वसंत के इस बदलते मौसम मे कैसा हो हमारा आहार- विहार
ऋतु परिवर्तन के समय प्रकृति में परिवर्तन आने के साथ ही साथ हमारे शरीर मे भी परिवर्तन आना स्वभाविक प्रक्रिया है।हमारा शरीर कफ, पित और वात रूपी त्रिस्तम्भ के संतुलन पर विराजमान है। इनमे से किसी एक की न्यूनता या अधिकता सम्पूर्ण शारीरिक तंत्र की गतिविधियों को अनियंत्रित कर सकता है। जिससे हमारा स्वास्थ्य विशेष रूप से प्रभावित होता है। आयुर्वेद मे ऋतु विशेष मे किन दोषों का प्रकोप होता है उन्हें कैसे रोगोउत्पति से पहले शमन करना चाहिए इसकी विशेष चर्चा की गई है। जैसे -वर्षा ऋतु मे वायु का शरद ऋतु मे पित का और वसंत मे कफ का प्रकोप प्रधान रूप से होता है। वर्तमान समय ठंढ का मौसम जाने वाला है और वसंत का आगमन होने वाला है या यू कहें की वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा )से ही इसका प्रारम्भ हो जाता है। खान -पान से लेकर वस्त्र परिधान जो अब तक गर्म और भारी प्रकृति के हुआ करते थे अचानक से हल्के वस्त्र और कुछ हल्के आहार की चाहत कुलाचे भरने लगते हैं । इस पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक हो जाता है । इसे क्रमशः धीरे -धीरे कम करने की जरूरत होती है। जहाँ सुबह- शाम और रातें ठंडी होती है वहीं दोपहर काफी गर्म होने लगता ...