महज इत्तफाक या कुशल प्रबंधन






कोई  भी  रचनाकर  जब  किसी  रचना  का संकलन  करते  हैं  तो उन  रचनाओं  को  भावी  पाठकों  तक कुशलता पूर्वक  अर्थपूर्ण संदेश पहुँच  सके  इसका विशेष  ध्यान  रखा  जाता  है।  इसके  लिए  कई  तरह  के विशेषण (वाटर  मार्क  ,सांकेतिक  चिन्ह, सम्बन्धित  विषय  चित्रण, फुट  पाद टिप्पणी/foot  note, शब्दों का  सहसंबंध) का  प्रयोग  किया  जाता  रहा  है।  ताकि  रचना  कि विश्वसनीयता  के  साथ सुरक्षा  का  भी कुशल  प्रबंधन  हो सके।  अनुसन्धान  से  एक  ऐसे  ही कुशल  प्रबंधन  का पता  चला  है  कि सनातन परम्परा के वाहक  रूपी  बाल्मीकि  रामायण की  जो  रचना  है उसमें अंतर्निहित  जन मानस  के  स्मृति  पटल  पर सहजता  से  उकेरे  गये "गायत्री  मंत्र " 
ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं  भर्गो देवस्य धीमहि  धियों यो न प्रचोदयात्।  
का 24 अक्षर का  अदृश्य  समबन्ध बाल्मीकि  रामायण  के 24000 श्लोकों  का शुरू  के पहला अक्षर  से शुरू  होकर  प्रत्येक हजार  (1001,2001,3001,4001,..............23001)   का  पहला  अक्षर  गायत्री  मंत्र  का क्रमश  वर्णित  चौबीसों  अक्षर है।  

अब  ये  तो विद्वान  रचनाकार समूह ही सही  सही  आकलन  कर  सकते  हैं  कि ये  महज  इत्तफाक  है  या एक  विद्वान  के  कुशल प्रबंधन  का  नायाब  उदाहरण।  वर्तमान परिप्रेक्ष्य  में  कम्प्यूटर  की  दुनिया  मे  कोडिंग  का  जो  स्थान  है उसका  ही  बीजारोपण  प्रतीत  होता  है।   हमे  गर्व  है  अपनी  समृद्ध  ज्ञान  धरोहर  पर।  

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