS मानक का पालन करने में  छः से आठ चरणों से गुजरना पड़ता है जिसकी न्यूनतम लागत 20 से 25 लाख तक की होती है। इन पर लगने वाले लागत मूल्य और प्रक्रियाओं में सहूलियत की गुंजाइश हो। आयत शुल्क भी निर्धारित हो ताकि भारतीय बाजार में संतुलन बना रहे। 

BIS मानक की कुछ शर्तें -फुटवियर में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल जैसे रैक्सीन, इन्सोल, लाइनिंग की केमिकल आदि उच्च गुणवत्ता वाली हो। ऊपरी भाग के मटेरियल टियर स्ट्रेंथ और बेहतर लचीलापन से युक्त हो। ताकि पहले की तुलना में उपभोक्ता को अधिक टिकाऊ, कम फिसलन वाली, क्रैक रहित और बेहतर लचीलापन से युक्त आरामदायक महसुस होने वाले फुटवियर मिल सके। साथ ही भारतीय फुटवियर उत्पाद को वैश्विक बाजार में ब्रांडिग हो सके जिससे निर्यात को भी लाभ मिले। 

इस क्षेत्र में बड़ी तेजी से काम की शुरुआत हो चुकी है। अब तक करीब 1400 लाइसेंस जारी किये जा चुके है जो अपना उत्पादन  भी शुरू कर चुके है। 

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