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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वचपन

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उम्र पचपन की यादें वचपन की , यादें वचपन की यादें वचपन की।  वो गाँव की गलियाँ कच्ची -पक्की नालियां , माँ का गुस्सा व गालों की लालियाँ।  वो वारिश का पानी व कागज की किश्ती, तितलियों के पीछे मै मारी -मारी  फिरती।  पचपन में वचपन को बच्चों में ढूंढती , वो वचपन की यादें  ,वो वचपन की यादें।  :-------------------------:

लॉक अनलॉक

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जब 24 /03 /2020 की रात से अचानक सम्पूर्ण भारत लॉकडाउन हो गया तो देश का बच्चा -बच्चा लॉकडाउन को जानने और समझने की उत्सुकता से विकसित संचार केमाध्यमों(Mobile, facebook,whatsApp,twitter)का अपने -अपने तरीके से उपयोग करने लगे। परिणामस्वरूप डिजिटल दुनिया में बाढ़ सी आ गई।  अघोषित लॉकडाउन जैसा रहने वाला गावँ की गलियों में हलचल बढ़ सी गई। अभी -अभी रंगों का पर्व होली अपने पूरे उत्साह पर थी ,छुट्टियों में परदेशी वावुओं से घर- आँगन गुलजार हो रहा था और अपने -अपने काम पर लौटने की तैयारियाँ जोरों  पर थी। अमूमन मार्च से जुलाई तक शुभ मुहूर्त में शादी,मुंडन ,गृह -प्रवेश जैसे कई समारोहों का आयोजन होता रहा है सो अचानक हुए लॉकडाउन में शहनाईओ और उत्सवी माहौल की जगह सन्नाटा ने ले लिया। कुछ दिनों तक आज्ञाकारी बच्चा की तरह हम सबने जल्द ही स्थिति ठीक होने की उम्मीद से अपने -अपने घरों में रहना मुनासिब समझा। परन्तु कुछ ही दिनों में लॉकडाउन -2 की घोषणा होते ही सब्र टूटने लगा ,रोजी -रोजगार ,भूख और बीमारी की भयावता अपना रंग दिखाने  लगा। जैसे -तैसे लोग घरों की ओर भागने लगे शहरों की सड़क...

तेरा मेरा

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तेरा मेरा मैंने अपना सब कुछ छोड़ा पास तेरे आने को , पास भी आके पा न सकी तुझे हो न सकी मै तेरी।  इसमें दोष नहीं है तेरा नहीं दोष है मेरा , वक्त की आँधी ऐसे चली मार गया थपेड़ा।  जिसमे मेरा सब कुछ खोया हो गया सब कुछ तेरा, एक थी आत्मविश्वास की पूंजी वही है लक्ष्य की कुंजी।  धन्य हुई मै पा कर उसको मिल गया जो था मेरा , न कुछ तेरा न कुछ मेरा सब कुछ है उसी का। 

शिक्षक दिवस 2020

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यों तो हम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी के जन्मदिन को (5 सितम्बर ) शिक्षक दिवस के रूप में मनाते आ रहें है। उन्होंने लगभग 40 वर्षो तक समर्पित भावों से कुशलता पूर्वक शिक्षण का कार्य किया और आगे चलकर कुशल राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाते हुए स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति पद को सुशोभित किए। इस दिन गुरु शिष्य परम्परा को कायम रखने का संकल्प दिवस भी होता है।   आज मैं यहॉँ वर्तमान हालत को मद्देनजर रखते हुए अनायास ही उपजी वैश्विक महामारी के परिणामस्वरूप बदली हुई परिस्थितियों में ज्ञान का बदला हुआ स्वरूप पर प्रकाश डालना चाहूँगी। जब अचानक से पूरा देश लॉकडाउन हो गया तो सारा व्यवस्था स्वभाविक जीवनयापन से लेकर भौतिक सुख -सुविधा तथा रोजगार -व्यापर से लेकर शिक्षा जगत तक में उथल -पुथल मच गया। अब तक गुरु शिष्य परम्परा के माध्यम से जो ज्ञान का आदान -प्रदान होता आ रहा था नई तकनीक ने सब कुछ बदलकर रख दिया। माना की आईटी क्षेत्र में पहले से ही डिजिटल काम -काज हो रहा था सो वहाँ के कर्मचारी इस कार्य में निपुण हैं परन्तु विशेषकर स्कूल -कॉलेज ,सरकारी दफ्तर और न्यायिक क्षेत्र के अ...

क्यों पहने वस्त्र दिनानुसार

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आज के इस वैज्ञानिक युग में भी मानव मन उस दिव्य अलौकिक शक्ति को पूर्णरूप से नकार नहीं पाया है। देवी -देवताओ  व धर्म के प्रति गहरी आस्था मानव को उसके तह तक जाने को सदा से उत्प्रेरित करता रहा है।  प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जहां हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी -देवताओ के होने का प्रमाण मिलता है वही उनकी अपनी अपनी अलग महिमा का भी वर्णन मिलता है। यहाँ तक की प्रत्येक दिन किसी न किसी देवताओ से संबंधित है साथ ही वो दिन किसी न किसी विशेष रंग का प्रतिनिधित्व करता है। जिसका रहस्य इस प्रकार है। रविवार -- यह भगवान भास्कर (सूर्य ) का दिन माना जाता है। सूर्य की लाली जीवन में शौर्यवान होने का प्रतीक है अतः रविवार का संबंध पीलापन लाल रंग से है अर्थात केसरिया या सुनहरा।  सोमवार -- यह चन्द्रमा का दिन है जो चन्द्रमा के शीतलता व सादगी का प्रतीक है। इस दिन का रंग उजला है।  मंगलवार -- मंगलवार माँ भगवती का दिन है जिनका वस्त्र लाल है।  माँ सुख -शांति का प्रतीक होती है अतः मंगलवार का रंग लाल है।  बुधवार -- इसका संबंध स्वास्थ्य और व्यापर से है साथ ही वाणी...