संदेश

जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सावन की फुहार सखियों की गुहार

चित्र
अरे चलो चलो घटा घमंड घिर आई गलियो से आने वाली सामूहिक हँसी हा हा हा ही  ही ही   की ठहाकों से मचल उठा मेरा चंचल मन का मोर। वो वर्षा की पहली बूंदें जब तपती धरती पर गिरती तो उसकी सोंधी महक से तन वदन आह्लादित होकर वादलों की शोर में कहीं खो जाती। सावन की हरी - हरी चूड़ियों  की खनक पास  के बगीचें में हस्त निर्मित झूलों पर सखियों संग वैवाहिक जीवन का पहला सावन की आपसी चर्चाएं माहौल को आकाश में निकले इंद्रधनुष के रंगों के साथ ताल में ताल मिलाकर और भी रंगीन बना देती।   गलियों से होते हुए  नगरों ,महानगरों तक की इस लम्बी यात्रा के बदलते परिदृश्य में अगर कुछ नहीं बदला तो वो है सावन की आहट और हरी -हरी चूड़ियों की खनखनाहट ,वर्षा की रिमझिम फुहारों के बीच हर -हर महादेव की गूंज ,मंदिरों की घंटी और वेलपत्र और फल -फूल से सजी सामूहिक थालियाँ। हाँ थोड़ी झूलों पर कजरी की शोर में कमी आ गई है। उसकी जगह facebook ,whatsapp ,instagram पर अपनी -अपनी तरह से सजना -सवरना और video upload करना ने ले ली है। चलो कल ,आज और  कल में सामंजस्य बनाये और खुशियों में आनंद -विभोर...

पंजाब की फूलकारी

चित्र
     मोटे या खदर के सफेद कपड़े पर रंगीन रेशमी धागे से ज्यामितीय (रेखीये ) आकृति का प्रयोग करके बनाये जाने वाले फूलों का डिजाइन फुलकारी कही जाती है।इसमें मुख्य रूप से डवल रनिंग स्टीच और चेन स्टीच का प्रयोग किया जाता है।  इसके कई प्रकार होते है।  जैसे - चोप - इसमें लाल रंग के चादर पर रंगीन रेशमी धागे से बीच में फूलों के डिजाइन बनाये जाते हैं और चारों  कोने पर काले रंग से वही डिजाइन छोटे आकर में  बनाये जाते है। मान्यता ये है की नानी अपने नातिन को यह भेंट स्वरूप उपहार देती हैं तो नजर से बचने के लिए काले रंग  का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है। सुभर -   ये भी लाल रंग के चादर पर ही बनाये जाते हैं। इसमें अंतर ये है की इसके बीच में पांच नमूनों वाली डिजाइन बनाये जाते हैं और वही नमूने छोटे आकर में चारों  कोने पर भी बनाये जाते हैं। यह माँ अपनी बेटी को फेरे के समय उपहार स्वरूप  भेंट प्रदान करती हैं।  तिलपत्र - यह सस्ते झिरझिरे कपड़े पर  यत्र -तत्र नमूने बनाये हुए होते हैं। इसे  मालकिन अपने नौ...