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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Philosophy of Life

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शरीर और प्राणवायु के संयोग को ही जीवन का नाम दिया गया है। या यों कहे की शरीर और जीवात्मा का संयोग ही जीवन है। इस धरा पर मानव जीवन प्रकृति का एक खुबसूरत  उपहार है। यह प्रकृति के पंचतत्वों (जल ,अग्नि ,वायु, आकाश, और धरती )से निर्मित तीन प्रकृति (रजस ,तमस, सत्त्व )स्तम्भों पर विराजमान है।  जीवन का आगाज नर -नारी के मधुर मिलन के संयोगोपरांत पारितोषिक के रूप में मिला हुआ उपहार से होता है। सम्पूर्ण जीवन एक रंगमंच है और हम उसके कठपुतली। इंद्रधनुष के सात रंगो (लाल, नारंगी, पीला, हरा, ब्लू ,इंडिगो ,और बैंगनी )की तरह जीवन भी सप्तधातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद ,अस्थि ,मज्जा ,और शुक्र  )से मिलकर बना हुआ सतरंगी विचाधाराओं को समेटे हुऐ  है। जो आहार -विहार ,आचार -विचार ,वातावरण ,शिक्षा ,समाज के सहयोग और विरोध के झंझावातो से गुजरकर आनंदपूर्ण जीवन का निर्माण करता है।  जब कभी निराशाओ के घने वादल घेर लेते हैं तो मानव मन व्याकुल हो उठता है। मन भारी और बोझिल हो जाता है। इससे उबरने के लिए मनोरंजन के साधनो को ढूंढता है ,प्रकृति के सानिध्य मे होकर उसके बारीकियों पर विचार करता है।...

गृह विज्ञान के नजरिये से 2020

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जैसा की नाम से ही स्पष्ट है गृह विज्ञान यह एक ऐसा विषय है जिसमे कला और विज्ञान दोनों को एक समान समाहित किया गया है। अन्य विषयों के साथ ऐसा नहीं है। या तो वह कला है या विज्ञान। जहाँ कोई विषय वस्तु की गहन अध्ययन करके उस विषय की विशेषज्ञता हासिल तो कर सकता है परन्तु  जब सम्पूर्ण जीवन को एक फ्रेम में करने की कल्पना करते है तो वहाँ कला और विज्ञान दोनों का समान सहभागिता के बिना संतुलित जीवन पद्धति का परिकल्पना ही अधूरी रह जाती है। बहुत हद तक हमारा गृह विज्ञान इस परिकल्पना को पूरा करता नजर आता है। जिसमे जीवन से जुड़ी प्रत्येक पहलू पर आधारभूत जानकारी देने की कोशिश की गई है। अब तक उपेक्षित नजरीये से देखि जाने वाली इस विषय को जिसे एक विषय के रूप में स्वीकारने में ही काफी समय लग गया।  जब नई शिक्षानीति में इस बात पर जोर दिया गया की विद्यार्थी के रूचि के अनुसार विषयों का चयन करने की आजादी होगी एक विज्ञान का विद्यार्थी भी कला विषयों का अध्ययन साथ में कर सकता  है और एक कला या वाणिज्य का विद्यार्थी भी विज्ञान विषयों का अध्ययन कर सकता है। अध्ययन का मुख्य उद्देश्य रोजगारपरक ह...