RESEARCH/ अनुसंधान



रिसर्च /Research दो शब्दों के मेल से बना है। Re +Search 
Re =Agin 
Search =Explore 
इसका सरल शब्दों में अर्थ यह है की किसी निर्धारित लक्ष्य का जब तक सही उत्तर न मिल जाय तब तक खोजते रहना। अर्थात "बार -बार खोजना। "
अनुसंधान हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। जिसकी बुनियाद जाने अनजाने बचपन में ही पड़ जाती है। जब हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तरह तरह के कोशिश कर रहे होते हैं। जैसे -अपनी ऊचाई से ऊपर की वस्तुओं तक पहुंचने की कोशिश,दोस्तों के साथ पार्टी का सफल आयोजन का प्लान बनाना,अपनी बातों को मनबाने के लिए नए नए बहाने ढूँढना,पारिवारिक और सामाजिक आयोजनों को मितव्ययता के साथ सफलता पूर्वक समापन करना इत्यादि। यही आदतें आगे चलकर एक सफल अनुसंधानकर्ता के गुण में परिवर्तित हो जाता है। 
अनुसंधानकर्ता के गुण /Qualities of a Researcher  
  1. जिज्ञासा प्रवृति /Curiosity 
  2. स्वतंत्र विचार /Independent Thinking 
  3. सशक्त कल्पना शक्ति /Pawerful Imagination 
  4. योग्यता /Knowledgeability 
  5. धैर्य /Perseverence 
अनुसंधान की विधियाँ /Methods of Research 
सामान्य तौर पर अनुसंधान की चार (4 ) विधियां और कई उप विधियां है। 
 1.ऐतिहासिक अनुसंधान विधि /Historical Research Method --ऐतिहासिक अनुसंधान में वर्तमान में सिद्धांत और क्रियाएँ जो व्यवहार में है, उसके उद्भव एवं विकास की परिस्थितियों का विश्लेषण करने के लिए अतीत की घटनाओं, विकासक्रमों तथा अनुभवों को आधार मानकर वैज्ञानिक विधि के द्वारा नवीन तथ्यों की खोज की जाती है। जिससे वर्तमान घटनाओं को समझने में सुविधा होती है।  
 2.सर्वेक्षण अनुसंधान विधि /Survey Research Method --इस विधि में अनुसंधानकर्ता मुख्यतः तीन प्रश्नो के उत्तर का खोज करता है। 
  1. वर्तमान स्थिति क्या है ?
  2. हम क्या चाहते हैं ?
  3. हम उन्हें कैसे प्राप्त कर सकते  हैं ? इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए संबंधित इलाके, संस्थान, समूह,या समुदाय का साक्षात्कार, प्रश्नावली,और सर्वेक्षण जो भी उचित होता है उसका प्रयोग करके निष्कर्ष पर पहुँचता है।   
3.प्रयोगात्मक अनुसंधान विधि /Experimental Research Method -यह अनुसंधान की एक वैज्ञानिक विधि है.जिसमे किसी भी समस्या का निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए एकत्रित तथ्यों के प्रमाणिकता का गहनता से प्रयोग के आधार पर अध्ययन किया जाता है और प्राप्त निष्कर्षो से नए नियमो और सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जाता है। इसमें सदैव नए तथ्यों की खोज की जाती है। जैसे --किसी नये बीमारी के बचाव, रोकथाम के लिए टीकाकरण की खोज, नए -नए उपकरणों का क्रमशः सरल स्वरूप की खोज, नित्य नए बदलते फैशन के अनुरूप वस्त्रो के लिए रासायनिक रेशों की खोज इत्यादि। 
4. दार्शनिक अनुसंधान विधि /Philosophical Research Method -इस विधि में अनुसंधानकर्ता मानवीय ज्ञान की विश्वसनीयता एवं वैधता की खोज करता है। एक सामान्य व्यक्ति अपने आस -पास के वस्तुओं के अस्तित्व को समझता और स्वीकार करताहै। परन्तु एक दार्शनिक उनके कारण और प्रभाव के बीच संबंधों को खोजने की कोशिश करता है; तर्क -वितर्क, भाषा -संवाद, संकेत, व्यक्तिगत और सामूहिक विचारों का विश्लेषण करके निष्कर्ष पर पहुँचता है। तत्प्श्चात मानवीय मूल्यों और मान्यताओं का निर्धारण करता है। जो हमारा जीवन और आत्मा को तृप्ति (आत्मसंतुष्टि )प्रदान करता है। 
इनके आलावा और कई उप विधियाँ भी है। जैसे -वर्णात्मक, क्रियात्मक, आकड़ो पर आधरित, मात्रात्मक, गुणात्मक, तुलनात्मक, और समीक्षात्मक इत्यादि। इन सबका यथास्थान प्रयोग करके अनुसंधान की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। 



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