कार्य सरलीकरण/ work simplification




वर्तमान के इस व्यस्तम और भाग दौड़ भरी जीवन में संतुलन बनाते हुए जीवन को सरल व् आनंददायक बनाने में कार्य सरलीकरण की वैज्ञानिक विधियों का महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज हम इसे विस्तार से जानते हैं। 

कार्यसरलीकरण है क्या ?

कार्य करने के ऐसे तरीके जो किसी काम को सहजता और सरलता से कम समय व् श्रम का प्रयोग करते हुए बेहतर परिणाम के साथ पूरा कर सके। कई विद्वानों(ग्रौस,क्रैंडल, निकिल&डार्सी ,लिंडरमन ,मुंडेल &आर्मस्ट्रांग ,विभर &थॉमस ,इलेन नोवेल्सने अपने -अपने तरीके से घरेलू कार्य करने की विधियों का अध्ययन किया। सबका सार यही है की कार्य सरलीकरण में समय एवं शक्ति दोनों को मिश्रित रूप से व्यवस्थापन किया जाता है। उसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं की  जब किसी कार्य को पूरा करने के लिए उसकी मात्रा ,समय और  शक्ति का निर्धारण कर  दिया जाता है तब उसी काम को कम से कम समय  व् शक्ति का  प्रयोग करते हुए अधिक से अधिक कार्यो को पूरा करना ही कार्य सरलीकरण कहलाता है। 

मुख्य उद्देश्य -कार्य सरलीकरण का मुख्य उदेश्य होता है समय, श्रम और धन का बचत करना। 

इन्हीं उदेश्यो की पूर्ति हेतु सबसे पहले कुछ औपचारिक तकनीकों का प्रयोग किया गया। 

  1. औपचारिक तकनीक /Formal Techniques 

v माइक्रोमोशन फिल्म विश्लेषण /Micro Motion film analysis - इसमें समय का ध्यान रखते हुए गतिये चित्र खींचकर चार्ट द्वारा विश्लेषण किया जाता है। 

v साइकिल ग्राफ /Cycle graph (क्रोनोसाइक्लोग्राफ Chronocyclegraph )-इसमें कार्यकर्ता के  अंगुलियों के बीच में कैमरायुक्त छोटा बल्ब लगा दिया जाता है। जिसमे कार्य करने की गति का चित्र खिंचाता रहता है। उसी को आधार मानकर कार्य का विश्लेषण किया जाता है। 

v मेमोमोशन ग्राफ /Memo Motion graph  -इसमें कार्यकर्ता के गतिविधियों को एक फिल्म के रूप में चित्रित करके कार्य का विश्लेषण किया जाता है। 

v स्टॉप वाच तकनीक /Stop watch Techniques -इसमें समय मापक इकाई जिसमे इलेक्ट्रानिक मशीन का भी प्रयोग किया जाता है। 

औपचारिक तकनीकों के प्रयोग में बड़े -बड़े मशीनों का प्रयोग और उसे संचालित करने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता ने इसे अत्यधिक खर्चीला बना दिया जो शोधकर्ता और प्रयोगशालाओ तक ही सीमीत रह गया। एक आम गृहिणी के लिए यह अनुपयोगी साबित हुआ। कहते हैं आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है इसी आधार पर आम गृहिणी के जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नवीनतम प्रयोग के आधार पर एक अन्य तकनीक पेन पेंसिल तकनीक की खोज की गई। 

 

2.  पेन पेन्सिल तकनीक /Pen Pencil Techniques -इसमें गृहिणी के आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ सरल तकनीकों का प्रयोगो के आधार पर मान्यता दी गई। 

§      प्रोसेस चार्ट /Process Chart -इस विधि में सम्पूर्ण कार्य को इकाई मानकर अध्धयन किया जाता है। जैसे -रोटी बनाने की प्रक्रिया में आटे निकलने से लेकर रोटी बनाने और परोसने तक की सारी प्रक्रिया का अध्धयन किया जाता है। इसमें रिपोर्ट तैयार करने में कुछ संकेत (Symbols )का प्रयोग भी किया जाता है। 

v  छोटा सर्किल /Small Circle -यह कार्यकर्ता का एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की गति को दर्शाता है।

v  बड़ा सर्किल /Big Circle - यह खड़े होकर काम करने को दर्शाता है। 

v  विभाजित सर्किल/ Divide Circle -यह क्रिया और गति दोनों एक साथ हो रहे हैं इसको दर्शाता है। 

v   त्रिभुज /Triangle -यह काम में रुकाबट को दर्शाता है। 

v  चतुर्भुज /Square -यह कार्यकर्ता के कार्य का गुणवत्ता और मात्रा का निरीक्षण को दर्शाता है। 

§  आपरेशन चार्ट /Operation Chart -इसमें कार्य के किसी एक चरण का विश्लेषण किया जाता है। जिसमे तीन तरह से दोनों हाथों के हलचल का अध्धयन किया जाता है। 

v  सबसे पहले सिर्फ हाथ के हलचल को देखा जाता है। 

v उसके बाद सिर्फ अंगुलियों के हलचल को देखा जाता है। 

v  और सबसे अंत में सम्पूर्ण हाथ कंधे से लेकर अंगुलियों तक के हलचल का अध्धयन किया जाता है तत्प्श्चात किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जाता है। 

§  मल्टीमैन चार्ट /Multiman chart -जैसा की नाम से ही स्पष्ट है मल्टीमैन यानि की एक से अधिक व्यक्तियों की कार्य विधि का एक साथ तुलनात्मक अध्धयन किया जाता है।जैसे -किसी एक काम को (मटर  छीलना,सब्जी काटना, कपड़ा प्रेस करना )सामूहिक रूप से करने में सबकी गतिविधियाँ अलग -अलग होती है साथ ही समय ,श्रम और कार्य की पूर्णता में भी भिन्ताएं देखी जाती है।  इन्हीं का अध्धयन करके निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है। 

§  पाथवे चार्ट /Pathway Chart -इस विधि का प्रयोग सर्व प्रथम गिल वर्थ नामक वैज्ञानिक ने किया था। इसमें धागे और पिन का प्रयोग करते हुए 2 रसोईघर (Kitchen )एक वास्तविक और दूसरा काल्पनिक का प्रयोग किया जाता है।  जिस तरीके से गृहिणी वास्तविक रसोईघर में गतिविधि करती है उसे काल्पनिक रसोईघर में पिन किया जाता है। और यह देखा जाता है की कार्य करने में कितना आवश्य्क गतिविधि थी और कितना अनावश्यक। इसी केआधार पर सरल तकनीक का सर्व साधारण के लिए मान्यता दी जाती है। जिसमें भी क्रमशः सुधार की गुंजाइश बनी रहती है। 


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