मानव संसाधन और हमारा व्यवहारिक पक्ष
भारतीय संविधान का वह पहली पंक्ति"हम भारत के लोग "इसमें हम महज एक शब्द ही न होकर सम्पूर्ण भारत वर्ष की वैविध्यपूर्ण संस्कृति, समाज और व्यक्ति की व्यवहारिक और वैचारिक भिन्नताओं में भी समानता का उद्घोष है। जो यह दर्शाता है की भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति पहले भारतीय है उसके बाद अगला -पिछला ,उच्च -नीच, अमीर-गरीब ,अल्पसंख्यक -बहुसंख्यक जैसे वर्गो में विभक्त है। इन सब में जो एक महत्वपूर्ण विभाजन है वह है लिंगानुसार विभाजन स्त्री ,पुरुष और उभयलिङ्ग।
संविधान निर्माताओं ने संविधान को इतना लचीला बनाया है की परिवर्तन और विकास की सतत प्रक्रियाओ के लिए समयानुसार किये गए संसोधन को सरलता से आत्मसात कर सके। अब तक संविधान में कई धाराओं और उप धाराओं को जोड़ा भी गया है और कई को अनुपयोगी समझते हुए हटाया भी गया है। जिसका ताजा -तरीन उदाहरण है धारा 370 का 05 /08 /2019 को विरोध और सहमति के बीच से सफलता पूर्वक हटाया जाना ,नई शिक्षा नीति 2020 का लागू होना।
नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है नई पीढ़ी को वैश्विक मंच पर दढता के साथ सामना करना इसमें प्रयास यह किया गया है की कोई भी वर्ग जीवन के किसी भी मोड़ पर अपने आप को संभालते हुए आगे बढ़े निराशाओ और हताशाओं से उपजी कुंठाओ आत्महत्याओं को निश्चित रूप से कम करने का प्रयास किया गया है। कहते है की शिक्षा जीवन की वह रौशनी है जो अज्ञानता रूपी अँधेरे को हटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलता है।
आज मै यहां एक ऐसे विषय पर चर्चा करना चाहूँगी जो हम भारतीय के समानता का अधिकार का हनन करता है। न्यायलयों से 'मी लॉड 'शब्द का हटाया जाना ,विकलांग शब्द का दिव्यांग में परिवर्तित होना ,जाती सूचक संबोधन के साथ अपशब्दों का प्रयोग पर रोक ,आरक्षण के माध्यम से पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गो को समाज के मुख्य धारा में जोड़ने का जो काम होता रहा है प्रशंसनीय है।
इन सब के वावजूद आज भी एक ऐसा वर्ग है जिसे हम उभयलिंग के श्रेणी में रखते है। अब समय आ गया है की भारत जैसे सामासिक संस्कृति सम्पन्न देश में भी एक वर्ग अपने आप को आज भी (21 वीं सदी )समाज की मुख्य धारा से अलग -थलग महसूस करता है। उन्हें भी आत्मसम्मान के साथ जीने का हक होना चाहिए,शिक्षा की रौशनी उस वर्ग तक भी पहुँचनी चाहिए साथ ही कुशल भारत कौशल भारत अभियान का हिस्सा होने से रोजगार और स्वरोजगार के कई रास्ते होगें जीवन यापन के ताकि वो भी आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की भावना से लवरेज हों।
पिछले साल ही मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने स्वैच्छिक विवाह का मंजूरी देते हुए शादी पंजीकरण का जो आदेश पारित किया है वो एक वहुप्रशंशनीय कार्य है। इन सब प्रयासों से जो उस वर्ग में जीवन यापन का एकमात्र जरिया बधाई और दुआओ देकर मांगने जैसी चली आ रही परम्पराओ पर कुछ हद तक विराम लग सकता है। मानव स्वभाव है एक दूसरे से प्रेरणा लेकर कुछ करने की कुछ बनने की। उनमे छिपी शारीरिक और वौद्धिक शक्तियों पर जब ज्ञान की रौशनी पड़ेगी तो निखरकर एक बहुत बड़ा वर्ग मानव संसाधन का हिस्सा हो सकता है। जिसे वालाश्रम ,वृद्घाश्रम ,सामाजिक संस्थानों ,शक्षैणिक संस्थाओ ,और स्वास्थ्य संस्थाओ से लेकर तीनों सेनाओ के शक्ति परक जरूरतों और आजीवन बह्मचर्य रहकर निर्लोभ समाज सेवा जैसे कार्यो का उत्तरदायित्व सौपा जा सकता है।
मैंने उस वर्ग के कई लोगों के विचारो के वारे में पढ़ा है सुना है वो भी कुछ करना चाहते है कुछ बनना चाहते है पर उनके सामने विकल्पों का घोर किल्ल्त है। इस लेख के माध्यम से राष्ट्र के नीति नियंताओं को इस विषय पर ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगी की इस वर्ग (उभयलिंग ) के लिए भी सम्मानित जीवन जीने के कुछ वैधानिक अधिकार होने चाहिए।
