संदेश

वसंत के इस बदलते मौसम मे कैसा हो हमारा आहार- विहार

चित्र
ऋतु परिवर्तन के समय प्रकृति में परिवर्तन आने के साथ ही साथ हमारे शरीर मे भी परिवर्तन आना स्वभाविक प्रक्रिया है।हमारा शरीर कफ, पित और वात रूपी त्रिस्तम्भ के संतुलन पर विराजमान है। इनमे से किसी एक की न्यूनता या अधिकता सम्पूर्ण शारीरिक तंत्र की गतिविधियों को अनियंत्रित कर सकता है। जिससे हमारा स्वास्थ्य विशेष रूप से प्रभावित होता है। आयुर्वेद मे ऋतु विशेष मे किन दोषों का प्रकोप होता है उन्हें कैसे रोगोउत्पति से पहले शमन करना चाहिए इसकी विशेष चर्चा की गई है। जैसे -वर्षा ऋतु मे वायु का शरद ऋतु मे पित का और वसंत मे कफ का प्रकोप प्रधान रूप से होता है।  वर्तमान समय ठंढ का मौसम जाने वाला है और वसंत का आगमन होने वाला है या यू कहें की वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा )से ही इसका प्रारम्भ हो जाता है। खान -पान से लेकर वस्त्र परिधान जो अब तक गर्म और भारी प्रकृति के हुआ करते थे अचानक से हल्के वस्त्र और कुछ हल्के आहार की चाहत कुलाचे भरने लगते हैं । इस पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक हो जाता है । इसे क्रमशः धीरे -धीरे कम करने की जरूरत होती है। जहाँ सुबह- शाम और रातें ठंडी होती है वहीं दोपहर काफी गर्म होने लगता ...

हर-हर गंगे घर-घर गंगे

चित्र
  जब हम कभी कथानकों में कही -सुनी बातों को हकीकत में देखते हैं तो आश्चर्य से हमारी आँखें विस्मयादी बोधक भावों के साथ खुली की खुली रह जाती है। ऐसे ही अविस्मरणीय क्षण के हम बिहारवासी साक्षी बने। जब  27/11/2022 को गंगा की पहली नल -जल धारा गंगा से 100 -150 किलोमीटर दूर पाइप से होते हुए राजगीर, गया और बोधगया मे निर्मित जलाशयों मे संग्रहीत होकर राजगीर के घरों के नलों मे समाहित होकर नल -जल धारा के रूप मे प्रवाहित हुई । तत्पश्चात 28/11/2022 को बुद्ध की तपोभूमि गया और बोधगया के पवित्र धरा पर भी इस नल -जल का पदार्पण हुआ ।  भागीरथी प्रयास से धरती पर गंगा अवतरण की कहानी तो हम सबने पढ़ी -सुनी है । पर अभी -अभी जो हमने हर -हर गंगे से घर -घर गंगे की यात्रा पूरी की है यह हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का दूरदर्शी दृष्टिकोण का फलीभूत परिणाम है । जिसकी कल्पना करना ही अपने आप मे अद्भूत है और उसका ससमय क्रियान्वित होना सच में किसी चमत्कार से कम नही है ।  यह परियोजना जल जीवन हरियाली का हिस्सा है । जिसकी लागत लगभग 4500 करोड़ तक की है । जल की महत्व को समझते हुए इसकी अनावश्यक खर...

नव वर्ष 2023

चित्र
  नये वर्ष की नई संकल्पना स्वस्थ्य व समृद्ध समाज एक भारत श्रेष्ठ भारत।  2022 -23 के इस संधि वेला में गीले -शिकवे ,उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ के गणितिए समीकरण से बाहर निकलकर सूर्योदय की पहली किरण की ऊर्जस्वित आशा और उम्मीदों से भरे अमृत कलश का सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वगतम! नव वर्ष मंगलमय हो |  :---------------------------------:   

एक ही मंच पर कला और विज्ञान /Arts &Science का अनोखा संगम

चित्र
कला  और विज्ञान लिखने -पढ़ने,देखने -सुनने में दो अलग -अलग लगने वाले शब्द जब एक साथ एक मंच को साझा करता है तब कुशल कौशल शब्द का जन्म होता है। वर्तमान समय तकनीकों का युग है। जब हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तथा कथित अपने आस -पास उपलब्ध सामग्री को दिमागी क्रियाशीलता का सहारा लेकर कुछ नया कर गुजरते हैं तो उसे जुगाड़ टेक्नोलॉजी का नाम मिल जाता है। यों तो हमारे आस -पास ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े मिलते हैं । पर जब कभी इन पर किसी बुद्धिजीवी उद्यमियों की नजर पड़ जाती है तो वो कंकड़ रूपी जुगाड़ तकनीक बड़े -बड़े उद्योग स्थापित करने की प्रेरणा बन जाती है । जिसे हम आज स्टार्टअप का नाम दे रखा है। वो चाहे एमबीए चाय वाला हो या छोले -भटूरे ,लिट्टी -चोखे की छोटी सी स्टाल से 5 स्टार होटल तक का सफर।  भोजन हमारी मूलभूत आवश्यकताओं का प्रथम स्तम्भ है। इसमे अपार संभावनाएं हैं। आहार प्रबंधन कला और विज्ञान एक साथ होने के साथ ही साथ आम से लेकर खास /विशेष लोगों का भोजन से प्रत्यक्ष संबंध होना इसमे हर रोज कुछ नया कर गुजरने की प्रेरणा से ओत -प्रोत है। यह विज्ञान इसलिए है की इसमे व्यक्ति की पौष्टिक आवश्यकताओं को ...

