शोध पत्र /Research Paper



शोध पत्र क्या है और इसे कैसे लिखा जाता है आज हम इसे विस्तार से जानते है। 

जिस विषय पर हमने शोध ग्रंथ /research thesis लिखा है उससे संबंधित क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए शोध पत्र लिखकर किसी प्रमाणिक जर्नल/ journal में प्रकाशित कराकर अपनी ज्ञानवर्धक सूचनाओं को पाठकों तक पहुंचाते हैं। जिसका आठ चरणों का एक व्यवस्थित प्रारूप /Format होता है। प्रत्येक चरण की अलग -अलग विशेषतायें और शब्द सीमाएं होती है। सम्पूर्ण शोध पत्र का 3000 -4000 तक की शब्द सीमायें होती है।

  1. Heading /Title and Affiliation - शीर्षक हमेशा छोटा,आकर्षक और अर्थपूर्ण होना चाहिए। जिसकी शब्द सीमा 8 -15  हो। Affiliation में लेखक का नाम, पद और पता होता है। लेखक एक दो या तीन भी हो सकते हैं।परन्तु इसमें पहले लेखक को प्रधान और अन्य को सहायक लेखक की श्रेणी में रखा जाता है। जिसका weightage प्रधान लेखक को 70 %,दूसरे को 30 %और अन्य को 30 का 10 -10 % मिलता है। 
  2. Abstract &Key words -  की वर्ड शीर्षक में से ही 4 -8 शब्दों को इस तरह चुना जाता है की सम्पूर्ण पत्र का परिचय स्वतः ही मिल जाता है। उसके बाद 200 -300 शब्दों में सारांश लिखा जाता है। 
  3. Introduction -संबंधित विषय का परिचय 2 -3 Paragraph में लिखा जाता है। 
  4. Review -अपने विषय से संबंधित अन्य विचारको /लेखकों को पढ़कर समझकर उसे अपने शब्दों में पिरोकर इस पत्र में स्थान दिया जाता है।  
  5. Experimentation -इसके अंतर्गत कुछ प्रयोग, सर्वे और ऐतिहासिक गतिविधियों को Data ,Table,figures के रूप में समाहित किया जाता है। 
  6. Result &Discustion -इसके अंतर्गत विभिन्न माध्यमों से एकत्रित किये गए सूचनाओं को आत्ममंथन करके उसका सार लिखा जाता है। 
  7. Conclusion -इसमें अपना निष्कर्ष निकालते हुए यह दर्शाने का प्रयास किया जाता है की हमारी सूचनाये  कैसे वर्तमान परिस्थितियों व् व्यक्तियों को और उन्नत बनाएगा। 
  8. References -इसमें सूचनाओं को कहाँ से एकत्रित किया गया है जिसका प्रमाणिक प्रमाणों को व्यक्ति, संस्था, प्रिंट व् डिजिटल मिडिया /Print /Digital media के नामों को लिखा जाता है। 

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