अमृतरस की अमृतधारा
22/01/2024 दिन के 12 बजकर 29 मिनट से 80 सेकेंड तक का पुण्यतम वेला का वो अविस्मरणीय पल का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से साक्षी बनने का जो सुअवसर विश्व समुदाय को मिला है। उस भक्तिमय अविरल धारा में लोक जनसैलाब बहता ही चला जा रहा है।
ऐसा हो भी क्यों न भारत की सनातनी संस्कृति के प्राण कहे जाने वाले वात्सल्य रस से लबरेज रामलला का बाल स्वरूप का भव्य राम मन्दिर में पुनर्स्थापित होना दिवास्वप्न कहे जाने वाले स्वप्न का साकार होना जो है।
मानव में प्रकृत्ति प्रदत अंतर्निहित शक्तियाँ अधिकांशतः सुसुप्त अवस्था में होती है। इन्हीं शक्तियों को जगाये रखने के लिए भारत के पवित्र भूमि पर समय-समय पर दिव्य शक्तियों का मानव स्वरूप में अवतरित होते रहने की प्रमाणित इतिहास रहा है। अवतार का मुख्य उदेश्य ही रहा है मानव जीवन में आने वाले कठिनाइयों व चुनौतियों पर सहजता से विजय कैसे पाया जाए। इन महापुरुषों का जीवनचर्या ही सम्पूर्ण मानव जाति के लिए आदर्श स्थापित करता है।
इसी संदर्भ. में कही गयी डॉ. कलाम की वो पँक्तियाँ "जो सफ़ीनौ को पलट दे उसे तूफान कह्ते हैं।
जो तुफानो को पलट दे उसे इंसान कह्ते हैं I"
चरितार्थ होता प्रतीत होता है।
तुफानो को चीरकर लाई गई इस मानव मन की वेचैनी को शांत करने वाला अमृत धारा में जीवन की विभिन्न अवस्थाओं (बाल्यावस्था, युवावस्था, प्रौढ़, वृद्धावस्था)को अधिकार व कर्तव्य बोध के साथ दिशा देने की अद्भुत क्षमता है। जिसे मर्यादा पुरूषोत्तम राम की जीवनचर्या में स्पस्टता से देखी जा सकती है। वो चाहे राजभवन में माता-पिता के साथ वात्सल्य लालित हो, गुरुकुल की अनुशासित जीवन, गृहस्थ जीवन की आदर्श बुनियाद, से लेकर सम्पूर्ण दायित्व को कुशलतापूर्वक निर्वहन करते हुए वानप्रस्थ आश्रम तक की यात्रा वृतांत वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उतना ही प्रासंगिक है जितना तत्कालीन में रहा होगा।
आइये विश्व गुरू बनने की राह पर अग्रसर भारत के भारतवासियों इस रामरस के मूलमंत्र का अमृतपान करें।
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बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
🙏Jay sia Ram
हटाएं🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