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जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वसंत के इस बदलते मौसम मे कैसा हो हमारा आहार- विहार

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ऋतु परिवर्तन के समय प्रकृति में परिवर्तन आने के साथ ही साथ हमारे शरीर मे भी परिवर्तन आना स्वभाविक प्रक्रिया है।हमारा शरीर कफ, पित और वात रूपी त्रिस्तम्भ के संतुलन पर विराजमान है। इनमे से किसी एक की न्यूनता या अधिकता सम्पूर्ण शारीरिक तंत्र की गतिविधियों को अनियंत्रित कर सकता है। जिससे हमारा स्वास्थ्य विशेष रूप से प्रभावित होता है। आयुर्वेद मे ऋतु विशेष मे किन दोषों का प्रकोप होता है उन्हें कैसे रोगोउत्पति से पहले शमन करना चाहिए इसकी विशेष चर्चा की गई है। जैसे -वर्षा ऋतु मे वायु का शरद ऋतु मे पित का और वसंत मे कफ का प्रकोप प्रधान रूप से होता है।  वर्तमान समय ठंढ का मौसम जाने वाला है और वसंत का आगमन होने वाला है या यू कहें की वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा )से ही इसका प्रारम्भ हो जाता है। खान -पान से लेकर वस्त्र परिधान जो अब तक गर्म और भारी प्रकृति के हुआ करते थे अचानक से हल्के वस्त्र और कुछ हल्के आहार की चाहत कुलाचे भरने लगते हैं । इस पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक हो जाता है । इसे क्रमशः धीरे -धीरे कम करने की जरूरत होती है। जहाँ सुबह- शाम और रातें ठंडी होती है वहीं दोपहर काफी गर्म होने लगता ...

हर-हर गंगे घर-घर गंगे

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  जब हम कभी कथानकों में कही -सुनी बातों को हकीकत में देखते हैं तो आश्चर्य से हमारी आँखें विस्मयादी बोधक भावों के साथ खुली की खुली रह जाती है। ऐसे ही अविस्मरणीय क्षण के हम बिहारवासी साक्षी बने। जब  27/11/2022 को गंगा की पहली नल -जल धारा गंगा से 100 -150 किलोमीटर दूर पाइप से होते हुए राजगीर, गया और बोधगया मे निर्मित जलाशयों मे संग्रहीत होकर राजगीर के घरों के नलों मे समाहित होकर नल -जल धारा के रूप मे प्रवाहित हुई । तत्पश्चात 28/11/2022 को बुद्ध की तपोभूमि गया और बोधगया के पवित्र धरा पर भी इस नल -जल का पदार्पण हुआ ।  भागीरथी प्रयास से धरती पर गंगा अवतरण की कहानी तो हम सबने पढ़ी -सुनी है । पर अभी -अभी जो हमने हर -हर गंगे से घर -घर गंगे की यात्रा पूरी की है यह हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का दूरदर्शी दृष्टिकोण का फलीभूत परिणाम है । जिसकी कल्पना करना ही अपने आप मे अद्भूत है और उसका ससमय क्रियान्वित होना सच में किसी चमत्कार से कम नही है ।  यह परियोजना जल जीवन हरियाली का हिस्सा है । जिसकी लागत लगभग 4500 करोड़ तक की है । जल की महत्व को समझते हुए इसकी अनावश्यक खर...

नव वर्ष 2023

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  नये वर्ष की नई संकल्पना स्वस्थ्य व समृद्ध समाज एक भारत श्रेष्ठ भारत।  2022 -23 के इस संधि वेला में गीले -शिकवे ,उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ के गणितिए समीकरण से बाहर निकलकर सूर्योदय की पहली किरण की ऊर्जस्वित आशा और उम्मीदों से भरे अमृत कलश का सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वगतम! नव वर्ष मंगलमय हो |  :---------------------------------: