हमसफर
मैं से हम तक की यात्रा का खूबसूरत पड़ाव है हमसफर। यह यात्रा कई पड़ावों से गुजरता हुआ अपनी मुकाम तक पहुँचती है। जिसमें बचपन से लेकर युवा वर्तमान समय में प्रौढ अवस्था तक की कई सारी खट्टी-मीठी यादों का पिटारा लबालब भरा होता है।
उन्हीं पिटारे में धीरे-धीरे एक खूबसूरत प्यारा सा जगह बनानी होती है हमसफर का। थोड़ी मुश्किल सी लगनेवाली ये टास्क हमारी जरा-जरा सी कोशिश से कब हमारे जीवन का हिस्सा बन जाता है हमे पता ही नहीं चलता है।
अब हम बिल्कुल तैयार हैं अपने अगले पड़ाव तक जाने को तो चलो चलते हैं एक खूबसूरत सफर पर अपने हमसफर के साथ।
चलो चलें कहीं दूर चलें...............

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