Thesis Writing Format
शोध ग्रंथ लिखने का एक चरणवद्ध प्रक्रिया है। जिसका प्रथम चरण है Synopsis .
Synopsis --
Synopsisकिसी भी Research Work का "Blue -Print "होता है। इसे मैपिंग ऑफ़ प्रॉब्लम /Mapping of Problem भी कहा जाता है। जिसमे भविष्यगामी अनुसंधान के मार्ग को सरल एवं सुगम्य बनाने की दृष्टि से प्रत्येक पद को सुव्यवस्थित एवं पूर्व विचारित ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।
Hypothesis /परिकल्पना --शोध प्रक्रिया का दूसरा चरण होता है परिकल्पना का निर्माण करना। जो किसी समस्या के समाधान का अवधारणा प्र्स्तुत करता है। इसकी सहायता से ही नए सत्य की खोज की जाती है।
तीसरे चरण में आता है विभिन्न स्रोतों से (प्राथमिक &द्वितीय )प्राप्त आकड़ो व् जानकारियों को लिपिवद्ध करना।
शोध ग्रंथ के प्रथम पृष्ठ पर अध्ययन का शीर्षक,विश्वविद्यालय का नाम &लोगो (प्रतीक चिन्ह ), शोधकर्ता और निर्देशक का पूरा नाम पता और योग्यता, शोध का वर्ष ेइन सबको शुद्ध और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
अंदर के पृष्ठों पर सबसे पहले प्रमाण पत्र उसके बाद कृतज्ञता ज्ञापन उसके बाद विषय सूची पेज नंबर के साथ।
आगे क्रमशः भूमिका, प्रस्तावना, अध्यायों की क्रमवार संख्या, शोध निष्कर्ष और सबसे अंत में संदर्भ ग्रंथ सूचि लिखी जाती है। संदर्भ ग्रंथ सूचि लिखने का भी विशेष प्रारूप होता है। सबसे पहले लेखक का उपनाम (कुमारी, कुमार, सिन्हा ,प्रसाद या जो भी टाईटल हो )उसके बाद मूल नाम उसके बाद पुस्तक का नाम,पेज नंबर, प्रकाशक का नाम और स्थान।
अब हमारा शोध प्रबंध पूरी तरह प्रस्तुति के लिए तैयार है एक पुस्तक के प्रारूप में। ।
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