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राखी से रक्षा

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  राखी से रक्षा  आज राखी का त्यौहार मनाया जा रहा है। चारो तरफ हर्षोल्लास का वातावरण है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक अपनी भावनाओ को अपने-अपने  तरीके से प्रस्तुत  कर रहे हैं। इसमें एक बात की जो समानता है वो यह है की सभी एक दूसरे की कुशल मंगल की कामना कर रहे हैं। परिवर्तन जीवन का अभिन्न अंग है। आज हम AI के जमाने की बात करते हैं जहां हर काम आसानी से होता हुआ दीखता है। पर कहीं न कहीं भवनात्मकता और रचनात्मकता को गहराई से प्रभावित करता प्रतीत होता है। इतना सुविधा सम्पन्न होने की बात करते करते जाने अनजाने इसमें कुछ खालीपन समाहित हो गया है। तभी तो जिस रक्षाबंधन पर बहनें अपनी भाई से अपनी  सुरक्षा की उम्मीद लगाए रहती थी। आज एक दूसरे की सुरक्षा की उम्मीद और अपेक्षायें पनपने लगी है। रिश्तों की मिठास अब एक औपचारिकता में बदलने लगी है।  आओ इस रक्षाबंधन हम औपचारिकता से बाहर निकलकर रिश्तों में मिठास भरें। सावन की पूर्णिमा की तरह रिश्तों को पूर्णता प्रदान करें।  #रक्षाबंधन #राखी #भाई-बहन #शुभ तिलक #अक्षत #मिठाई #सावन पूर्णिमा #मायका #खुशहाली #आवागमन #पूर्णता 

ध्यान की दशा ,दिशा और पूर्णता

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ध्यान की दशा ,दिशा और पूर्णता   ध्यान की पहली सीढ़ी है शारीरिक योगाभ्यास और दूसरी है प्राणायाम। जिसमे हर श्वास के साथ मन शांत होता जाता है। ध्वनि का ध्यान से गहरा संबंध है। ध्वनि से मौन की और बढ़ता मन आंतरिक संवेदनाओं को महसूस करता हुआ तीसरे पायदान को पार करता है। ये संवेदनाएं करुणा,क्रोध,हताशा या परमान्द के चरम को स्पर्श करता है..यही वह  स्थान होता है जहाँ काफी सजगता की जरूरत होती है। यहाँ पर जो आंतरिक शक्तियां जागृत होती है वह हमें आसमान की ऊचाइयों तक पहुंचा सकता है या धरातल की गहराइयों में भी धकेल सकता है।   चौथा पायदान है ज्ञान का जिसमे विज्ञान के अद्भुत तथ्यों को जानते हुए ब्रम्हाण्ड के रहस्यों को समझने की कोशिश करते हैं। पाचवाँ और अंतिम पायदान होता है मंत्र का जिसमे ध्वनि एक तरंग की तरह होती है। जिसका कम्पन महत्वपूर्ण होता है। यह हमारी आंतरिक स्तरों को स्पर्श करता हुआ एक बीज की तरह प्रस्फुटित होता है। इसे हम एक सहज वातावरण में सहज शारीरिक मुद्रा के साथ घटित होता हुआ महसुस करते हैं। अंततः हम पाते हैं की ध्यान कोई गंभीर प्रयास नहीं बल्कि सहज उपलब्धि है।  ...