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जुलाई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मानकीकरण /प्रमाणीकरण चिह्न

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मानकीकरण चिन्ह विभिन्न वस्तुओं तथा खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता स्तर को सुनिश्चित  करने के लिए एक प्रमाण का प्रारूप होता है। भारत सरकार ने अलग-अलग वस्तुओं के लिए अलग-अलग मानक तैयार किये हैं। इन मानकों को निर्धारित करने तथा मानकीकरण चिन्ह देने का कार्य दो संस्थाओ द्वारा किया जाता है।  विपणन निरीक्षण निदेशालय /Directorate of Marketing of Inspection .  BIS - भारतीय मानक ब्यूरो /Bureau of Indian Standard . ISI - भारतीय मानक संस्थान/ Indian Standard Insititute .   भारतीय मानक संस्थान को ही अब भारतीय मानक ब्यूरो कहा जाता है।इसी संस्थान के नाम पर ISI   का प्रमाणन चिन्ह रखा गया है। इस संस्था को किसी भी पदार्थ अथवा प्रणाली के लिए मानक स्थापित करने का अधिकार है। किसी भी निर्माता को अपने उत्पादन पर ISI चिन्ह लगाने की अनुमति तभी दी जाती है जब उत्पादन की पूरी प्रक्रिया BIS के मानको के अनुरूप तैयार की गई है।  ISI के अंतर्गत लगभग सभी भोज्य पदार्थ ,बिजली के उपकरण, बर्तन तथा सौन्दर्य प्रसाधन को शामिल किया गया है।इसके अतिरिक्त अन्य वस्तुओ पर दी जाने वाली प्र...

उपभोक्ता मंच /Consumer Forum

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आइये सबसे पहले हम जानते हैं की उपभोक्ता कौन है? सामान्य शब्दों में वह कोई भी व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिए सामान अथवा सेवाएँ खरीदता है वह उपभोक्ता कहलाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में उपभोक्ता है। चाहे वह महिला हो या पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्ध, शिक्षित, अशिक्षित, शहरी, ग्रामीण, निर्धन, धनी कोई भी हो सकता है।  प्रो. मार्शल -" उपभोक्ता वह व्यक्ति  है जो उपभोग के सच्चे अर्थ को समझकर उपभोग करता है।  " उपभोक्ता शिक्षा क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी।  उपभोक्ता शिक्षा हमे अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक करता है। जब हम कोई वस्तु बाजार से खरीद कर लाते हैं और हमारा उदेश्य की पूर्ति नहीं होता है तो हमे अपने ठगे जाने का एहसास होता है। तब हम सोचने लगते हैं की हमने क्या गलतियाँ की है। इसी समस्या के समाधान के लिए उपभोक्ता शिक्षा की जरूरत पड़ी। यह हमें क्रय संबंधित निर्णय लेना सिखाता है जैसे -क्या खरीदना है ?कहाँ से खरीदना है ?कब और कैसे खरीदना है ?कितना खरीदना है ? यह तभी सम्भव् है जब हम उपभोक्ता के अधिकार और कर्तव...

आहार चिकित्सा /Diet Therapy

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  आहार चिकित्सा क्या है ? सामान्यतः शरीर को सुचारु रूप से चलने के लिए संतुलित आहार की जरूरत होती है। परन्तु जब किसी कारणवश हमारा शरीर बीमार हो जाता है। तब बिमारियों के रोकथाम तथा स्वास्थ्य लाभ के उदेश्य से सामान्य आहार को रोगी के अवस्था एवं परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित करके आहार को एक कारक के रूप में प्रयोग करना ही आहार चिकित्सा कहलाता है।  आहार चिकित्सा की शुरुआत कब और कैसे हुआ।  आहार चिकित्सा की अवधारणा ईसा पूर्व 460 -370 के बीच एक युनानी चिकित्स्क हिप्पोक्रेट्स ने दी थी। उन्होंने रोगी और रोग के प्रकृति अनुसार आहार में परिवर्तन करके स्वास्थ्य लाभ लेने पर विशेष बल दिया था। जिसका अनुसरण आज भी बड़ी विश्वसनीयता से की जाती है। परन्तु इसके विशेष महत्व को विश्व प्रसिद्ध परिचारिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1854 में युद्ध में आहत सैनिको के सेवा करते समय समझा, महसूस किया और यह भी प्रमाणित किया की चकित्सा में चिकित्सक, औषधी, परिचरिका के साथ ही स्वास्थ्य लाभ कराने में आहार का विशेष भूमिका है। इसी  के आधार पर डाइटीशियन /Dietitian की नियुक्ति होने लगी।  आहार चिकित्सा के प्...