फैशन डिजाइनर /Fashion Designer

चित्र
  फैशन की राष्ट्रीय और वैश्विक राजधानी इटली के मिलान मे है। यहीं से फैशन की दिशा निर्धारित होती है। Fashion Designing  or Textile Designing  मे आधारभूत अंतर यह है की जहां टेक्सटाइल डिजाइन का संबंध कपड़ों से संबंधित (परिधान, घर की सजावट के लिए बुने हुए, विना बुने, रंगाई, छपाई )निर्माण से है। वहीं फैशन डिजाइन का संबंध परिधान उससे जुड़ी एक्सेसरीज और जीवनशैली की वस्तुओं के निर्माण से है। आज हम फैशन डिजाइन और डिजाइनर पर चर्चा करेंगें।  फैशन डिजाइन की शुरुआत 19 वीं शताब्दी मे हुआ ऐसा माना जाता है। इसका अर्थ ये कतयी नही हुआ की इससे पहले बेहतरीन डिजाइन के वस्त्र बने ही नही। बल्कि भारत को तो वस्त्रों के बारीकी और उस पर नायाब नमुने व कारीगरी के लिए विश्व प्रसिद्धि प्राप्त थी।परन्तु यह व्यक्तिगत न होकर सामुहिक रूप से जुलाहों और कारीगरों की पहचान तक ही सीमित थी।  ज्यादातर वस्त्रों का नामकरण बनने के स्थान, वस्त्रों के प्रकार, वनावट के स्वरूप तथा उसे विकसित और संरक्षण देने वाले बादशाहों और राजाओं के नाम पर किये जाते थे। जैसे -भागलपुरी सिल्क, बनारस की बनारसी, गुजरात का पटोला /ब...

G -20

चित्र
  आज 1 दिसंबर 2022  हम भारत वासियों के लिए बड़े ही गर्व का क्षण है।  आज से पूरे एक वर्ष  के लिए G-20 की अध्यक्षता करने का गौरव जो प्राप्त हुआ है। जिसका नेतृत्व हमारे दूरदर्शी दृष्टि वाले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं।उनका परिपक़्व अनुभव, भारतीय ज्ञान परम्परा, प्रतिभाशाली युवाओं का रचनात्मक प्रतिभा का समेकित उपयोग करके हम इस स्वर्णिम अवसर को विश्व के यादगार लम्हों में शामिल करने को आतुर हैं। जैसा की G-20 (2022 )का थीम है वसुधैव कुटुंबकम एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य। इसका श्रेय हमारे प्रधानमंत्री स्वयं न लेकर इसे 130 करोड़ भारतीयों  की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक कहा  है।  कोरोना काल  के बाद  का वैश्विक चुनौतियों के बीच आज भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। जिसका अनुभव हम विकासशील देशों के समूह को साझा करेंगें। भारतीय विचारधारा रहा है की किसी समस्या का समाधान आपस में लड़कर नहीं बल्कि मिलकर काम करके ही निकला जा सकता है। हम प्रकृति की देखभाल करने वाली भारतीय परम्परा के आधार पर स्थायी और पर्यावरण -अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साह...

मिलन &जुदाई

चित्र
  मिलन और जुदाई शब्दों के हेर -फेर मे प्रकृति की अद्भुत सौन्दर्य छुपा हुआ है। प्रकृति की नियमित गतिशीलता प्रतिदिन सुबह से शाम ;शाम से सुबह के चक्रिये परिधि मे इस तरह पिरोया हुआ है की न तो सुबह का उजाला हमे सीमाओं से पार इतराने देता है और न ही ढलती शाम के आगे आने वाले निश्चित अंधेरा हमे डरने देता है। क्योंकि हर शाम की शाम एक उम्मीद की किरणें अपने आप मे समेटे जाती है की मै फिर अपने निर्धारित समय पर एक नई उम्मीद व उत्साह की किरणों के साथ आने के लिए विश्रामवस्था को प्राप्त कर रही हूँ।  इस तरह दिन हफ्ते, हफ्ते महीने, महीने साल मे क्रमशः बदलते रहते हैं जिसमे मौसम परिवर्तन हमें मानवीय  रिश्तों की तरह मिलन व जुदाई का अनोखा अनुभव कराता रहता है। इसकी झलक हम जीवन के प्रारम्भ से अंत तक मे देखते हैं जिसे अपनी भावनाओं पर विजय पाने मे उदाहरण स्वरूप अपनाते रहते हैं।  जीवन के प्रारम्भ मे असहनीय पीड़ा सहकर भी उसके उपहार मे मिले नन्हीं जीवन की पहली क्रंदन सारे दर्द भूलने के लिए काफी होता है। यहाँ से उस नन्हीं सी जान की सुखद जीवन यात्रा का सपना ही नही संयोगा जाता बल्कि उसे पूरा करने का अ...