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अमृतरस की अमृतधारा

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22/01/2024 दिन  के 12 बजकर 29 मिनट  से 80 सेकेंड तक का पुण्यतम वेला  का वो  अविस्मरणीय पल का प्रत्यक्ष  अप्रत्यक्ष रूप  से  साक्षी  बनने  का जो  सुअवसर विश्व समुदाय को  मिला  है।  उस भक्तिमय  अविरल  धारा में लोक  जनसैलाब बहता  ही  चला  जा  रहा  है।   ऐसा  हो  भी क्यों  न भारत की सनातनी संस्कृति  के  प्राण  कहे  जाने  वाले वात्सल्य  रस  से  लबरेज रामलला का बाल स्वरूप  का भव्य राम मन्दिर  में  पुनर्स्थापित  होना दिवास्वप्न कहे जाने  वाले स्वप्न का साकार होना  जो  है।   मानव  में प्रकृत्ति प्रदत अंतर्निहित  शक्तियाँ अधिकांशतः सुसुप्त  अवस्था  में होती  है।  इन्हीं  शक्तियों  को  जगाये रखने  के  लिए  भारत  के  पवित्र  भूमि पर समय-समय  पर  दिव्य  शक्तियों का मानव  स्वरूप  में अवतरित...

हमसफर

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  मैं  से हम  तक  की  यात्रा  का  खूबसूरत  पड़ाव  है  हमसफर।  यह यात्रा कई  पड़ावों  से  गुजरता  हुआ अपनी  मुकाम  तक  पहुँचती  है।  जिसमें बचपन  से  लेकर  युवा  वर्तमान  समय  में  प्रौढ अवस्था  तक की  कई  सारी  खट्टी-मीठी  यादों  का  पिटारा  लबालब  भरा  होता  है।  उन्हीं  पिटारे  में धीरे-धीरे एक खूबसूरत  प्यारा सा जगह  बनानी  होती  है  हमसफर  का।  थोड़ी  मुश्किल  सी लगनेवाली ये  टास्क  हमारी  जरा-जरा सी  कोशिश  से कब  हमारे  जीवन  का  हिस्सा  बन  जाता  है हमे  पता  ही नहीं चलता  है।   अब  हम  बिल्कुल तैयार  हैं  अपने अगले पड़ाव  तक  जाने  को  तो  चलो  चलते  हैं एक  खूबसूरत  सफर  पर  ...