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मानव जीवन का गति,नियतिऔर मुक्ति का आधार कर्म और प्रारब्ध।

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  मानव जीवन का गति,नियतिऔर मुक्ति का आधार कर्म और प्रारब्ध।  कर्म और प्रारब्ध एक ही वृक्ष के परस्पर अन्तसम्बन्ध दो शाखाये हैं। जिसमे मानव जीवन का सुख -दुःख ,सफलता-असफलता,संयोग-वियोग,प्राप्ति-मुक्ति के अनगिनत सूत्र जटिल जाल की तरह एक दूसरे से गुथे हुए हैं। कर्म प्रारब्ध को जन्म देता है। प्रारब्ध कर्म के माध्यम से ही फलित होता है। अर्थात प्रारब्ध हमारे द्वारा अतीत में किये गए कर्मो का परिणाम है और वर्तमान में किये गए कर्म ही भविष्य का आधार है। इन दोनों के बीच अति सूक्ष्म संबंध है।  अतः हम कह सकते हैं की प्रारब्ध को बदलना निःसंदेह कठिन है। परन्तु वर्तमान हमारे सामने है। जो हमे अपने कर्मो द्वारा भविष्य को संवारने का अवसर प्रदान करता है। सार तत्व यह है की हमें अपने प्रारब्ध को बिना किसी गीले शिकवे के स्वीकारते हुए वर्तमान में सतकर्म करके वर्तमान जीवन को श्रेष्ठ बनाते हुए सुखद भविष्य की आधार तैयार करने का प्रयास करना चाहिए। प्रकृति ने जो हमे  यह सुअवसर प्रदान किया है उसका यथासम्भव सदुपयोग करना चाहिए।  # positivelife #selflove #happiness #mindset #inspiration #motivati...