एक ही मंच पर कला और विज्ञान /Arts &Science का अनोखा संगम
कला और विज्ञान लिखने -पढ़ने,देखने -सुनने में दो अलग -अलग लगने वाले शब्द जब एक साथ एक मंच को साझा करता है तब कुशल कौशल शब्द का जन्म होता है। वर्तमान समय तकनीकों का युग है। जब हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तथा कथित अपने आस -पास उपलब्ध सामग्री को दिमागी क्रियाशीलता का सहारा लेकर कुछ नया कर गुजरते हैं तो उसे जुगाड़ टेक्नोलॉजी का नाम मिल जाता है। यों तो हमारे आस -पास ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े मिलते हैं । पर जब कभी इन पर किसी बुद्धिजीवी उद्यमियों की नजर पड़ जाती है तो वो कंकड़ रूपी जुगाड़ तकनीक बड़े -बड़े उद्योग स्थापित करने की प्रेरणा बन जाती है । जिसे हम आज स्टार्टअप का नाम दे रखा है। वो चाहे एमबीए चाय वाला हो या छोले -भटूरे ,लिट्टी -चोखे की छोटी सी स्टाल से 5 स्टार होटल तक का सफर।
भोजन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं का प्रथम स्तम्भ है। इसमे अपार संभावनाएं हैं। आहार प्रबंधन कला और विज्ञान एक साथ होने के साथ ही साथ आम से लेकर खास /विशेष लोगों का भोजन से प्रत्यक्ष संबंध होना इसमे हर रोज कुछ नया कर गुजरने की प्रेरणा से ओत -प्रोत है। यह विज्ञान इसलिए है की इसमे व्यक्ति की पौष्टिक आवश्यकताओं को देखते हुए खाद्य पदार्थों का पौष्टिक मूल्यों के आधार पर चयन किया जाता है। और कला इसलिए की उस चयनित पदार्थ को कलात्मक ढंग से रंग, स्वाद, सुगंध और बनावट के आधार पर आहार का समायोजन किया जाता हैं।
इसी कला व विज्ञान के संगम को विश्व पटल पर रखने का हमारे सामने एक सुनहरा अवसर है आने वाला बर्ष 2023 जब जी -20 का नेतृत्व करने का अवसर मिला है।सोने पे सुहागा ये है की संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा वर्ष 2023 को अंतराष्ट्रीय मिलिट्स (मोटा अनाज/पोषक आहार [ज्वार, बाजरा, रागी, साँवा, कोदो ] ) वर्ष घोषित किया गया है। विदेशी मेहमानों को परोसी जाने वाली आहार तालिका मे मोटे अनाजों की गुणवता को बताते हुए जो व्यंजन के विविध रूप मे समाहित करने की हमारी योजना है ;वो निश्चित रूप से कला व विज्ञान के इस संगम रूपी धरोहर से विश्व के प्रतिनिधि को न सिर्फ परिचित कराएगा बल्कि आश्चर्य भरी निगाहों से उसे अपनाने को प्रेरित भी करेगा । इससे हम दोहरे लाभ के हकदार होंगें पहली तो ये की सस्ती और तुच्छ समझी जाने वाली मोटे अनाजों की माँग बढ़ेगी। जिससे किसानों को अधिक उपज के लिए प्रोत्साहन मिलेगी और उचित बाजार मूल्य भी। दूसरा विकसित देशों के संघर्षोंपरांत उपजी खाद्यान समस्या का सरल समाधान उच्च पोषक गुणों से भरपूर अनाज की सहज उपलब्धता से होगी।
अगर ऐसा करने मे हम कामयाब हो जाते हैं तो हमारा भारत विश्व गुरु बनने की दिशा मे एक कदम और आगे होगा।
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Ati sundar vishleshan👍
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