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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यात्रा :राजगीर वन्यप्राणी सफारी

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  अंततः वो दिन( 27 /01 /2023 शुक्रवार )आ ही गया जिसका पिछले दो वर्षों से इंतजार था। लॉकडाउन के आँख मिचौली के बीच अब पूर्णतः इस सफारी का आम जनता के लिए खुलना वाकई उत्साह और रोमांच से भरपूर प्रकृति का सानिध्य एक अलग दुनिया के सैर का अनुभव कराता  है। सुबह नौ बजे से शाम के पाँच बजे (9 Am to 5 Pm )तक इसका दरवाजा खुला रहता है। इसमे प्रवेश के लिए online और ofline दोनों तरह का टिकट उपलब्ध है। पर अपने अनुभव से बताना चाहूँगी की online टिकट लेने से आपके समय का काफी सदुपयोग हो जाता है। साथ ही थोड़ी सी भी समय प्रबंधन कर लें (कब कहाँ किस क्रम मे जाना है)तो आप यात्रा का पूरा आनंद उठा सकते हैं। अन्यथा एक टिकट पर दिए गए 4 घंटे का समय पूरे सफारी घूमने के लिए कम पड़ जाएगा।  आइए करते हैं समय प्रबंधन। सबसे पहली और खास बात दरवाजे पर हल्का नाश्ता का प्रबंध होता है आप अपने स्वादानुसार उसका लुप्त उठाकर ही अंदर प्रवेश करें। प्रवेश द्वार से सटे ही म्यूजियम है उसे देखने से खुले मे वन्य प्राणियों (चीता, शेर, बाघ, भालू,अनेक प्रजाति के हिरण, बंदर )को घूमते देखने का उत्साह दोगुना हो जाएगा । अब आप जू सफारी...

पंचकर्म चिकित्सा

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  आयुर्वेद मे सम्पूर्ण शरीर को शुद्धिकरण करने का विशेष प्रक्रिया है पंचकर्म चिकित्सा। दूसरे शब्दों मे इसे संशोधन चिकित्सा भी कहते हैं। महर्षि चरक और वाग्भट्ट के मतों मे थोड़ी सी मतान्तर देखने  को मिलती है। महर्षि चरक के मतानुसार पंचकर्म के अंतर्गत वमन, विरेचन, आस्थापन, अनुवासन और शिरोविरेचन को स्थान दिया गया है। जबकि महर्षि वाग्भट्ट के मतानुसार पंचकर्म मे  वमन, विरेचन, नस्य,वस्ति और रक्तमोक्षण का उल्लेख मिलता है।  वमन और विरेचन को दोनों ने ही प्रधानता दी है।  वमन - वमन का प्रयोग आमाशय मे संचित कफ दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य द्रव्य होता है मधु।  विरेचन -  आमाशय और पक्वाशय  मे संचित पित दोषों को दूर करने के लिए विरेचन का प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य द्रव्य घी होता है।  वस्ति --  शब्दांतरण से वस्ति के अंतर्गत ही इन्हे दो उपवर्ग आस्थापन वस्ति और अनुवासन वस्ति का प्रयोग पक्वाशय मे संचित वातदोष   को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य द्रव्य तैल होता है और रोगनुसार अन्य औषधियों का सहयोग लिया जाता है।...