एहसास पल पल पलकों के पास
समय की कदमो की आहट कल आज और कल की सुनहरे पलों का सजीव चित्रण करता हुआ परिवर्तन स्वीकार्यता का सहज एहसास करा रहा है। मानो कल ही की बात है । एक अल्हड़ सी अठखेलियाँ करती चुलबुली सी लड़की गृहस्थ जीवन मे प्रवेश करती है। जिसका विस्तार एक नन्हीं सी जान के आगमन से होता है । उस नन्हीं सी जान के प्रत्येक गतिविधियों से सुखद एहसास के साथ जीवन को गति मिलती है । उसका पहली वार इस दुनिया से क्रंदन के साथ संपर्क स्थापित करना , सपनों से भरे नयनों का पलकें धीरे से खोलना , एक ही पल मे अपने आप से बातें करते हुए मुस्कुराना दूसरे ही पल डरकर रोना ! ऐसा लगता है जैसे इस इंद्रधनुषी दुनिया के हर रंग से समायोजन स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा हो । प्रकृति की धूप छाँव की तरह जीवन भी सरकने से लेकर बैठना ,उठ खड़ा होना ,गिरना फिर से उठ खड़ा होना और अंततः तेज गति के साथ दौड़ना । उसके बोल -चाल मे एक संगीतमय लय का निश्चल व सुंदर चित्रण से पूरा घर गुंजायमान होकर पूरे परिवार को एक सूत्र मे बांधते हुए जीवन आगे बढ़ ही रहा होता है की एक और नन्हीं सी जान का उसके जीवन मे आगमन होता है । जो बचपन के गुडे -गुड़िया की जगह हँस...