पोषण और पोषक तत्व
एक स्वस्थ जीवन को सुचारु रूप से चलने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। यही भोजन कार्यरूप में पोषण कहलाता है। पोषण के अंतर्गत भोजन का सेवन --पाचन --अवशोषण --उपयोग--अवशेषों का निष्कासन जैसी कई प्रक्रियाओं से गुजरकर अन्ततः शरीर को पोषित करता है। इस प्रकार हम कह सकते है की पोषण एक प्रक्रिया है।
पोषक तत्व -- आहार के रूप में जो भी खाद्य पदार्थ (ठोस ,तरल )ग्रहण किये जाते हैं वे सभी पोषक तत्व कहे जाते हैं।
इन पोषक तत्वों को शारीरिक कार्य निर्धारण के अनुसार मुख्यतः 2 वर्गों तथा 6 उपवर्गों में विभाजित करते हैं।
1) स्थूल पोषक तत्व
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कार्बोहाइड्रेट
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प्रोटीन
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वसा
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जल
2) सूक्ष्म पोषक तत्व
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विटामिन
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खनिज लवण
कार्वोहाइड्रेट --
कार्बन ,हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने से कार्वोहाइड्रेट का निर्माण होता है। (C1H2O1) Lycosity bonds.
सामान्य आहार से प्राप्त होने वाले ऊर्जा का 50 % से 70 % ऊर्जा मूल्य कार्वोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। यह आहार का सबसे सस्ता साधन है।1ग्राम कार्बोज से 4.2 KCal ऊर्जा प्राप्त होती है। इसे मुख्यतः 3 वर्गों में विभाजित किया गया है।
मोनोसेकेराइड्स
- ग्लूकोस
- फ्रुक्टोस
- ग्लैक्टोस
- सुक्रोस
- लैक्टोस
- माल्टोस
- स्टार्च
- डेक्सट्रिन
- ग्लायकोजेन
- सेल्यूलोस
- शर्करा प्रधान -- शर्करा ,खजूर ,गन्ना ,चुकन्दर ,गाजर ,छुहारा ,शहद ,किशमिश ,अंजीर ,सूखे फल इत्यादि।
- स्टार्च प्रधान -- स्टार्च अधिकतर कंद -मूल, बीज, हरा केला, लोबिया, सेम, राजमा, आलू, शकरकंद, मैदा, अरारोट, साबूदाना, चावल, ज्वार, बाजरा इत्यादि।
- शारीरिक क्रियाओं के लिए ऊर्जा और काम करने की शक्ति प्रदान करना।
- अनावश्यक एमिनो अम्ल के संश्लेषण के लिए कार्बन का ढाँचा प्रदान करना।
- यकृत द्वारा रोगाणुओं से शरीर की रक्षा करने की क्षमता।
- वसा के उपचयन के लिए आवश्यक है ।
- भोजन को जायकेदार बनाना।
- मल -विसर्जन में सहायक।
- प्रोटीन्स की बचत करना।
आज के लिए वस इतना ही क्रमशः एक के बाद एक अगली कड़ी में। तो फिर मिलते हैं अगली कड़ी में।
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