वस इतना ही कहना है की हमारा भारत जो अनेकताओं में एकता का श्रृंगार से सुशोभित है उस देश की सुंदरता यो ही अक्षुण बनी रहे ;हम भारतवासी एक देश एक राष्ट्र ,एक राशन कार्ड ,एक पहचान कार्ड ,एक शिक्षा नीति का सदुपयोग कर अपनी अपनी पहचान के साथ सद्भावना पूर्ण भाव से निवास करें।
जिससे वि स्व नवब नननन
संविधान निर्माताओं ने संविधान को इतना लचीला बनाया है की परिवर्तन और विकास की सतत प्रक्रियाओ के लिए समयानुसार किये गए संसोधन को सरलता से आत्मसात कर सके। अब तक संविधान में कई धाराओं और उप धाराओं को जोड़ा भी गया है और कई को अनुपयोगी समझते हुए हटाया भी गया है। जिसका ताजा -तरीन उदाहरण है धारा 370 का 05 /08 /2019 को विरोध और सहमति के बीच से सफलता पूर्वक हटाया जाना ,नई शिक्षा नीति 2020 का लागू होना।
नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है नई पीढ़ी को वैश्विक मंच पर दढता के साथ सामना करना इसमें प्रयास यह किया गया है की कोई भी वर्ग जीवन के किसी भी मोड़ पर अपने आप को संभालते हुए आगे बढ़े निराशाओ और हताशाओं से उपजी कुंठाओ आत्महत्याओं को निश्चित रूप से कम करने का प्रयास किया गया है। कहते है की शिक्षा जीवन की वह रौशनी है जो अज्ञानता रूपी अँधेरे को हटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलता है।
आज मै यहां एक ऐसे विषय पर चर्चा करना चाहूँगी जो हम भारतीय के समानता का अधिकार का हनन करता है। न्यायलयों से 'मी लॉड 'शब्द का हटाया जाना ,विकलांग शब्द का दिव्यांग में परिवर्तित होना ,जाती सूचक संबोधन के साथ अपशब्दों का प्रयोग पर रोक ,आरक्षण के माध्यम से पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गो को समाज के मुख्य धारा में जोड़ने का जो काम होता रहा है प्रशंसनीय है।
इन सब के वावजूद आज भी एक ऐसा वर्ग है जिसे हम उभयलिंग के श्रेणी में रखते है। अब समय आ गया है की भारत जैसे सामासिक संस्कृति सम्पन्न देश में भी एक वर्ग अपने आप को आज भी (21 वीं सदी )समाज की मुख्य धारा से अलग -थलग महसूस करता है। उन्हें भी आत्मसम्मान के साथ जीने का हक होना चाहिए,शिक्षा की रौशनी उस वर्ग तक भी पहुँचनी चाहिए साथ ही कुशल भारत कौशल भारत अभियान का हिस्सा होने से रोजगार और स्वरोजगार के कई रास्ते होगें जीवन यापन के ताकि वो भी आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की भावना से लवरेज हों।
पिछले साल ही मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने स्वैच्छिक विवाह का मंजूरी देते हुए शादी पंजीकरण का जो आदेश पारित किया है वो एक वहुप्रशंशनीय कार्य है। इन सब प्रयासों से जो उस वर्ग में जीवन यापन का एकमात्र जरिया बधाई और दुआओ देकर मांगने जैसी चली आ रही परम्पराओ पर कुछ हद तक विराम लग सकता है। मानव स्वभाव है एक दूसरे से प्रेरणा लेकर कुछ करने की कुछ बनने की। उनमे छिपी शारीरिक और वौद्धिक शक्तियों पर जब ज्ञान की रौशनी पड़ेगी तो निखरकर एक बहुत बड़ा वर्ग मानव संसाधन का हिस्सा हो सकता है। जिसे वालाश्रम ,वृद्घाश्रम ,सामाजिक संस्थानों ,शक्षैणिक संस्थाओ ,और स्वास्थ्य संस्थाओ से लेकर तीनों सेनाओ के शक्ति परक जरूरतों और आजीवन बह्मचर्य रहकर निर्लोभ समाज सेवा जैसे कार्यो का उत्तरदायित्व सौपा जा सकता है।
मैंने उस वर्ग के कई लोगों के विचारो के वारे में पढ़ा है सुना है वो भी कुछ करना चाहते है कुछ बनना चाहते है पर उनके सामने विकल्पों का घोर किल्ल्त है। इस लेख के माध्यम से राष्ट्र के नीति नियंताओं को इस विषय पर ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगी की इस वर्ग (उभयलिंग ) के लिए भी सम्मानित जीवन जीने के कुछ वैधानिक अधिकार होने चाहिए।
वस इतना ही कहना है की हमारा भारत जो अनेकताओं में एकता का श्रृंगार से सुशोभित है उस देश की सुंदरता यो ही अक्षुण बनी रहे ;हम भारतवासी एक देश एक राष्ट्र ,एक राशन कार्ड ,एक पहचान कार्ड ,एक शिक्षा नीति का सदुपयोग कर अपनी अपनी पहचान के साथ सद्भावना पूर्ण भाव से निवास करें।
इसी मंगल कामना के साथ
जय हिंद ,जय भारत।
जिससे वि स्व नवब नननन
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